वीरभद्र सिंह (फाइल फोटो)
चंडीगढ़:
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के निजी प्रधान सचिव के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग के मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में ठन गई है। विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार पर जांच अधिकारी का उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
सोमवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बीजेपी ने दागी अफसर को बचाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस की वीरभद्र सिंह सरकार को घेरा। बीजेपी नेता सरकार से प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक बी एस नेगी के मामले पर बहस चाहते थे। नेगी मुख्यमंत्री के सीनियर निजी सचिव सुभाष अहलूवालिया के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग के मामले की जांच कर रहे हैं। अहलूवालिया इससे पहले 2003 से 2007 के बीच वीरभद्र सिंह के निजी सचिव रह चुके हैं। सन 2008 में बीजेपी की सरकार बनने पर उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
पिछले दिनों नेगी ने सरकार को खत लिखकर आरोप लगाया कि अहलूवालिया उनके प्रमोशन में बाधा डाल रहे हैं। वीरभद्र सरकार ने अब केंद्र से नेगी को वापस स्टेट कैडर में भेजने की मांग कर दी है।
नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि 'यह एक अफसर को धमकाने का मामला है। सरकार अपने भ्रष्ट अफसर को बचा रही है। हमने चर्चा की माग की जिसे नहीं माना गया, इसलिए हमें वाकआउट करना पड़ा।' मुख्यमंत्री यह तो मान रहे हैं कि वे नेगी से मिले थे, लेकिन धमकाने के आरोप से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'शिष्टाचार की मुलाक़ात थी। वे मेरे पास आए थे। मैंने कोई धमकी नहीं दी। यह आरोप गलत है।'
राज्य सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय से नेगी को वापस भेजने के लिए केंद्र को लिखे अपने खत में अफसरों की कमी को आधार बनाया है, लेकिन विपक्ष मांग कर रहा है कि इस आधार पर और कितने अफसरों को केंद्र की प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा रहा है, इसका खुलासा सरकार करे।
सोमवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बीजेपी ने दागी अफसर को बचाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस की वीरभद्र सिंह सरकार को घेरा। बीजेपी नेता सरकार से प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक बी एस नेगी के मामले पर बहस चाहते थे। नेगी मुख्यमंत्री के सीनियर निजी सचिव सुभाष अहलूवालिया के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग के मामले की जांच कर रहे हैं। अहलूवालिया इससे पहले 2003 से 2007 के बीच वीरभद्र सिंह के निजी सचिव रह चुके हैं। सन 2008 में बीजेपी की सरकार बनने पर उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
पिछले दिनों नेगी ने सरकार को खत लिखकर आरोप लगाया कि अहलूवालिया उनके प्रमोशन में बाधा डाल रहे हैं। वीरभद्र सरकार ने अब केंद्र से नेगी को वापस स्टेट कैडर में भेजने की मांग कर दी है।
नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि 'यह एक अफसर को धमकाने का मामला है। सरकार अपने भ्रष्ट अफसर को बचा रही है। हमने चर्चा की माग की जिसे नहीं माना गया, इसलिए हमें वाकआउट करना पड़ा।' मुख्यमंत्री यह तो मान रहे हैं कि वे नेगी से मिले थे, लेकिन धमकाने के आरोप से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'शिष्टाचार की मुलाक़ात थी। वे मेरे पास आए थे। मैंने कोई धमकी नहीं दी। यह आरोप गलत है।'
राज्य सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय से नेगी को वापस भेजने के लिए केंद्र को लिखे अपने खत में अफसरों की कमी को आधार बनाया है, लेकिन विपक्ष मांग कर रहा है कि इस आधार पर और कितने अफसरों को केंद्र की प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा रहा है, इसका खुलासा सरकार करे।
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