आधार कार्ड पर कपिल सिब्बल ने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम फिर कोर्ट जाएंगे.
नई दिल्ली:
आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम पहले से कह रहे कि आधार बिल राज्यसभा में आना चाहिए पर नहीं लाया गया. ये आधार कार्ड नहीं सरकारी अधिकार कार्ड और निजी कम्पनियों का आधार एक्ट बन गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि करोड़ो लोगों की निजी जानकारी प्राइवेट कंपनियों के पास है. इसका दुरुपयोग होगा. ये असंवैधानिक है. अब सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात मान ली है. धारा 57 को कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है. ये बहुत बड़ी जीत है, क्योंकि भविष्य में सरकार क्या करती इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. कपिल सिब्बल ने कहा कि लोकसभा का स्पीकर अगर किसी बिल को मनी बिल करार देगा तो कोर्ट इस पर सुनवाई कर सकती है. अगर सरकार संशोधन करना चाहेगी तो हम सुप्रीम कोर्ट दुबारा जाएंगे. हम जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ हैं. ये मनी बिल नहीं है.
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कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट ने निर्धन लोगों के मद्देनजर इस कानून को ठीक करार दिया है, लेकिन संशोधन के वक्त हम सुप्रीम कोर्ट दुबारा जाएंगे और 7 जजों की बेंच के पास सुनवाई की मांग करेंगे. ये साफ नहीं है कि मेहनतकश लोग जिनके बायोमेट्रिक डिटेल मिट गए हैं, उनके लिए सरकार क्या करेगी? हम फैसले का अध्ययन करेंगे. जरूरी हुआ तो इसके लिए भी हम फिर कोर्ट जाएंगे. कोर्ट ने ये भी कहा है कि 6 महीने तक डेटा नहीं रख सकते. अभी ये साफ नहीं है कि उसे कैसे खत्म किया जाएगा. सिब्बल ने कहा कि अब डाटा प्रोटेक्शन लॉ में संशोधन करना होगा. इसलिए हम चाहते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा में इसकी चर्चा हो. अगर आधार को गिरा दिया जाता तो हाशिये पर खड़े लोगों को भी कुछ नहीं मिल पाता. इसलिए कोर्ट का सही फ़ैसला है. हम संशोधन के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे.
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कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट ने निर्धन लोगों के मद्देनजर इस कानून को ठीक करार दिया है, लेकिन संशोधन के वक्त हम सुप्रीम कोर्ट दुबारा जाएंगे और 7 जजों की बेंच के पास सुनवाई की मांग करेंगे. ये साफ नहीं है कि मेहनतकश लोग जिनके बायोमेट्रिक डिटेल मिट गए हैं, उनके लिए सरकार क्या करेगी? हम फैसले का अध्ययन करेंगे. जरूरी हुआ तो इसके लिए भी हम फिर कोर्ट जाएंगे. कोर्ट ने ये भी कहा है कि 6 महीने तक डेटा नहीं रख सकते. अभी ये साफ नहीं है कि उसे कैसे खत्म किया जाएगा. सिब्बल ने कहा कि अब डाटा प्रोटेक्शन लॉ में संशोधन करना होगा. इसलिए हम चाहते हैं कि लोकसभा और राज्यसभा में इसकी चर्चा हो. अगर आधार को गिरा दिया जाता तो हाशिये पर खड़े लोगों को भी कुछ नहीं मिल पाता. इसलिए कोर्ट का सही फ़ैसला है. हम संशोधन के लिए सरकार पर दबाव डालेंगे.
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