नई दिल्ली:
दिल्ली में रविवार से बजट बनाने के लिए एक नए तरीके की शुरुआत हुई, जिसको केजरीवाल मॉडल ऑफ डेवेलपमेंट का हिस्सा माना जाता है। इसमें हर विधानसभा को करीब 40 हिस्सों या मोहल्लों में बांटकर हर मोहल्ले को करीब 50 लाख रुपये आवंटित किए गए है।
अब हर मोहल्ले की सभा कराकर उसमें मौजूद सदस्यों से पूछा जाएगा कि बताइए आप क्या चाहते हैं। 70 में से 11 विधानसभाओं में यह तरीका इस बार बजट बनाने के लिए अपनाया जाएगा और अगर यह कामयाब हुआ तो अगले साल पूरी दिल्ली में इस तरह से बजट बनाया जाएगा।
रविवार को शुरुआत हुई डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज से जहां पर खुद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मौजूद रहे। शुरुआत में ही अरविंद केजरीवाल ने लोगों को समझाया कि छोटे काम तो जल्दी ही हो जाएंगे, लेकिन बड़े काम के लिए कुछ महीने लगेंगे, इसलिए धैर्य बनाए रखना। उनका इशारा मीडिया में संभावित आलोचना पर था, जिसके लिए वह पहले ही लोगों को समझा गए।
वहीं मनीष सिसोदिया ने सभा शुरू करके लोगों से पूछना शुरू किया कि बताइये आप क्या चाहते हैं? क्या हैं आपकी समस्या या क्या काम आप अपने इलाके में करवाना चाहते हैं?
सबसे पहले जो आदमी बोलने के लिए खड़ा हुआ उसने एक बहुत बड़ा मुद्दा उठाया, जिससे सारी दिल्ली परेशान है। उसने कहा कि हमारे पास बिजली पानी वगैरह सब है, लेकिन गाड़ी पार्क करने के लिए पार्किंग की जगह नहीं हैं। यह मुद्दा पूरी सभा का बड़ा मुद्दा बन गया और सभी इससे सहमत थे। लेकिन फिर उप मुख्यमंत्री ने समझाया कि आप कुछ प्रैक्टिकल बात करिए यानि ज़रा सोचकर मांग करिए, क्योंकि इस बात में कोई शक नहीं कि पार्किंग बड़ा मुद्दा है, लेकिन पार्किंग के लिए जगह कहां से आएगी? कोई मार्केट, कोई घर, कोई स्कूल, कोई पार्क तोड़कर ही यह जगह लाई जा सकती है, कोई स्काईरोप्स तो यहां बनने से रहे?
वहीं किसी ने शिकायत की कि सीवर लाइन डालने के बाद से गलियों की हालत खराब है, तो डिप्टी सीएम ने तुरंत इंजीनियर को तलब करके कहा कि बताएं कि काम हुआ है या नहीं। इंजीनियर ने कहा काम हो गया है और अगर कहीं रह गया होगा तो मै देख लेता हूं।
तभी डिप्टी सीएम ने इंजीनियर पर सख्त होते हुए कहा कि जनता कह रही है कि काम नहीं हुआ, मैं खुद जाकर देखूंगा और अगर काम नहीं हुआ तो आप सस्पेंड होंगे। लोगों को अपने नेता का ये अंदाज़ पसंद आया और लोगों ने तालियां बजाई।
इस सभा के लिए सरकार ने इंतज़ाम तो अच्छे कराए थे और ये भी बहुत हद तक सुनिश्चित किया कि मोहल्ले के वोटर ही अपनी राय दें, लेकिन बीच बीच में कहीं कंफ्यूज़न दिखा तो कहीं लोगों को समझाना पड़ा कि आपके पास सिर्फ 50 लाख रुपये हैं, इसलिए सोच समझकर अपनी प्राथमिकता के हिसाब से वोट करें। जैसे कि पूछा गया कि कौन-कौन चाहता है सीसीटीवी कैमरा पर खर्चा? कौन-कौन चाहता है लाइब्रेरी पर खर्चा? कौन चाहता है डिस्पेंसरी पर खर्चा? वगैरह वगैरह...
