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This Article is From Aug 23, 2015

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़े कानून के बारे में 97% कंपनियां को जानकारी नहीं

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़े कानून के बारे में 97% कंपनियां को जानकारी नहीं
प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली: सरकार भले ही कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न से संबंधित कानून का पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर चाबुक चलाने के प्रयासों में जुटी है, लेकिन बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र की कंपनियों को इस कानून के बारे में पता तक नहीं है।

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (प्रीवेन्शन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल) कानून 2013 के अनुपालन पर एक कंपनी द्वारा हाल में किए गए सर्वेक्षण में ये संकेत मिले हैं कि 97 फीसदी कंपनियां कानून और उसे अमल में लाने के बारे में वाकिफ ही नहीं हैं।

इसके अलावा कंपनी द्वारा सूचना के अधिकार कानून के तहत भेजे गए आवेदनों से यह पता चला है कि केवल राजस्थान ने कानून की निगरानी के लिए जिला अधिकारियों के माध्यम से आवश्यक स्थानीय शिकायत समिति और नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है।

कंपनी के अधिकारियों के अनुसार कानून और इसको लागू करने के बारे में जागरुकता सबसे बड़ी चुनौती है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने हाल में खत्म हुए मॉनसून सत्र में संसद को सूचित किया कि वर्ष 2014 में महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के 520 से अधिक मामले आए, जिसमें 57 मामले कार्यालय परिसर के अंदर प्रकाश में आए, जबकि 469 मामले काम से संबंधित अन्य स्थानों से जुड़े थे। सार्वजनिक और निजी कार्यस्थलों पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए दिसंबर, 2013 में यह कानून लागू किया गया था।

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