नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ ‘कार्रवाई’ की मंजूरी दी थी जिसमें उग्रवादियों के दो शिविरों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया गया।
राठौर ने एनडीटीवी से कहा, ‘यह इन उग्रवादियों की आदत बन गई थी कि वे सेना या अर्धसैनिक बलों अथवा देश के नागरिकों पर हमले करते थे और उसके बाद में भागकर सीमापार स्थित अपने सुरक्षित पनाहगाह में शरण ले लेते थे क्योंकि उन्हें इस बात का भरोसा था कि भारतीय सशस्त्र बल उनका पीछा नहीं करेंगे।’
मंत्री ने कहा, ‘उन सभी के लिए अब बिल्कुल स्पष्ट संदेश है जो हमारे देश में आतंकवादी इरादे रखते हैं। यह यद्यपि अभूतपूर्व है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया और म्यांमार में कार्रवाई के लिए मंजूरी दी।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि भारतीय सशस्त्र बलों ने सीमा पार करके म्यांमार में प्रवेश किया और दो उग्रवादी शिविरों के खिलाफ कार्रवाई की और पूरे शिविर को नेस्तनाबूद कर दिया। सशस्त्र बल उसके बाद सुरक्षित वापस लौट आये।’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत यह रणनीति अन्य क्षेत्रों जैसे पश्चिमी क्षेत्र जिसका अर्थ है पाकिस्तान में भी अपनायेगा, मंत्री ने कहा, ‘यह नि:संदेह तौर पर उन सभी देशों को एक संदेश है जो आतंकवादी इरादे रखते हैं, चाहे वे पश्चिम हों या वह विशिष्ट देश जहां हम वर्तमान समय में गए।’
उन्होंने कहा, ‘यदि देश में भी ऐसे समूह है जो आतंकवादी इरादे रखते हैं तो हम उन्हें निशाना बनाने के सही समय और स्थान का चयन करेंगे। वहीं सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राठौर ने म्यामांर में सेना के अभियान की प्रशंसा की और कहा कि यह एक शुरूआत है। उन्होंने कहा कि ‘पश्चिमी दिक्कतों से भी समान रूप से निपटा जाएगा।’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय सेना के अभियान को म्यामांर सेना और वहां की सरकार का समर्थन प्राप्त था, राठौर ने कहा, ‘म्यांमार एक मित्र देश है और इसलिए पूर्ण सहयोग था, यदि जरूरत होती।’
उन्होंने कहा कि अभियान को विशेष बलों ने ‘पूरी तरह से स्वयं’ अंजाम दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या अभियान में हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया गया, उन्होंने कहा, ‘हमारे कई अन्य बल किसी विपरीत स्थिति से निपटने के लिए तैयार बैठे थे।’
मंत्री से पूछा गया कि क्या यह आतंकवाद से निपटने में भारत की रणनीति में बदलाव का प्रतीक है, उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह समय की जरूरत है और पूरा देश यह चाहता था और इसी कारण से लोगों ने केंद्र में एक मजबूत सरकार को वोट किया। यह (उग्रवादियों की) आदत बन गई थी। यह कुश्ती का मैच नहीं है कि तुम अपने क्षेत्र में चले जाओगे तो तुम्हे कोई पकड़ेगा नहीं। यह संदेश बहुत महत्वपूर्ण है कि हम तुम्हे निशाना बनाएंगे चाहे तुम कहीं भी रहो।’
मंत्री ने कहा, ‘विश्व के किसी भी स्थान पर भारतीयों पर हमले अस्वीकार्य हैं और प्रभावी गुप्तचर के आधार पर हम अपने चुने हुए स्थान पर समय पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ हमले करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हमें इस अभियान में कोई नुकसान नहीं हुआ। सेना के पास मजबूत क्षमता है और उसे एक मजबूत नेता की जरूरत है जो ऐसे कड़े निर्णय कर सके।’
