मुंबई में हुए आतंकी हमले के छह साल बाद सरकार मछली पकड़ने वाली छोटी नौकाओं में टोह लेने वाले उपकरण स्थापित करने जा रही है। ये उपकरण नौकाओं में मुफ्त लगाए जाएंगे और इनसे समुद्रतट पर उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सकेगी और सुरक्षा खतरे को काबू किया सकेगा।
पिछली सरकार ने इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी और काफी वक्त टोह लेने वाली तकनीक और उपकरण के वित्त पोषण पर फैसला लेने में चला गया। इसके अलावा इस मुद्दे पर मछुआरों ने भी कड़ा विरोध किया था।
इन चिंताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कैबिनेट में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें लंबाई में 20 मीटर से छोटी मछली पकड़ने वाली नौकाओं में नि:शुल्क ट्रांसपोंडर लगाने की मंजूरी मांगी गई थी, जो समुद्र तट से 50 किलोमीटर की दूरी तक नौकाओं की गतिविधियों की टोह ले सके।
मंत्रालय ने प्रत्येक ट्रांसपोंडर की अनुमानित कीमत 16,800 रुपये लगाई है और छोटी नौकाओं में दो लाख ट्रांसपोंडर लगाने के लिए 336 करोड़ रुपये का कोष मांगा है।
प्रस्ताव के मुताबिक, गृहमंत्रालय ट्रांसपोंडर लगाने का सारा खर्च वहन करेगा, जबकि परियोजना को लागू कृषि मंत्रलाय के तहत आने वाले पशुपालन विभाग और डेयरी और मत्स्य पालन विभाग द्वारा किया जाएगा।
प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी सहायता जहाजरानी मंत्रालय के तहत आने वाले ‘डायरेक्रेट जनरल ऑफ लाइटहाउस’ और ‘लाइटशिप्स’ (डीजीएलएल) द्वारा दिया जाएगा।
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) के लिए तैयार किए गए गृहमंत्रालय के नोट के मुताबिक, यह इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मछली पकड़ने वाली छोटी नौकाओं की गतिविधियों की टोह लेने के लिए कोई औपचारिक तंत्र नहीं है जो तटीय सुरक्षा को कुशल बनाने के लिए बड़ी चुनौती है। फिलहाल 20 मीटर से लंबी नौकाओं की टोह लेने के लिए तंत्र है, लेकिन ऐसी सुविधा इससे कम लंबाई की नौकाओं के लिए नहीं है।
कैबिनेट नोट में बताया गया है कि इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय द्वारा बनाई गई विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर गृहमंत्रालय ने छोटी नौकाओं पर ‘एआईएस (पी)’ स्थापित करने का प्रस्ताव पेश किया है।
औपचारिक सूत्रों के मुताबिक, विशेषज्ञ पैनेल ने छोटी नौकाओं की टोह लेने के लिए ‘ऑटोमेटिक इनफोर्मेंशन सिस्टम-प्रोप्राइटरी’ (एआईएस-पी) स्थापित करने का सुझाव दिया था। समिति ने यह सुझाव तीन तरह के उपकरणों का मूल्यांकन करने के बाद दिया जिनका परीक्षण पायलट आधार पर डीजीएलएल और भारतीय कोस्ट गार्ड ने किया था।
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