नए सबूतों' के आधार पर हुई पांच वाम विचारकों की गिरफ्तारी, एक हफ्ते तक रखी गई थी नज़र : पुलिस

पुणे पुलिस का दावा- गिरफ्तारियां ऐसे सबूतों के आधार पर की गई जिनसे पता चलता है कि आरोपी 'बड़ी साज़िश' रच रहे थे

नए सबूतों' के आधार पर हुई पांच वाम विचारकों की गिरफ्तारी, एक हफ्ते तक रखी गई थी नज़र : पुलिस

पुलिस ने गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया है.

खास बातें

  • देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी
  • कार्यकर्ताओं पर पुणे पुलिस लगभग एक हफ्ते से करीबी नज़र रखे हुए थी
  • पांचों नई गिरफ्तारियां उन्हीं लोगों कीं, जो जातिसंघर्ष के पीछे: पुलिस
नई दिल्ली:

भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की मंगलवार को की गई गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद पुणे पुलिस के सूत्रों ने दावा किया है कि गिरफ्तारियां ऐसे सबूतों के आधार पर की गई हैं, जिनसे पता चलता है कि आरोपी 'बड़ी साज़िश' रच रहे थे. हालांकि यह साफ नहीं हो पाया है कि वह साज़िश क्या थी.

पुलिस सूत्रों का दावा है कि इन कार्यकर्ताओं पर पुणे पुलिस लगभग एक हफ्ते से करीबी नज़र रखे हुए थी. इनके घरों पर छापे मारे जाने से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 'नए सबूतों' की जानकारी दे दी गई थी. हालांकि यह नहीं बताया गया कि नए सबूत क्या थे.

कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साज़िश रची गई है, लेकिन पुलिस ने यह भी कहा कि इस सिलसिले से जुड़ाव की कोई नई जानकारी सामने नहीं आई है.

10 कार्यकर्ताओं के घरों की तलाशी ली गई, और पांच - माओवादी विचारक वरवरा राव, वकील सुधा भारद्वाज, कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा व वरनॉन गोन्सालवेज़ - को मंगलवार शाम को एक ही समय पर छापे मारकर गिरफ्तार किया गया था.

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पुलिस का कहना है कि ये गिरफ्तारियां इसी साल जून माह में की गई पांच अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों के बाद की गई हैं, जिनके दौरान काफी मात्रा में डेटा पुलिस के हाथ लगा था.

पहले गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं पर पुणे के निकट भीमा-कोरेगांव गांव में दलितों तथा सवर्ण मराठियों के बीच 1 जनवरी को हुई हिंसा के आरोप लगाए गए थे.

पुलिस का कहना है कि पांचों नई गिरफ्तारियां भी उन्हीं लोगों की हैं, जो जातिसंघर्ष के पीछे थे, लेकिन दूसरी ओर पुलिस यह भी कहती है कि अभी यह पता नहीं लगा है कि 'आरोपियों ने हिंसा को कैसे भड़काया...'

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पुलिस ने कहा कि आरोपी देश के 35 बड़े विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों से संपर्क में थे, ताकि 'युवा विद्यार्थियों को अपनी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए भर्ती किया जा सके.'

सूत्रों ने बताया कि पुलिस उन विद्यार्थियों से सवाल-जवाब करेगी, जिनसे आरोपियों ने संपर्क साधा था.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, "ये लोग देशभर में कई प्रोफेसरों से भी संपर्क में थे, इन्होंने एक-दूसरे से संपर्क साधने के लिए व्हॉट्सऐप तथा सोशल मीडिया एकाउंट भी बनाए..."

पुलिस का दावा है कि वरवरा राव ही 'शहरी नक्सलवादियों' का थिंकटैंक थे तथा फाइनेंसरों में से एक थे.

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सूत्रों का आरोप है कि गौतम नवलखा 'कश्मीर में मौजूद नक्सल कट्टरपंथियों' से समन्वय बनाए रखता था, जबकि अब तक इस बात का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है कि कश्मीर में नक्सलवादी सक्रिय हैं.

उनका यह भी कहना है कि सुधा भारद्वाज तथा अरुण फरेरा 'ज़रूरत पड़ने पर सभी प्रकार की कानूनी सहायता दिया करते थे', लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उन्होंने किसे यह सहायता दी.

पुलिस सूत्रों का कहना है, "अब तथा जून में गिरफ्तार किए गए लोगों के बीच एक-दूसरे को भेजे गए ईमेल से पुणे पुलिस को साफ सबूत मिला है कि वे एक दूसरे से जुड़े हुए थे, और किसी कोड भाषा में एक-दूसरे से बातें किया करते थे..."

VIDEO : भीमा कोरेगांव मामले में कई जगह छापे

पुलिस का कहना है कि उन्होंने न सिर्फ आरोपियों से, बल्कि उनके संबंधियों से भी लैपटॉप, हार्डडिस्क, पेनड्राइव, दस्तावेज़, जर्नल तथा मोबाइल फोन ज़ब्त किए हैं.


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