मीडिया रिपोर्टों में छह से अधिक राज्यों में मृत्यु के आंकड़ों में भारी विसंगति की ओर इशारा करने के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक हलफनामे में कहा है कि सभी कोरोनोवायरस (Coronavirus) मौतों को कोविड की मौतों के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए. केंद्र ने बीती देर रात सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में इस नियम का पालन नहीं करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई का भी वादा किया.
अब तक, केवल अस्पतालों में हुई कोविड रोगियों की मृत्यु को कोविड से हुई मौत माना जाता था. यहां तक कि घर पर आइसोलेशन में या अस्पताल की पार्किंग अथवा गेट पर होने वाली मौतों को कोविड से मौत नहीं गिना जाता था. इस वजह से लाखों में हुई मृत्यु के आंकड़ों में विसंगतियां थीं.
केंद्र ने एक हलफनामे में यह भी कहा कि कोविड की वजह से हुई मौतों के लिए 4 लाख का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि यह उन राज्यों पर एक असहनीय वित्तीय बोझ डालेगा जो पहले से ही लॉकडाउन के मद्देनजर कम कर संग्रह और लॉकडाउन के कारण सुस्त अर्थव्यव्सथा में नकदी के संकट से जूझ रहे हैं.
कोरोना से हुई मौतों पर 4 लाख का मुआवजा नहीं दे सकते, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
केंद्र ने कोर्ट के एक नोटिस पर हलफनामा दायर किया है. कोर्ट ने कोविड से हुई मौतों पर मुआवजे और प्रमाणन के लिए दायर एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था. याचिका में कहा गया है कि पीड़ितों के मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण कोविड का उल्लेख नहीं है, जिससे परिवारों को मुआवजा मिलना मुश्किल हो जाता है.
सभी कोविड मौतों को प्रमाणित करने का केंद्र का निर्णय ऐसे समय में आया है जब कई राज्यों ने बड़े पैमाने पर बेहिसाब मौत के आंकड़े देखे हैं, यह सवाल उठाते हुए कि क्या राज्य अपने कोविड पीड़ितों को कम कर रहे हैं?
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