तो लोग हर किसी पर अपना हाथ एक अंदाज़ में बस उठाए चले जा रहे थे, तो फिर उनके विधायक मनीष सिसोदिया ने उनको समझाया कि आपके पास सिर्फ़ 50 लाख ही है, अपनी प्राथमिकता तय करके ही हाथ उठाकर वोट करना। उनके इस तरह से समझाने के बाद जनता के समझ आया और धीरे-धीरे करके जनता ने अपना मत जाहिर किया।
वैसे कहीं-कहीं तो ऐसा लगा कि ये मोहल्ला सभा लोगों में आपस में लड़ाई ना करवा दें। जैसे कि किसी ने पेंशन की मांग की तो सीएम ने डिप्टी से कहा कि वैसे तो यह नगर निगम का काम है लेकिन अगर लोग कहेंगे तो इनके ही पैसे में से इनको ही पेंशन देने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।
केजरीवाल सरकार के इस कार्यक्रम से ज़्यादातर लोग तो संतुष्ट नज़र आए और इसको एक अच्छी शुरुआत बताया। उन्होंने कहा कि कॉन्सेप्ट अच्छा है और तरीका भी पारदर्शी है। कुल मिलाकर मोहल्ला सभा की यह पहली बैठक करीब ढाई घंटे चली और अब दिल्ली में अगले दो हफ्तों इस प्रकार की करीब 400 सभाएं होंगी।
अब हर मोहल्ले की सभा कराकर उसमें मौजूद सदस्यों से पूछा जाएगा कि बताइए आप क्या चाहते हैं। 70 में से 11 विधानसभाओं में यह तरीका इस बार बजट बनाने के लिए अपनाया जाएगा और अगर यह कामयाब हुआ तो अगले साल पूरी दिल्ली में इस तरह से बजट बनाया जाएगा।
रविवार को शुरुआत हुई डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र पटपड़गंज से जहां पर खुद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मौजूद रहे। शुरुआत में ही अरविंद केजरीवाल ने लोगों को समझाया कि छोटे काम तो जल्दी ही हो जाएंगे, लेकिन बड़े काम के लिए कुछ महीने लगेंगे, इसलिए धैर्य बनाए रखना। उनका इशारा मीडिया में संभावित आलोचना पर था, जिसके लिए वह पहले ही लोगों को समझा गए।
वहीं मनीष सिसोदिया ने सभा शुरू करके लोगों से पूछना शुरू किया कि बताइये आप क्या चाहते हैं? क्या हैं आपकी समस्या या क्या काम आप अपने इलाके में करवाना चाहते हैं?
सबसे पहले जो आदमी बोलने के लिए खड़ा हुआ उसने एक बहुत बड़ा मुद्दा उठाया, जिससे सारी दिल्ली परेशान है। उसने कहा कि हमारे पास बिजली पानी वगैरह सब है, लेकिन गाड़ी पार्क करने के लिए पार्किंग की जगह नहीं हैं। यह मुद्दा पूरी सभा का बड़ा मुद्दा बन गया और सभी इससे सहमत थे। लेकिन फिर उप मुख्यमंत्री ने समझाया कि आप कुछ प्रैक्टिकल बात करिए यानि ज़रा सोचकर मांग करिए, क्योंकि इस बात में कोई शक नहीं कि पार्किंग बड़ा मुद्दा है, लेकिन पार्किंग के लिए जगह कहां से आएगी? कोई मार्केट, कोई घर, कोई स्कूल, कोई पार्क तोड़कर ही यह जगह लाई जा सकती है, कोई स्काईरोप्स तो यहां बनने से रहे?
वहीं किसी ने शिकायत की कि सीवर लाइन डालने के बाद से गलियों की हालत खराब है, तो डिप्टी सीएम ने तुरंत इंजीनियर को तलब करके कहा कि बताएं कि काम हुआ है या नहीं। इंजीनियर ने कहा काम हो गया है और अगर कहीं रह गया होगा तो मै देख लेता हूं।
तभी डिप्टी सीएम ने इंजीनियर पर सख्त होते हुए कहा कि जनता कह रही है कि काम नहीं हुआ, मैं खुद जाकर देखूंगा और अगर काम नहीं हुआ तो आप सस्पेंड होंगे। लोगों को अपने नेता का ये अंदाज़ पसंद आया और लोगों ने तालियां बजाई।
इस सभा के लिए सरकार ने इंतज़ाम तो अच्छे कराए थे और ये भी बहुत हद तक सुनिश्चित किया कि मोहल्ले के वोटर ही अपनी राय दें, लेकिन बीच बीच में कहीं कंफ्यूज़न दिखा तो कहीं लोगों को समझाना पड़ा कि आपके पास सिर्फ 50 लाख रुपये हैं, इसलिए सोच समझकर अपनी प्राथमिकता के हिसाब से वोट करें। जैसे कि पूछा गया कि कौन-कौन चाहता है सीसीटीवी कैमरा पर खर्चा? कौन-कौन चाहता है लाइब्रेरी पर खर्चा? कौन चाहता है डिस्पेंसरी पर खर्चा? वगैरह वगैरह...
तो लोग हर किसी पर अपना हाथ एक अंदाज़ में बस उठाए चले जा रहे थे, तो फिर उनके विधायक मनीष सिसोदिया ने उनको समझाया कि आपके पास सिर्फ़ 50 लाख ही है, अपनी प्राथमिकता तय करके ही हाथ उठाकर वोट करना। उनके इस तरह से समझाने के बाद जनता के समझ आया और धीरे-धीरे करके जनता ने अपना मत जाहिर किया।
वैसे कहीं-कहीं तो ऐसा लगा कि ये मोहल्ला सभा लोगों में आपस में लड़ाई ना करवा दें। जैसे कि किसी ने पेंशन की मांग की तो सीएम ने डिप्टी से कहा कि वैसे तो यह नगर निगम का काम है लेकिन अगर लोग कहेंगे तो इनके ही पैसे में से इनको ही पेंशन देने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।
केजरीवाल सरकार के इस कार्यक्रम से ज़्यादातर लोग तो संतुष्ट नज़र आए और इसको एक अच्छी शुरुआत बताया। उन्होंने कहा कि कॉन्सेप्ट अच्छा है और तरीका भी पारदर्शी है। कुल मिलाकर मोहल्ला सभा की यह पहली बैठक करीब ढाई घंटे चली और अब दिल्ली में अगले दो हफ्तों इस प्रकार की करीब 400 सभाएं होंगी।
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