नई दिल्ली:
अपने विज्ञापनों पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार हर महीने करीब 8 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। सरकार का दावा है कि यह पैसा जनता के हित में खर्च किया जा रहा है।
दिल्ली हाइकोर्ट में दाखिल हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा है कि 13 मई 2015 से अब तक प्रिंट, टीवी मीडिया और बाहरी विज्ञापनों पर 22 करोड़ 33 लाख 24 हजार 659 रुपये खर्च किए गए। इस हिसाब से मई से अब तक 8 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च हुए। इसके लिए 523 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, ताकि सरकार की पालिसी जनता तक पहुंचाई जा सके।
सरकार का मत है कि जनता के पैसे के दुरुपयोग वाली याचिका राजनीति से प्रेरित है और इसमें जानकारी गलत दी गई है। (पढ़ें - सिसौदिया बोले, बेईमानों ने जब स्विस बैंक में जमा किया पैसा तब तो कोई नहीं बोला)
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों पर दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई को पांच अगस्त तक टाल दिया गया, लेकिन हाइकोर्ट ने सोमवार की शाम तक ही दिल्ली सरकार को खर्च का ब्यौरा देने के आदेश दिए थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा था कि वह बताए कि कितना पैसा उन तमाम विज्ञापनों पर खर्च कर चुके हैं जो लगातार तमाम रेडियो और टीवी चैनलों पर चल रहे हैं।
कांग्रेसी नेता अजय माकन की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कहा था कि यह विज्ञापन करदाताओं के रुपये की बरबादी है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मामले में साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन हुआ है।
दिल्ली हाइकोर्ट में दाखिल हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा है कि 13 मई 2015 से अब तक प्रिंट, टीवी मीडिया और बाहरी विज्ञापनों पर 22 करोड़ 33 लाख 24 हजार 659 रुपये खर्च किए गए। इस हिसाब से मई से अब तक 8 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च हुए। इसके लिए 523 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था, ताकि सरकार की पालिसी जनता तक पहुंचाई जा सके।
सरकार का मत है कि जनता के पैसे के दुरुपयोग वाली याचिका राजनीति से प्रेरित है और इसमें जानकारी गलत दी गई है। (पढ़ें - सिसौदिया बोले, बेईमानों ने जब स्विस बैंक में जमा किया पैसा तब तो कोई नहीं बोला)
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों पर दिल्ली हाइकोर्ट में सुनवाई को पांच अगस्त तक टाल दिया गया, लेकिन हाइकोर्ट ने सोमवार की शाम तक ही दिल्ली सरकार को खर्च का ब्यौरा देने के आदेश दिए थे। दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा था कि वह बताए कि कितना पैसा उन तमाम विज्ञापनों पर खर्च कर चुके हैं जो लगातार तमाम रेडियो और टीवी चैनलों पर चल रहे हैं।
कांग्रेसी नेता अजय माकन की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कहा था कि यह विज्ञापन करदाताओं के रुपये की बरबादी है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मामले में साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन हुआ है।
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