गाजियाबाद के डासना जेल से बाहर आते तलवार दंपति....
नई दिल्ली:
आरुषि और हेमराज हत्याकांड के मामले में बरी कर दिए गए गए राजेश और नूपुर तलवार सोमवार को गाजियाबाद की डासना जेल से बाहर आ गए. सीबीआई अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद राजेश और नूपुर 2013 से डासना जेल में बंद थे. हालांकि राजेश और नूपुर तलवार हर 15 दिनों के अंतर में गाजियाबाद की डासना जेल जाकर उन मरीजों को देखेंगे जो दांत की समस्या से पीड़ित हैं. इससे पहले राजेश तलवार के भाई दिनेश तलवार, उनके वकील मनोज सिसोदिया और तनवीर अहमद मीर डासना जेल पहुंचे थे.
यह भी पढ़ें : मैं अपनी प्यारी 'आरू' को नहीं बचा पाया : राजेश तलवार की जेल में लिखी डायरी के कुछ हिस्से
तलवार दंपति के वकील तनवीर मीर अहमद ने पहले ही कहा था कि उनकी रिहाई सोमवार को हो सकती है, क्योंकि कल महीने का दूसरा शनिवार है. शुक्रवार को तलवार दंपति को कोर्ट ने बरी किया था. जेल तक कोर्ट का आदेश पहुंचने में देरी के कारण उन्हें दो दिन और जेल बिताना पड़ा. डासना जेल के अधीक्षक दधिराम मौर्य ने कहा था कि अदालती आदेश मिलने के बाद ही हम उनको रिहा करेंगे. उन्होंने कहा कि किसी कैदी को जेल से रिहा करने की प्रक्रिया को पूरा करने के दो तरीके हैं.
VIDEO: राजेश और नूपुर तलवार की कभी भी हो सकती है रिहाई
जेल अधीक्षक ने कहा, या तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति सीधे जेल प्रशासन को भेजी जाए या फिर इसे सीबीआई अदालत के जरिए भेजा जाए जिसने उनको उम्रकैद की सजा सुनाई थी. मौर्य ने कहा था, '99 फीसदी मामलों में हमें डाक के जरिए अदालती आदेश की प्रति मिलती है. अगर हमें फैसले की हॉर्ड कॉपी सीधे सौंप दी जाएगी तो हम उनको रिहा कर देंगे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2008 के इस दोहरे हत्याकांड के मामले में तलावार दंपती को बरी कर दिया था. आरुषि इस दंपती की बेटी थी और हेमराज घरेलू सहायक था.
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तलवार दंपति के वकील तनवीर मीर अहमद ने पहले ही कहा था कि उनकी रिहाई सोमवार को हो सकती है, क्योंकि कल महीने का दूसरा शनिवार है. शुक्रवार को तलवार दंपति को कोर्ट ने बरी किया था. जेल तक कोर्ट का आदेश पहुंचने में देरी के कारण उन्हें दो दिन और जेल बिताना पड़ा. डासना जेल के अधीक्षक दधिराम मौर्य ने कहा था कि अदालती आदेश मिलने के बाद ही हम उनको रिहा करेंगे. उन्होंने कहा कि किसी कैदी को जेल से रिहा करने की प्रक्रिया को पूरा करने के दो तरीके हैं.
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जेल अधीक्षक ने कहा, या तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति सीधे जेल प्रशासन को भेजी जाए या फिर इसे सीबीआई अदालत के जरिए भेजा जाए जिसने उनको उम्रकैद की सजा सुनाई थी. मौर्य ने कहा था, '99 फीसदी मामलों में हमें डाक के जरिए अदालती आदेश की प्रति मिलती है. अगर हमें फैसले की हॉर्ड कॉपी सीधे सौंप दी जाएगी तो हम उनको रिहा कर देंगे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2008 के इस दोहरे हत्याकांड के मामले में तलावार दंपती को बरी कर दिया था. आरुषि इस दंपती की बेटी थी और हेमराज घरेलू सहायक था.
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