'चुनौतियों' से भरा था Air India को बेचने का टास्क, NDTV से बोले मंत्री सिंधिया

Tata-Air India Deal: सिंधिया ने एनडीटीवी को बताया, "एयर इंडिया बहुत ज्यादा नुकसान में थी और बोझ कर्जदाताओं पर था. यह सही नहीं था. इसलिए यह सौदा हुआ.

'चुनौतियों' से भरा था Air India को बेचने का टास्क, NDTV से बोले मंत्री सिंधिया

टाटा-एयर इंडिया डील 'अत्यंत कठिन और चुनौतीपूर्ण' लेनदेन : सिंधिया

नई दिल्ली:

सरकार ने गुरुवार को एयर इंडिया (Air India) को आधिकारिक रूप से टाटा ग्रुप को सौंप दिया. केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने टाटा-एयर इंडिया डील (Tata-Air India Deal) पर शुक्रवार को एनडीटीवी से कहा, "एयर इंडिया को बेचना पड़ा क्योंकि उसका कर्ज एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया था जहां पर सरकार के लिए इसे चलाना संभव नहीं रह गया था." 

सिंधिया ने कहा, "टाटा ग्रुप को एयर इंडिया की बिक्री करना एक "बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण लेनदेन" था. उन्होंने कहा, "यह एक ऐतिहासिक लेनदेन रहा, जिसके अंदर सभी कर्जों का ध्यान रखा गया और यह वास्तव में एक ऐसा लेनदेन था, जहां सभी पक्षों को किसी न किसी तरह लाभ हुआ. एकाउंटेंसी की दृष्टि से यह एक अत्यंत कठिन और चुनौतीपूर्ण लेनदेन था." 

उन्होंने कहा, "कई कानूनी प्रक्रियाएं भी सामने आईं और उन सभी को एक निश्चित समयसीमा के तहत पूरा किया जाना था. यह एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन हम यह सब करने में कामयाब रहे." सिंधिया ने कहा, "मैं दोनों पक्षों के सभी अधिकारियों का धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस प्रक्रिया में काफी मेहनत की और यह सुनिश्चित किया कि यह लेनदेन सफलतापूर्वक पूरा हो. इसका श्रेय उन्हें जाता है."

31 अगस्त 2021 तक एयर इंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था. इसमें से 46,262 करोड़ रुपये स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) को ट्रांसफर किया गया. बाकी बचा कर्ज टाटा की ओर से चुकाया गया.

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टाटा ने कर्ज में डूबी एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली 18,000 करोड़ रुपये में जीत ली थी. टाटा ने 2,700 करोड़ रुपये का भुगतान नकद में किया और 15,300 करोड़ रुपये की कर्ज देनदारी अपने ऊपर ली.  

सिंधिया ने एनडीटीवी को बताया, "एयर इंडिया बहुत ज्यादा नुकसान में थी और बोझ कर्जदाताओं पर था. यह सही नहीं था. इसलिए यह सौदा हुआ. यह लेनदेन सभी पक्षों के लिए फायदे का सौदा ( win-win transaction) रहा. एयर इंडिया अब अपने पुराने मालिकों के पास वापस आ गई है. मुझे यकीन है कि उनके प्रबंधन में एयर इंडिया का आगे का भविष्य उज्ज्वल है."

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उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के कर्मचारियों की नौकरी एक साल के लिए सुरक्षित है. वह एयरलाइन के बेहतर भविष्य के लिए बराबर के हितधारक हैं.

एयर इंडिया टाटा के कुनबे की तीसरा एयरलाइन ब्रांड है. टाटा की एयरएशिया इंडिया और विस्तारा एयरलाइंस में बहुतायत हिस्सेदारी है. 

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