
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी संसद भवन में अपने पुराने कमरे में ही बैठेंगे, क्योंकि सरकार ने मंगलवार को उनके लिए यही कमरा तय किया। इससे कुछ दिन पहले, अटकलें थीं कि आडवाणी का कमरा बदला जा सकता है।
आडवाणी की नेमप्लेट संसद भवन के कक्ष संख्या चार के बाहर फिर से लगाई गई। हालांकि अब इस पर उनका पूर्व पद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के कार्यकारी अध्यक्ष नहीं लिखा है। आडवाणी कुछ समय के लिए मंगलवार को अपने ही कमरे में बैठे और उनके स्टाफ ने भी अपनी सीटें ग्रहण कीं।
नया घटनाक्रम ऐसे समय हुआ, जब संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और सुनिश्चित किया कि पार्टी नेता को पसंदीदा कमरा मिले। आडवाणी पिछले सप्ताह उनकी नेमप्लेट 'हटाए जाने' के बाद नाखुश थे।
आडवाणी अपनी नाखुशी जताते हुए पिछले सप्ताह सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह में लोकसभा में आठवीं पंक्ति में बैठे थे और उन्होंने भाजपा संसदीय दल के कार्यालय में आराम करने का फैसला किया।
यह स्पष्ट नहीं है कि वह एनडीए के कार्यकारी अध्यक्ष बने रहेंगे या नहीं, जबकि वह भाजपा के संसदीय दल के प्रमुख बने हुए हैं। नायडू और संतोष गंगवार मंगलवार सुबह इस कमरे में आए और उन्होंने स्टाफ को निर्देश दिया कि आडवाणी पहले की तरह इसी कमरे में बने रहेंगे।
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