सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एक जनहित याचिका में वकील एमएल शर्मा ने भारतीय जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के सेक्शन 28 और इनकम टैक्स एक्ट के 13 A के प्रावधानों को पूरी तरह से अवैध, असंवैधानिक और देशहित के खिलाफ बताते हुए इन्हें रद्द करने की मांग की है.
याचिका के मुताबिक इन एक्ट के तहत कोई भी राजनीतिक पार्टी 2000 रुपये तक की राशि बिना रिकार्ड रखे बतौर चंदा ले सकती है और राजनीतिक पार्टियों को आयकर से छूट भी देने का प्रावधान है.
याचिका में कहा गया है कि 13 दिसंबर 2016 तक के रिकार्ड के मुताबिक देश में 1848 राजनीतिक पार्टियां पंजीकृत हैं. इस कानून का फायदा उठाकर पार्टियां कालाधन को चंदे के रूप में लेती हैं. नोटबंदी के बाद इन पार्टियों ने पुराने नोटों को बतौर चंदा लिया.
याचिका में कहा गया है कि कानून के बावजूद विदेश से भी चंदा लिया जा रहा है. ऐसे में कोर्ट दोनों प्रावधानों को रद्द करे और राजनीतिक पार्टियों के चंदे की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी या सीबीआई से एफआईआर दायर कर जांच कराने और कानूनी कार्रवाई के निर्देश जारी करे.
याचिका के मुताबिक इन एक्ट के तहत कोई भी राजनीतिक पार्टी 2000 रुपये तक की राशि बिना रिकार्ड रखे बतौर चंदा ले सकती है और राजनीतिक पार्टियों को आयकर से छूट भी देने का प्रावधान है.
याचिका में कहा गया है कि 13 दिसंबर 2016 तक के रिकार्ड के मुताबिक देश में 1848 राजनीतिक पार्टियां पंजीकृत हैं. इस कानून का फायदा उठाकर पार्टियां कालाधन को चंदे के रूप में लेती हैं. नोटबंदी के बाद इन पार्टियों ने पुराने नोटों को बतौर चंदा लिया.
याचिका में कहा गया है कि कानून के बावजूद विदेश से भी चंदा लिया जा रहा है. ऐसे में कोर्ट दोनों प्रावधानों को रद्द करे और राजनीतिक पार्टियों के चंदे की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी या सीबीआई से एफआईआर दायर कर जांच कराने और कानूनी कार्रवाई के निर्देश जारी करे.
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