बिहार में शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध के नियम पर बहस जारी है. उत्तर प्रदेश में कच्ची शराब से हो रहीं मौतों की खबरें भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इसी बीच शराब को लेकर एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. राजस्थान पुलिस और अमेरिकी अनुसंधान एजेंसी की ओर से एक सर्वें में दावा किया गया है कि देश में शराब पीकर वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं में हर दिन 19 लोगों की जान चली जाती है. जिसमें औचक निगरानी के जरिए कमी लाई जा सकती है. अगर पुलिस इस तरह वाहन चालकों का औचक परीक्षण करे, जिसकी उन्हें उम्मीद भी न हो, इस पर लगाम लगाया जा सकता है.
2010 से 2011 के बीच हुआ सर्वे
यह अध्ययन 2010 से 2011 के बीच दो वर्षो तक किया गया और अध्ययन के परिणामों को इसी वर्ष मई में रिलीज किया गया. अध्ययन में मुख्य समाधान के रूप में कहा गया है कि नियमित चेक प्वाइंट की जगह ऐसी जगहों पर चेकिंग की जाए, जहां नियमों के उल्लंघन की संभावना अधिक हो, क्योंकि वाहन चालक नियमित जांच की जगहों से वाकिफ होते हैं और जांच से बचने के लिए रास्ता बदल लेते हैं. अमेरिका के बोस्टन में स्थित मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान की अनुसंधान इकाई अब्दुल जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब (जे-पीएएल) के अनुसंधानकर्ताओं ने शराब पीकर वाहन चलाने पर रोकथाम लगाने वाली योजना को लागू करने तथा उसके मूल्यांकन के लिए राजस्थान पुलिस के साथ साझेदारी की.
आ सकती है दुर्घटनाओं में कमी
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया कि एक पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में दो महीने तक औचक चेकिंग करने से रात में शराब पीकर होने वाली दुर्घटना में 17 फीसदी की कमी आई, जबकि इस तरह होने वाली मौतों में 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. इसका असर अगले छह सप्ताह तक दिखा.
16,298 दुर्घटनाएं शराब पीकर वाहन चलाने की वजह से
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2015 में सड़क दुर्घटना के कुल 501,423 वाकये दर्ज किए गए, जिनमें से 16,298 दुर्घटनाएं शराब पीकर वाहन चलाने के चलते हुईं. आंकड़ों के मुताबिक, 2015 में शराब पीकर वाहन चलाने से हुई दुर्घटनाओं में कुल 6,755 लोगों की मौत हुई, जबकि 18,813 लोग घायल हुए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, 2015 में हर 10 मिनट में नौ सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें तीन लोगों की मौत हुई. जे-पीएएल के अध्ययन के मुताबिक, वाहन चालक की किसी अन्य गलती की तुलना में शराब पीकर होने वाली दुर्घटना में अधिक लोगों की मौत होती है. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, मात्र 1.5 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं शराब पीकर वाहन चलाने के कारण होती हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में यह सर्वाधिक जिम्मेदार होता है.
दुर्घटनाओं की बड़ी वजह है शराब
शराब पीकर वाहन चलाने से हुई दुर्घटना के पीड़ितों में 42 फीसदी की मौत हो जाती है, जबकि अधिक गति से वाहन भगाने के कारण हुई दुर्घटना में 30 फीसदी पीड़ितों की मौत होती है, जबकि लापरवाही से वाहन चलाने के चलते हुई दुर्घटना में 33 फीसदी और खराब मौसम के चलते हुई दुर्घटना में 36 फीसदी पीड़ितों की मौत हो जाती है.
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पता लगाना है मुश्किल
हालांकि इन आंकड़ों की प्रामाणिकता सत्यापित नहीं है. येल विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक डेनियल केनिस्टन का कहना है, "शराब पीकर होने वाली दुर्घटनाओं को कम करके आंका जाता है. अगर पुलिस दुर्घटना स्थल पर पहुंचने में देरी करती है, तो यह पता लगाने में मुश्किल होती है कि दुर्घटना शराब पीकर वाहन चलाने के चलते हुई थी या नहीं.'
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10 जिलों के 183 पुलिस थानों पर सर्वे
अध्ययन के लिए राजस्थान के 10 जिलों के कुल 183 पुलिस थानों में से बिना किसी खास चयन पद्धति के 123 थानों को शामिल किया गया. इन थानों को ट्रीटमेंट स्टेशन कहा गया, जबकि शेष पुलिस थानों को कंपैरिजन स्टेशन, जिनके लिए किसी तरह का दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया. इन चुनिंदा पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में दो साल तक तय कार्यक्रम को लागू किया गया, जिसके परिणाम साफ-साफ दिखाई दिए.
(इनपुट आईएनएस से)
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