नई दिल्ली:
आम आदमी पार्टी (AAP) ने अगले 5 दिन तक लोकसभा का बहिष्कार करने का निर्णय किया है। AAP ने ये निर्णय संसद में सदन की कार्यवाही में कथित तौर पर बाधा डालने के आरोप में निष्कासित किए गए कांग्रेस सांसदों के साथ एकजुटता दिखाने के मकसद से यह निर्णय लिया है।
ऐसे समय में जब कांग्रेस विभिन्न विवादों में फंसे बीजेपी नेताओं को उनके पदों से हटाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने में अलग-थलग दिख रही थी, उसी समय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने कांग्रेस का साथ देने का निर्णय किया है।
आम आदमी पार्टी हमेशा से कांग्रेस की घोर विरोधी रही है। हाल ही में आप ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ राहुल गांधी के साथ संसद में सामन्जस्य के लिए मीटिंग भी की है। उस मीटिंग में मौजूद आप सांसद भगवंत मान ने कहा, 'विपक्ष को एकजुट होने की जरूरत है, इसलिए हम कांग्रेस का साथ दे रहे हैं।'
टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले विपक्ष के साथ प्रदर्शन के प्रति अनिच्छुक दिख रही थीं। खबर है कि उन्होंने कहा था कि संसद नहीं चलने से वो खुश नहीं हैं और वो चाहती हैं कि सदन सही से चले।'
टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, 'सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद, हम चाहते थे कि संसद में गतिरोध खत्म हो और कार्यवाही सुचारू रूप से चले। बंगाल से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन्हें हम संसद में उठाना चाहते थे।'
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह साफ कर दिया था कि उनकी पार्टी तब तक अपना विरोध जारी रखेगी, जब तक ललित मोदी और व्यापमं मामले में बीजेपी के जिन सीनियर नेताओं पर आरोप लगे हैं उन्हें हटा नहीं दिया जाता।
सोनिया गांधी ने अपने सांसदों के साथ बैठक में कहा कि हम अपने स्तर पर सही हैं। विदेश मंत्री और बीजेपी के दो मुख्यमंत्रियों के खिलाफ ऐसे बहुत से सुबूत हैं, जिसके कारण प्रधानमंत्री उनका इस्तीफा मांग सकते हैं।
कांग्रेस का कहना है कि संसद में कार्यवाही तभी चलने दी जाएगी, जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अलावा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से इस्तीफा नहीं लिया जाता। कांग्रेस की इस मांग को वाम दलों का भी समर्थन हासिल है, लेकिन समाजवादी पार्टी जैसे कुछ दल हैं जो सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग का समर्थन नहीं करते।
बीजेपी ने सीनियर नेताओं के इस्तीफे की मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है।
ऐसे समय में जब कांग्रेस विभिन्न विवादों में फंसे बीजेपी नेताओं को उनके पदों से हटाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने में अलग-थलग दिख रही थी, उसी समय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने कांग्रेस का साथ देने का निर्णय किया है।
आम आदमी पार्टी हमेशा से कांग्रेस की घोर विरोधी रही है। हाल ही में आप ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ राहुल गांधी के साथ संसद में सामन्जस्य के लिए मीटिंग भी की है। उस मीटिंग में मौजूद आप सांसद भगवंत मान ने कहा, 'विपक्ष को एकजुट होने की जरूरत है, इसलिए हम कांग्रेस का साथ दे रहे हैं।'
टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले विपक्ष के साथ प्रदर्शन के प्रति अनिच्छुक दिख रही थीं। खबर है कि उन्होंने कहा था कि संसद नहीं चलने से वो खुश नहीं हैं और वो चाहती हैं कि सदन सही से चले।'
टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, 'सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद, हम चाहते थे कि संसद में गतिरोध खत्म हो और कार्यवाही सुचारू रूप से चले। बंगाल से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन्हें हम संसद में उठाना चाहते थे।'
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह साफ कर दिया था कि उनकी पार्टी तब तक अपना विरोध जारी रखेगी, जब तक ललित मोदी और व्यापमं मामले में बीजेपी के जिन सीनियर नेताओं पर आरोप लगे हैं उन्हें हटा नहीं दिया जाता।
सोनिया गांधी ने अपने सांसदों के साथ बैठक में कहा कि हम अपने स्तर पर सही हैं। विदेश मंत्री और बीजेपी के दो मुख्यमंत्रियों के खिलाफ ऐसे बहुत से सुबूत हैं, जिसके कारण प्रधानमंत्री उनका इस्तीफा मांग सकते हैं।
कांग्रेस का कहना है कि संसद में कार्यवाही तभी चलने दी जाएगी, जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अलावा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से इस्तीफा नहीं लिया जाता। कांग्रेस की इस मांग को वाम दलों का भी समर्थन हासिल है, लेकिन समाजवादी पार्टी जैसे कुछ दल हैं जो सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग का समर्थन नहीं करते।
बीजेपी ने सीनियर नेताओं के इस्तीफे की मांगों को सिरे से खारिज कर दिया है।