विश्व वन्यजीव कोष यानी कि डब्लूडब्लूएफ के दावे पर यकीन करें तो 20वीं सदी से अब तक करीब 95 फीसदी बाघ दुनिया से खत्म हो चुके हैं. पूर्व वन अधिकारी और 'अरण्य' संस्था के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह ने यहां बताया कि डब्लूडब्लूएफ की रिपोर्ट के अनुसार 20वीं सदी की शुरूआत से अब तक लगभग 95 फीसदी बाघ धरती से खत्म हो चुके हैं, जो पूरे एशिया के लिए भयावह स्थिति है.
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नरेन्द्र सिंह के अनुसार, हम इस स्थिति से इनकार नहीं कर सकते कि बाघ बिल्ली परिवार की सबसे बड़ी प्रजाति है और इस ग्रह पर सबसे खूबसूरत भी है. लेकिन यह सच है कि लगभग एक सदी पहले तक एक लाख बाघ भारत के जंगलों में विचरण करते थे. उन्होंने कहा कि आजादी से पहले लैंसडाउन के डीएफओ रहे एफडब्लू चैम्पियन ने झिरना के जंगलात रजिस्टर में लिखा था कि यहां बाघ कुत्तों की तरह घूमते हैं. यह इस बात का सबूत था कि हमारे जंगल जैव विविधता से परिपूर्ण थे.
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विश्व बाघ दिवस के मौके पर नरेन्द्र सिंह ने कहा कि दुनिया के 13 देशों ने बाघ संरक्षण कर वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है, ऐसे में हमें भी भारत के राष्ट्रीय पशु को बचाने के लिए अपना अंशदान करना चाहिए.
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