Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में मांग की गई थी कि ऐसी रैलियां रोकी जाएं, क्योंकि इनसे समाज में भेदभाव बढ़ता है। अदालत ने याचिका पर फैसला आने तक ऐसी रैलियों पर रोक लगा दी है।
अदालत ने मामले में पक्षकारों केंद्र तथा राज्य सरकार समेत भारत निर्वाचन आयोग एवं चार राजनीतिक दलों कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को नोटिस जारी किए हैं।
न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह तथा न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश में जातियों पर आधारित राजनीतिक रैलियों की बाढ़ आ गई है और सियासी दल ब्राह्मण रैली, क्षत्रिय रैली, वैश्य सम्मेलन आदि नाम देकर अंधाधुंध जातीय रैलियां कर रहे हैं।
याचिका करने वाले का तर्क था कि इससे सामाजिक एकता और समरसता को जहां नुकसान हो रहा है, वहीं ऐसी जातीय रैलियां तथा सम्मेलन समाज में लोगों के बीच जहर घोलने का काम कर रहे हैं, जो संविधान की मंशा के खिलाफ है। उधर, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोदियाल पेश हुईं। याची ने याचिका में केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्रीय निर्वाचन आयोग और कांग्रेस, बीजेपी, सपा तथा बीएसपी को पक्षकार बनाया है।
गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीएसपी ने प्रदेश के करीब 40 जिलों में ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन आयोजित किए थे। उसके अलावा सपा ने भी पिछले महीने लखनऊ में ऐसा ही सम्मेलन किया था। साथ ही उसने मुस्लिम सम्मेलन भी आयोजित किए थे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
जाति आधारित रैली, बसपा, सपा, इलाहाबाद हाईकोर्ट, ब्राह्मण महासम्मेलन, Caste Based Rally, BSP, Allahabad High Court, Brahmin Sammelan