हरियाणा सरकार ने मंगलवार को स्वीकार किया कि एक राज्यस्तरीय अभियान के तहत आयरन की गोलियां खाने के लिए दिए जाने के बाद 879 बच्चे बीमार पड़ गए। बच्चों में गोलियों के दुष्प्रभाव के रूप में पेट में दर्द और मिचली आने की शिकायतें पाई गईं।
                                            
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                                                                                चंडीगढ़: 
                                        हरियाणा सरकार ने मंगलवार को स्वीकार किया कि एक राज्यस्तरीय अभियान के तहत आयरन की गोलियां खाने के लिए दिए जाने के बाद 879 बच्चे बीमार पड़ गए। बच्चों में गोलियों के दुष्प्रभाव के रूप में पेट में दर्द और मिचली आने की शिकायतें पाई गईं।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान के हरियाणा के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के 21 जिलों में फिर से शुरू किए गए साप्ताहिक अनुपूरक आयरन-फोलिक अभियान के तहत 16 लाख बच्चों को यह गोलियां खिलाई गईं।
प्रवक्ता ने आगे बताया, "उनमें से सिर्फ 879 बच्चों में दवा का मामूली दुष्प्रभाव देखा गया, जैसे पेद में दर्द और मिचली आना। राज्य में डब्ल्यूआईएफएस की नीली गोलियां खाने वाले कुल बच्चों का यह सिर्फ 0.054 फीसदी ही है। बड़ी संख्या में बच्चों में डायरिया और उल्टी आने जैसे सामान्य दुष्प्रभाव भी नहीं देखे गए।" उन्होंने बताया कि गोलियों से प्रभावित हुए बच्चों को फौरन निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया तथा प्राथमिक उपचार प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कुछ बच्चों को दवा पची नहीं, लेकिन खतरे जैसी कोई बात नहीं है।
                                                                        
                                    
                                राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान के हरियाणा के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य के 21 जिलों में फिर से शुरू किए गए साप्ताहिक अनुपूरक आयरन-फोलिक अभियान के तहत 16 लाख बच्चों को यह गोलियां खिलाई गईं।
प्रवक्ता ने आगे बताया, "उनमें से सिर्फ 879 बच्चों में दवा का मामूली दुष्प्रभाव देखा गया, जैसे पेद में दर्द और मिचली आना। राज्य में डब्ल्यूआईएफएस की नीली गोलियां खाने वाले कुल बच्चों का यह सिर्फ 0.054 फीसदी ही है। बड़ी संख्या में बच्चों में डायरिया और उल्टी आने जैसे सामान्य दुष्प्रभाव भी नहीं देखे गए।" उन्होंने बताया कि गोलियों से प्रभावित हुए बच्चों को फौरन निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया तथा प्राथमिक उपचार प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कुछ बच्चों को दवा पची नहीं, लेकिन खतरे जैसी कोई बात नहीं है।
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