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This Article is From Mar 22, 2012

आदर्श घोटाला : सोसायटी को इमारत रक्षा मंत्रालय को सौंपने की सलाह

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने घोटाले से जुड़ी आदर्श सोसायटी के सदस्यों से अपनी गलती महसूस करने और विवादित इमारत रक्षा मंत्रालय को सौंपने की सलाह देते हुए गुरुवार को कहा, ‘देश की सुरक्षा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।’ न्यायमूर्ति पीबी मजूमदार और न्यायमूर्ति आर डी धानुक की खंडपीठ ने कहा, ‘अपनी (सोसायटी) गलती स्वीकार करने और कानून के आगे आत्मसमर्पण करने में कुछ भी गलत नहीं है। हो सकता है कि आपने तब गलती की हो लेकिन हृदय परिवर्तन तो हो सकता है।’

पीठ ने कहा, ‘आप हत्यारे या आतंकवादी या बड़े अपराधी नहीं हैं। इमारत वापस रक्षा मंत्रालय को दे दीजिए।’ न्यायमूर्ति मजूमदार ने कहा कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि होती है। उन्होंने कहा, ‘हमें आतंकवादी हमलों से सीख लेनी चाहिए। आतंकवादी ताज होटल तक पहले ही आ चुके हैं। कल को वे संवेदनशील रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकते हैं। यह गंभीर मामला है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।’ कभी भी पैसे और जमीन जायदाद के पीछे नहीं भागने वाले महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए पीठ ने कहा कि आज के नेताओं और नौकरशाहओं को अपनी गलती माननी चाहिए और राष्ट्रपिता का अनुसरण करना चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘भविष्य में, जनता इन नेताओं को याद रखेगी और कहेगी कि उनमें अपनी गलती स्वीकार करने का साहस था।’ उच्च न्यायालय ने बृहनमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) और योजना प्राधिकरण एमएमआरडीए द्वारा सोसायटी को मंजूरी देने पर भी सवाल उठाए।

अदालत ने बीएमसी और एमएमआरडीए को अगली सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा कि उन्होंने आदर्श सोसायटी को मंजूरी देने से पहले सुरक्षा के पहलू पर विचार किया था या नहीं।

अदालत ने इन संस्थाओं से पूछा, ‘स्पष्ट कीजिये कि क्या रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया गया? रक्षा मंत्रालय को भी बताना होगा कि अगर एनओसी दिया गया तो किस विभाग द्वारा दिया गया और क्या विभाग के पास अनुमति देने का अधिकार है?’ दक्षिण मुंबई के कोलाबा में बनी इस विवादित इमारत को पास के रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

बारह मार्च को पिछली सुनवाई के दौरान धीमी जांच को लेकर सीबीआई को फटकार लगाने वाली पीठ ने आज इस मामले की प्रगति पर संतुष्टि जताई। सीबीआई ने मंगलवार से इस मामले में सेवानिवृत्त सेना अधिकारियों और एक शीर्ष पदासीन आईएएस अधिकारी सहित सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

पीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंगलवार से सात आरोपियों की गिरफ्तारी होने को लेकर मामले की प्रगति पर संतोष जताया। महाराष्ट्र सरकार के अधिवक्ता रवि कदम ने अदालत को यह भी सूचित किया आईएएस अधिकारी प्रदीप व्यास और जयराज पाठक को मामले में कथित भूमिका निभाने को लेकर निलंबित कर दिया गया है। घोटाले के वक्त व्यास मुंबई के आयुक्त थे जबकि पाठक शहर के नगर निगम आयुक्त थे।

अदालत ने जांच की प्रगति पर संतोष जताते हुए कहा, ‘अब चीजें सही दिशा में हो रही हैं। हम अब तक की गई जांच से संतुष्ट हैं और पूरा यकीन है कि जांच यथाशीघ्र पूरी हो जाएगी।’

गौरतलब है कि पीठ ने सबूत होने के बावजूद घोटाले में बड़े नेताओं की गिरफ्तारी में सीबीआई के नाकाम रहने को लेकर उसे 12 मार्च को कड़ी फटकार लगाई थी और जांच एजेंसी को बेखौफ होकर तथा बगैर पक्षपात के काम करने का निर्देश दिया था।

पीठ ने कहा था, ‘बेखौफ होकर और बगैर पक्षपात के कार्रवाई कीजिए। हम इस बात से सहमत हैं कि कुछ लोग बड़े नेता हैं लेकिन सीबीआई को कार्रवाई शुरू कर संदेश देना चाहिए कि गलत काम करने वाला व्यक्ति, चाहे वह कोई भी हो..उसे दंडित किया जाएगा।’

कांग्रेस के पूर्व विधान परिषद सदस्य केएल गिडवानी ही एक मात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें इस घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। इस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी आरोपी हैं। जांच एजेंसी ने सेना के शीर्ष छह सेवानिवृत अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया है। इनमें राज्य के वित्त सचिव प्रदीप व्यास भी शामिल हैं। कभी भी पैसे और जमीन जायदाद के पीछे नहीं भागने वाले महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए पीठ ने कहा कि आज के नेताओं और नौकरशाहों को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए और राष्ट्रपिता का अनुसरण करना चाहिए।

अदालत ने कहा, ‘भविष्य में, जनता इन नेताओं को याद रखेगी और कहेगी कि उनमें अपनी गलती स्वीकार करने का साहस था।’ उच्च उन्यायालय ने बृहनमुंबई नगरपालिका परिषद (बीएमसी) और योजना प्राधिकरण एमएमआरडीए द्वारा सोसायटी को मंजूरी देने पर भी सवाल उठाए।

अदालत ने बीएमसी और एमएमआरडीए को 30 अप्रैल को अगली सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा कि उन्होंने आदर्श सोसायटी को मंजूरी देने से पहले सुरक्षा के पहलू पर विचार किया था या नहीं।

अदालत ने कहा, ‘यह बताया जाए कि क्या रक्षा मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया था। रक्षा मंत्रालय को भी यह बताना होगा कि यदि यह जारी किया गया था तो किस विभाग ने इसे जारी किया था और क्या उस विभाग को इसे जारी करने का प्राधिकार है?’ दक्षिण मुंबई के कोलाबा में बनी इस विवादित इमारत को पास के रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है।

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