पुर्तगाल से अभयदान लेकर हिंदुस्तान आये अबु सलेम को बड़ा झटका लगा है। अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम को मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने दो उम्रकैद की सजा सुनाई है। जबकि प्रत्यर्पण की शर्त के मुताबिक उसे 25 साल से ज्यादा की सजा नही दी जा सकती है।
सलेम के करीबियों ने टाडा कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है। मुंबई की विशेष टाडा कोर्ट के जज जीए सानप ने बुधवार दोपहर को सजा सुनाते हुए कहा कि अबु सलेम को बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के लिए टाडा की धारा 3(2) (1) और भादवि की धारा 120 बी दोनों धाराओं के तहत सश्रम उम्रकैद की सजा और 2-2 लाख रुपये जुर्माना की सजा दी जाती है।
जज ने इसके अलावां 4 अन्य धाराओं में 25-25 साल की सजा भी सुनाई। विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अदालत के फैसले पर प्रसन्नता जाहीर की है। लेकिन ये भी कहा कि सलेम ने जिस तरह का अपराध किया है उसके लिए मौत की सजा ज्यादा उचित होती। पर हमें पता है कि पुर्तगाल से प्रत्यर्पित करते समय उसे शर्तों के साथ लाया गया था।
न्यायपालिका ने अपना काम कर दिया है, अब कार्यपालिका के ऊपर है कि वो मामले मे क्या रुख अपनाती है?
हालांकि अपने बड़े भाई के हत्यारे को सजा दिलाने के लिए 20 साल से संघर्ष कर रहे सुनील जैन उम्रकैद से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि हमारा पूरा परिवार चाहता है कि उसे मौत की सजा मिले क्योंकि अगर ये ऐसे ही छूट जाएगा तो दूसरे गैंगस्टर को बढ़ावा मिलेगा कि बाहर बैठकर कुछ भी कर लो हिंदुस्तान में फांसी की सजा नहीं मिलेगी।
बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या मार्च 1995 में की गई थी और सलेम को 11 नवंबर 2005 को भारत लाया गया था। तब तक दो शूटरों को उम्र कैद की सजा हो चुकी थी और कुछ छूट चुके थे।
बावजूद इसके जांच एजेंसी एटीएस ने सलेम से पूछताछ के बाद पूरी साजिश में शामिल चार और आरोपियों मेंहदी हसन, वीके झाम, नईम खान और रियाज सिद्दीकी को बेनकाब किया। तत्कालीन एटीएस प्रमूख केपी रघुवंशी ने एनडीटीवी से कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि एटीएस के अधिकारियों ने साजिश की हर कड़ी को जोड़कर एक मजबूत केस खड़ा किया था। लेकिन उससे भी अहम है कि प्रदीप जैन के परिवार के सदस्यों और बाकी चश्मदीदों की गवाही।
टाडा अदालत ने एक और दोषी मेहदी हसन को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है जबकि वीके झाम की उम्र और बीमारी को देखते हुए बाकी की सजा माफ कर दी।
जानकार बता रहे हैं ऐसा पहली बार हुआ है जब देश के बाहर बैठकर वारदातों को अंजाम देने वाला कोई बड़ा अंडरवर्ल्ड डॉन हिंदुस्तान लाए जाने के बाद दोषी साबित हुआ है और उसे सजा भी मिली है। मतलब साफ है देश के बाहर बैठकर हिंदुस्तान में अपराध को अंजाम देने वाले दूसरे डॉन और अंडरवर्ल्ड माफियाओं को लिए एक सबक है कि वो इस भ्रम में न रहे कि वो कानून से ऊपर है।
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