यह ख़बर 13 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अभिज्ञान का प्वाइंट : हमारे नेतागण ऐसे ही हैं?

नई दिल्ली:

संसद प्रजातंत्र का मंदिर है। देश की दिशा संसद में तय होती है। संसद देश के क़ानून पास करती है। संसद हमारे आपके नुमाइंदों की हमारे आपके लिए फ़ैसले लेने की जगह है। ये सारी लाइनें हैं संसद के बारे में।

आज के दिन कही जाएं, तो लोगों को समझ में नहीं आएंगी, इसलिए क्योंकि आज जो तस्वीरें उन्होंने देखी उसके बाद उन्हें इन लाइनों पर शायद यक़ीन नहीं होगा।

सांसदों की गरिमा गिरती जा रही है। संसद की गरिमा गिरती जा रही है। ये बहस बहुत पुरानी हो चुकी है, ऐसी घटनाएं मैंने भी और सबने पहले भी कई बार देखी हैं और उसके बाद की बहस भी। ये सबकुछ कितना शर्मसार करता है पूरे पोलिटिकल क्लास को।

संसद में कामकाज क्यों नहीं हो पाता, कई महत्वपूर्ण बिल क्यों पास नहीं हो पाते। ये वो बातें हैं, जिनमें कुछ भी नया नहीं है। ये भी पहले कहा और सुना जा चुका है कि संसद के इतिहास में ये पहली बार हुआ। मगर इतिहास बदलता ही नहीं, सवाल बहुत साफ़ है कि इस देश में कुछ महीनों में चुनाव होना है। नए जनप्रतिनिधि चुनकर आने हैं, और नई संसद का गठन होना है।

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इसके बावजूद कुछ सांसदों का आचरण सबके लिए सवाल बन जाता है और उनकी वजह से एक बड़े पैमाने पर लोग सोचने लगते हैं कि क्या हमारे नेतागण ऐसे ही हैं।