लोकसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत से अभिभूत विहिप ने दावा किया कि दिल्ली में 800 साल बाद 'गौरवशाली हिंदू' शासन करने आए हैं। साथ ही, स्कूलों में संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य बनाए जाने की भी मांग की।
विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने राजधानी दिल्ली में आज से शुरू हुए तीन दिवसीय विश्व हिंदू सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी कहा, 'आने वाले समय में कई और चीजें अनिवार्य की जाएंगी।'
हालांकि, सिंघल ने भाजपा की चुनावी जीत का सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया, पर उन्होंने कहा कि दिल्ली पर पृथ्वीराज चौहान के शासन के 800 साल बाद गौरवान्वित हिंदुओं का राजधानी में शासन आया है। सिंघल राम जन्म भूमि आंदोलन में एक अहम चेहरा थे।
गौरतलब है कि चौहान को मुसलमानों के शासन से पहले अंतिम हिंदू शासक माना जाता है और इसके बाद अंग्रेजों ने 1947 में स्वतंत्रता मिलने तक राज किया।
केंद्रीय विद्यालय स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में जर्मन की जगह संस्कृत लागू किए जाने के विवाद पर सिंघल ने कहा कि प्राचीन भारतीय भाषा को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को एक साथ आना चाहिए और दुनिया को मूल्यों पर आधारित नेतृत्व को दिखाना चाहिए। लेकिन यह किसी चीज या किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं होना चाहिए। पर भारतीय मूल्यों को ध्यान में रखना चाहिए जो दुनिया के लिए शिक्षक रहा है।
भागवत ने हिंदुओं से मजबूत और निडर होने को कहा ताकि दुनिया की बुराई की कामना करने वाला कोई व्यक्ति हर एक इंसान के कल्याण को लक्षित काम को नहीं रोक सकें।
इस मौके पर मौजूद तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा ने कहा कि बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म 'आध्यात्मिक रूप से भाई' हैं तथा उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि अहिंसा और धार्मिक सदभाव का प्राचीन हिंदू मूल्य दुनिया में सौहार्द को फैलाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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