(साथ में इनपुट एजेंसी से)
राठौर ने एनडीटीवी से कहा, ‘यह इन उग्रवादियों की आदत बन गई थी कि वे सेना या अर्धसैनिक बलों अथवा देश के नागरिकों पर हमले करते थे और उसके बाद में भागकर सीमापार स्थित अपने सुरक्षित पनाहगाह में शरण ले लेते थे क्योंकि उन्हें इस बात का भरोसा था कि भारतीय सशस्त्र बल उनका पीछा नहीं करेंगे।’
मंत्री ने कहा, ‘उन सभी के लिए अब बिल्कुल स्पष्ट संदेश है जो हमारे देश में आतंकवादी इरादे रखते हैं। यह यद्यपि अभूतपूर्व है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया और म्यांमार में कार्रवाई के लिए मंजूरी दी।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि भारतीय सशस्त्र बलों ने सीमा पार करके म्यांमार में प्रवेश किया और दो उग्रवादी शिविरों के खिलाफ कार्रवाई की और पूरे शिविर को नेस्तनाबूद कर दिया। सशस्त्र बल उसके बाद सुरक्षित वापस लौट आये।’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत यह रणनीति अन्य क्षेत्रों जैसे पश्चिमी क्षेत्र जिसका अर्थ है पाकिस्तान में भी अपनायेगा, मंत्री ने कहा, ‘यह नि:संदेह तौर पर उन सभी देशों को एक संदेश है जो आतंकवादी इरादे रखते हैं, चाहे वे पश्चिम हों या वह विशिष्ट देश जहां हम वर्तमान समय में गए।’
उन्होंने कहा, ‘यदि देश में भी ऐसे समूह है जो आतंकवादी इरादे रखते हैं तो हम उन्हें निशाना बनाने के सही समय और स्थान का चयन करेंगे। वहीं सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राठौर ने म्यामांर में सेना के अभियान की प्रशंसा की और कहा कि यह एक शुरूआत है। उन्होंने कहा कि ‘पश्चिमी दिक्कतों से भी समान रूप से निपटा जाएगा।’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय सेना के अभियान को म्यामांर सेना और वहां की सरकार का समर्थन प्राप्त था, राठौर ने कहा, ‘म्यांमार एक मित्र देश है और इसलिए पूर्ण सहयोग था, यदि जरूरत होती।’
उन्होंने कहा कि अभियान को विशेष बलों ने ‘पूरी तरह से स्वयं’ अंजाम दिया। यह पूछे जाने पर कि क्या अभियान में हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया गया, उन्होंने कहा, ‘हमारे कई अन्य बल किसी विपरीत स्थिति से निपटने के लिए तैयार बैठे थे।’
मंत्री से पूछा गया कि क्या यह आतंकवाद से निपटने में भारत की रणनीति में बदलाव का प्रतीक है, उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह समय की जरूरत है और पूरा देश यह चाहता था और इसी कारण से लोगों ने केंद्र में एक मजबूत सरकार को वोट किया। यह (उग्रवादियों की) आदत बन गई थी। यह कुश्ती का मैच नहीं है कि तुम अपने क्षेत्र में चले जाओगे तो तुम्हे कोई पकड़ेगा नहीं। यह संदेश बहुत महत्वपूर्ण है कि हम तुम्हे निशाना बनाएंगे चाहे तुम कहीं भी रहो।’
मंत्री ने कहा, ‘विश्व के किसी भी स्थान पर भारतीयों पर हमले अस्वीकार्य हैं और प्रभावी गुप्तचर के आधार पर हम अपने चुने हुए स्थान पर समय पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ हमले करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हमें इस अभियान में कोई नुकसान नहीं हुआ। सेना के पास मजबूत क्षमता है और उसे एक मजबूत नेता की जरूरत है जो ऐसे कड़े निर्णय कर सके।’
(साथ में इनपुट एजेंसी से)
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