प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
व्हाट्सऐप पर सरकार ने बैकफुट अख्तियार करते हुए ड्राफ्ट वापस ले लिया है। इससे जुड़ा मसौदा अब दोबारा तैयार किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये कहा कि सोशल मीडिया की आजादी बरकरार रहेगी, लेकिन इनक्रिप्शन को रेगुलेट करना जरूरी है, जिसके लिए नया मसौदा तैयार किया जाएगा। यह एक ड्राफ्ट कॉपी थी और मैंने DEITY (डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) को इस ड्राफ्ट को वापस लेने के लिए कहा है।
इससे पहले सरकार एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रही थी, जिसके मुताबिक आप अपने व्हाट्सऐप संदेश को 90 दिनों तक डिलिट नहीं कर पाते, हालांकि सरकार इसके पीछे अपराध नियंत्रण और सुरक्षा पहलुओं की दलील दे रही थी।
जानिये क्या है पूरा मामला और क्यों हुआ विवाद
दरअसल, सरकार एक नई राष्ट्रीय इनक्रिप्टिंग नीति लाने जा रही है, जो वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी गई है। प्रस्ताव के मुताबिक, देश के बाहर मौजूद कंपनियों को भारत में इनक्रिप्टेड सर्विसेज देने के लिए सरकार से समझौता करना होगा।
इसके दायरे में देश के करीब 7 करोड़ लोग भी आ जाएंगे जो व्हाट्सऐप, आई मैसेज इस्तेमाल करते हैं। बिना रजिस्ट्रेशन ऐसा करना अवैध हो जाएगा।
-नई इनक्रिप्शन पॉलिसी की ड्राफ्ट कॉपी की इंटरनेट पर निंदा हुई। इसके बाद सरकार ने पूरे मामले पर स्पष्टीकरण दिया। सरकार ने बताया कि सोशल मीडिया, इंटरनेट बैंकिंग और ई-कॉमर्स नए गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं आएंगे।
-जब आप व्हाट्सऐप मैसेज भेजते हैं तो यह अपने आप इनक्रिप्ट हो जाता है और फिर दूसरे यूज़र के पास पहुंचने के बाद यह खुद-ब-खुद डीक्रिप्ट होकर प्लेन टेक्स्ट में तब्दील हो जाता है।
-केंद्र सरकार ने जिस नई नेशनल इनक्रिप्शन पॉलिसी पर जनता से फीडबैक मांगा था उसकी भाषा को लेकर जानकार चिंतित हैं। इसमें साफ तौर पर लिखा था कि यूज़र को 90 दिनों तक प्लेन टेक्स्ट मैसेज को स्टोर करना होगा।
-सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के अनुसार, भारत और भारत के बाहर से काम कर रहे सभी सर्विस प्रोवाइडर जो इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी के जरिये किसी भी तरह की सेवा मुहैया करा रहे हैं, उन्हें भारत में सर्विस देने के लिए केंद्र सरकार के साथ समझौता करना होगा।
-पॉलिसी की भाषा बेहद ही लचीली थी, जिस कारण से कई ऐप्स और व्हाट्सऐप जैसे सर्विस इसकी जद में आ रहे थे। सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद सरकार ने बताया कि सोशल मीडिया, इंटरनेट बैंकिंग और ई-कॉमर्स नए गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं आएंगे।
इससे पहले सरकार एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रही थी, जिसके मुताबिक आप अपने व्हाट्सऐप संदेश को 90 दिनों तक डिलिट नहीं कर पाते, हालांकि सरकार इसके पीछे अपराध नियंत्रण और सुरक्षा पहलुओं की दलील दे रही थी।
जानिये क्या है पूरा मामला और क्यों हुआ विवाद
दरअसल, सरकार एक नई राष्ट्रीय इनक्रिप्टिंग नीति लाने जा रही है, जो वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी गई है। प्रस्ताव के मुताबिक, देश के बाहर मौजूद कंपनियों को भारत में इनक्रिप्टेड सर्विसेज देने के लिए सरकार से समझौता करना होगा।
इसके दायरे में देश के करीब 7 करोड़ लोग भी आ जाएंगे जो व्हाट्सऐप, आई मैसेज इस्तेमाल करते हैं। बिना रजिस्ट्रेशन ऐसा करना अवैध हो जाएगा।
-नई इनक्रिप्शन पॉलिसी की ड्राफ्ट कॉपी की इंटरनेट पर निंदा हुई। इसके बाद सरकार ने पूरे मामले पर स्पष्टीकरण दिया। सरकार ने बताया कि सोशल मीडिया, इंटरनेट बैंकिंग और ई-कॉमर्स नए गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं आएंगे।
-जब आप व्हाट्सऐप मैसेज भेजते हैं तो यह अपने आप इनक्रिप्ट हो जाता है और फिर दूसरे यूज़र के पास पहुंचने के बाद यह खुद-ब-खुद डीक्रिप्ट होकर प्लेन टेक्स्ट में तब्दील हो जाता है।
-केंद्र सरकार ने जिस नई नेशनल इनक्रिप्शन पॉलिसी पर जनता से फीडबैक मांगा था उसकी भाषा को लेकर जानकार चिंतित हैं। इसमें साफ तौर पर लिखा था कि यूज़र को 90 दिनों तक प्लेन टेक्स्ट मैसेज को स्टोर करना होगा।
-सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के अनुसार, भारत और भारत के बाहर से काम कर रहे सभी सर्विस प्रोवाइडर जो इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी के जरिये किसी भी तरह की सेवा मुहैया करा रहे हैं, उन्हें भारत में सर्विस देने के लिए केंद्र सरकार के साथ समझौता करना होगा।
-पॉलिसी की भाषा बेहद ही लचीली थी, जिस कारण से कई ऐप्स और व्हाट्सऐप जैसे सर्विस इसकी जद में आ रहे थे। सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद सरकार ने बताया कि सोशल मीडिया, इंटरनेट बैंकिंग और ई-कॉमर्स नए गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं आएंगे।
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