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This Article is From Oct 12, 2017

आरुषि-हेमराज मर्डर केस : राजेश और नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया

आरुषि मर्डर केस में 25 नवंबर 2013 को गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने हालात से जुड़े सबूतों के आधार पर राजेश और नूपुर तलवार को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी, जिसके खिलाफ जनवरी 2014 में दोनों ने इलाहाबाद हाइकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.

आरुषि-हेमराज मर्डर केस : राजेश और नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी किया
आरुषि मर्डर केस में राजेश और नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया बरी
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के साथ ही देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री और उलझ गई है. नोएडा के चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में हाईकोर्ट ने आरुषि के माता-पिता राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि निचली अदालत का फैसला ठोस सबूतों पर नहीं बल्कि हालात से उपजे सबूतों के आधार पर था. कोर्ट के इस फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार गाजियाबाद की डासना जेल से रिहा हो जाएंगे. इससे पहले 25 नवंबर 2013 को गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने हालात से जुड़े सबूतों के आधार पर दोनों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी, जिसके खिलाफ जनवरी 2014 में दोनों ने इलाहाबाद हाइकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.

आरुषि हत्याकांड से जुड़े प्रमुख तथ्य और तर्क जो कोर्ट में सामने आए​

आरुषि केस : कब क्या हुआ?

2008 
  • 16 मई  : 14 साल की आरुषि बेडरूम में मृत मिली
  • हत्या का शक घरेलू नौकर हेमराज पर गया
  • 17 मई : हेमराज का शव घर के टैरेस पर मिला 
  • 23 मई : दोहरी हत्या के आरोप में डॉ राजेश तलवार गिरफ़्तार 
  • 1 जून : सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली
  • 13 जून  :  डॉ तलवार का कंपाउंडर कृष्णा  गिरफ़्तार  
  • बाद में राजकुमार और विजय मंडल भी गिरफ्तार  
  • तीनों को दोहरे हत्या का आरोपी बनाया गया
  • 12 जुलाई : राजेश तलवार डासना जेल से ज़मानत पर रिहा 
  • 10 सितंबर, 2009- 
  • मामले की जांच के लिए नई सीबीआई टीम
  • 12 सितंबर : कृष्णा,राजकुमार और मंडल को ज़मानत,
  • सीबीआई 90 दिन में नहीं दे पाई चार्जशीट

29 दिसंबर, 2010
  • सबूतों के अभाव में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट
  • रिपोर्ट में तलवार दंपत्ति आरोपी नहीं थे
  • परिस्थितिजन्य सबूतों से क़ातिल होने का इशारा

25 जनवरी, 2011
  • क्लोजर रिपोर्ट के ख़िलाफ राजेश तलवार का प्रोटेस्ट पिटीशन
  • कोर्ट ने भी क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार नहीं किया
  • लेकिन रिपोर्ट के आधार पर आरोप तय किए
  • तलवार दंपत्ति को सुप्रीम कोर्ट तक भी राहत नहीं

2012 
  • 11 जून :  सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू

2013 
  • 10 अक्टूबर: आखिरी बहस शुरू 
  • 25 नवंबर :  विशेष अदालत ने तलवार दंपत्ति को दोषी करार देते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई

2014 
  • जनवरी : निचली अदालत के फ़ैसले को  इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती  

2017 
  • 8 सितंबर : इलाहाबाद हाइकोर्ट ने अपील पर फैसला सुरक्षित रखा 

16 मई 2008 की रात को नोएडा के जलवायु विहार में आरुषि की उसके ही घर में हत्या कर दी गई थी. एक दिन बाद उसके नौकर हेमराज का शव उसी घर की छत से मिला. 5 दिन बाद पुलिस ने ये दावा करते हुए आरुषि के माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया कि राजेश ने आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक हालत में देखने के बाद दोनों की हत्या कर दी. फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में तलवार दंपती सजा काट रहे हैं.

यह मामला उस वक्त खूब सुर्खियों में छाया रहा था. जिसके बाद उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी थी. तभी से यह मामला कोर्ट में चल रहा है.

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