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This Article is From Jun 09, 2016

एयर इंडिया को यदि बेचना भी चाहें तो कोई खरीदार नहीं मिलेगा : नागरिक उड्डयन मंत्री

एयर इंडिया को यदि बेचना भी चाहें तो कोई खरीदार नहीं मिलेगा : नागरिक उड्डयन मंत्री
फाइल फोटो
नई दिल्‍ली: नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने शुक्रवार को कहा कि एयर इंडिया की बैलेंस शीट इतनी खराब है कि यदि सरकार इसे बेचना भी चाहें तो भी कोई इसे नहीं खरीदेगा।

उन्‍होंने इसके विनिवेश की संभावनाओं से भी इनकार किया। उल्‍लेखनीय है कि एयर इंडिया पर तकरीबन 50 हजार करोड़ रुपये का ऋण भार है। इसके साथ ही उन्‍होंने यह भी जोड़ा कि करदाताओं के धन को इस तरह हमेशा के लिए इस पर नहीं खर्च किया जा सकता।

दरअसल एयर इंडिया भारी-भरकम कर्ज के बोझ तले दबे होने के बावजूद मौजूदा विपरीत बिजनेस परिस्थितियों से भी जूझ रही है। 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के आपसी विलय के बाद से बने एयर इंडिया की हालत को दुरुस्‍त करने के लिए यूपीए सरकार ने 30 हजार करोड़ का बेलआउट पैकेज दिया था।

राजू ने हालांकि यह भी कहा कि अन्‍यों की तरह वह इसको कोसना नहीं चाहते लेकिन एयर इंडिया को अपने लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा। उन्‍होंने कहा, " यह बेहद शानदार एयरलाइन है। मैं एयर इंडिया को पसंद करता हूं लेकिन हमेशा के लिए करदाताओं का पैसा इस पर खर्च किए जाने का मैं भरोसा नहीं दे सकता। "  

यद्यपि पहले की तुलना में इसकी वित्‍तीय हालात थोड़ा सुधरी है और घरेलू विमानन बाजार की बढ़ती संभावनाओं के बीच एयर इंडिया की विस्‍तार की दिशा में आगे बढ़ते हुए अगले चार वर्षों में 100 एयरक्राफ्ट खरीदने की योजना है।

इस मसले पर राजू का कहना है, ' मैं महसूस करता हूं कि एयर इंडिया टीम में एकजुटता की दरकार है। जहां वे एक टीम की तरह काम करते हैं, वहां उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है और जहां वे टीम की तरह काम नहीं करते तो वे विभिन्‍न दिशाओं में अलग-थलग दिखते हैं। लेकिन कोई भी घड़ी की सुईयों को पीछे नहीं घुमा सकता। जितनी जल्‍दी वे इस बात को समझेंगे, उतना ही बेहतर होगा।'



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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