नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के वेतन में शीघ्र वृद्धि हो सकती है क्योंकि सरकार के संसद के अगले सत्र में इस संबंध में एक विधेयक लाने की संभावना है. प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने हाल में सरकार को एक पत्र लिखा था जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि की मांग की गई थी.
सरकार में सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है और संसद के बजट सत्र के दौरान उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन अधिनियम को पेश किया जा सकता है. संसद का बजट सत्र फरवरी के प्रथम सप्ताह में शुरू होगा.
सूत्रों ने इस बात को साझा करने से मना कर दिया कि सीजेआई ने कितने वेतन वृद्धि की मांग की है लेकिन उन्होंने कहा कि वेतन वृद्धि को अमली जामा पहनाने के लिए अधिनियम में संशोधन किया जाना है. संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त होने वाला है. उन्होंने कहा कि अब विधेयक को बजट सत्र में पेश किया जाएगा.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को फिलहाल वेतन और भत्ते से कटौती के बाद हाथ में प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये मिलते हैं. सीजेआई को इससे अधिक राशि मिलती है जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कम राशि मिलती है. इस राशि में किराया मुक्त आवास शामिल नहीं है, जो न्यायाधीशों को सेवा में रहने के दौरान प्रदान किया जाता है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद मामला पहले ही सरकार के विचाराधीन है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सरकार में सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है और संसद के बजट सत्र के दौरान उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन अधिनियम को पेश किया जा सकता है. संसद का बजट सत्र फरवरी के प्रथम सप्ताह में शुरू होगा.
सूत्रों ने इस बात को साझा करने से मना कर दिया कि सीजेआई ने कितने वेतन वृद्धि की मांग की है लेकिन उन्होंने कहा कि वेतन वृद्धि को अमली जामा पहनाने के लिए अधिनियम में संशोधन किया जाना है. संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त होने वाला है. उन्होंने कहा कि अब विधेयक को बजट सत्र में पेश किया जाएगा.
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को फिलहाल वेतन और भत्ते से कटौती के बाद हाथ में प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये मिलते हैं. सीजेआई को इससे अधिक राशि मिलती है जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कम राशि मिलती है. इस राशि में किराया मुक्त आवास शामिल नहीं है, जो न्यायाधीशों को सेवा में रहने के दौरान प्रदान किया जाता है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद मामला पहले ही सरकार के विचाराधीन है.
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