एक ऐतिहासिक फैसले में गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु एक समान होनी चाहिए.
वर्तमान समय में इन बलों- भारत तिब्बत सीमा पुलिस आइटीबीपी, सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ, और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ में सेवानिवृत्ति की आयु की दो श्रेणियां हैं. डीआईजी और इससे ऊपर के रैंक के अधिकारी 60 वर्ष की आयु पूरी करके सेवानिवृत्त होते हैं जबकि कमांडेंट और उससे नीचे की रैंक पर सेवानिवृत्ति की आयु 57 वर्ष ही निर्धारित है.
इसको कई पदाधिकारियों द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. याचिकाकर्ताओं के पैरोकार दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अंकुर छिब्बर ने कहा कि निश्चित रूप से इस फैसले से इन बलों के 600000 से भी ज्यादा कर्मियों को लाभ मिलेगा और यदि यह लागू हुआ तो निश्चित तौर पर यह इन बलों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा.
अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों जैसे असम राइफल और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ में सेनानी और उससे नीचे की रैंक के पदाधिकारी भी 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने के उपरांत सेवानिवृत्त होते हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ ने गृह मंत्रालय को 4 महीने में यह निश्चित करने को कहा है की वह सेवानिवृत्ति की आयु को या तो 57 वर्ष रखे या 60 वर्ष. सभी के लिए यह सेवानिवृत्ति आयु लागू होनी चाहिए और दो प्रकार की सेवानिवृत्ति आयु भेदभाव पूर्ण नीति है. इसके लिए गृह मंत्रालय को इन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से विमर्श करने को भी कहा है.
वर्तमान में भारत में पांच प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं जिनमें लगभग 10 लाख कर्मी कार्यरत है जो सीमाओं की सुरक्षा से लेकर विभिन्न आंतरिक सुरक्षा ड्यूटियों में तैनात रहते हैं. इस फैसले से उन सभी सेनानी और उनके नीचे के रैंक के कर्मियों जो इस संख्या का 60% भाग हैं, उन्हें इसका लाभ मिलेगा.
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