
बिहार (Bihar) में सत्ताधारी गठबंधन में जेडीयू-बीजेपी के बीच सबकुछ ठीकठाक नहीं है. गठबंधन की गांठें ढीली पड़ रही हैं. छोटे भाई से बड़े भाई की भूमिका में आई बीजेपी के नेता पूरी तरह पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन पार्टी की बैठकों में ये अपने दिल की बात कहने से गुरेज नहीं कर रहे हैं. हाल में ही नरेंद्र मोदी की NDA-2 की सरकार में दो साल बाद जेडीयू भी शामिल हो गई. आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बन गए लगा कि जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की गांठ अब मजबूत हो रही है, पर आरसपी का केंद्रीय मंत्री बनना नीतीश कुमार को नागवार गुजरा और उन्हें हटाकर ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. इसके बावजूद बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते अंदरूनी तौर पर अच्छे नहीं हैं. मतलब गठबंधन की गांठ ढीली है और सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है. इस बात का संकेत बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने औरंगाबाद में आयोजित भाजयुमो की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में दिया. बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं के समक्ष गठबंधन की मजबूरियां गिनाई. उन्होंने कहा कि 2015 में हम चूक गये पर आगे नहीं चूकेंगे.
गौरतलब है कि जेडीयू अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद आरसीपी सिंह ने भावुक पोस्ट लिखी. उन्होंने कहा कि पार्टी ने मुझे जब जो जिम्मेदारी दी, उसे मैंने अपना सौ प्रतिशत दिया और अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा और चेतना दल को आगे बढ़ाने में लगाई. हमारे नेता का सिर हमेशा ऊंचा रहे और उनका काम सरजमीन तक पहुंचे, हमेशा पूरी तत्परता से इस कोशिश में लगा रहा. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने सिलसिलेवार कई ट्वीट किए और जेडीयू अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका के बारे में जानकारी साझा की. उन्होंने ट्वीट में कहा, "जदयू मेरे लिए पार्टी मात्र नहीं बल्कि यह मेरे लिए जीवन का पर्याय बन चुकी है. सुबह उठने से लेकर रात सोने तक मेरी हर सांस पार्टी और पार्टी के साथियों से जुड़ी होती है लेकिन, दल हो या जीवन - हमारी और आपकी भूमिका समय-समय पर बदलती रहती है."
उन्होंने कहा कि बदलाव जीवन और प्रकृति का नियम है, जिसे हम बदल नहीं सकते लेकिन, जो हमारे हाथ में है और जिसकी बाद में चर्चा होती है, वो यह कि हमने अपनी जिम्मेदारी कितनी खूबसूरती और शिद्दत से निभाई. पार्टी ने मुझे जब जो जिम्मेदारी दी, उसे मैंने अपना सौ प्रतिशत दिया और अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा और चेतना दल को आगे बढ़ाने में लगाई. हमारे नेता का सिर हमेशा ऊंचा रहे और उनका काम सरजमीन तक पहुंचे, हमेशा पूरी तत्परता से इस कोशिश में लगा रहा.
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