पटना:
बिहार में रहस्यमय बीमारी से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है और मई से लेकर अबतक एक्यूट इनसेफालोपैथी सिंड्रोम एइएस के 197 मरीजों में से 74 की जान जा चुकी है।राज्य सरकार ने कहर ढाने वाली इस रहस्यमय बीमारी का नाम एइएस रखा है जो दिमागी बुखार से मिलते जुलते लक्षण सहित 17 अन्य बीमारियों को मिलाकर दिया गया नाम है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि पटना के पीएमसीएच, एनएमसीएच, मुजफ्फरपुर के केजरीवाल और एसकेएमसीएच तथा गया के एएनएमसीएच में राज्य भर के विभिन्न हिस्सों के 74 बच्चों की अबतक एक्यूट इनसेफालोपैथी सिंड्रोम एइएस के कारण मौत हो चुकी है।
मई और जून महीने में इस रहस्यमय बीमारी के अबतक 197 मामले सामने आये हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जापानी इनसेफलाइटिस 'जापानी मस्तिष्क ज्वर' के दो मामलों की पुष्टि हुई है जो गया के एएनएमसीएच के हैं लेकिन किसी की भी इस बीमारी से मौत नहीं हुई है। मृत बच्चों में सभी मामले एइएस के हैं।सिन्हा ने बताया कि एइएस में लू, सेरेब्रल मलेरिया, मेनिनजाइटिस, टीबी मेनिनजाइटिस, न्यूरोसिस्टीसरकोसिस, पायोजेनिक मेनिनजाइटिस सहित 17 बीमारियों या दिमागी बुखार से मिलते जुलते लक्षणों को रखा गया है।
उन्होंने बताया कि राज्य के भागलपुर स्थित जेएलएनएमसीएच तथा दरभंगा के डीएमसीएच में दिमागी बुखार,जापानी मस्तिष्क ज्वर या एइएस का अभी तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
सिन्हा ने बताया कि मुजफ्फरपुर में एइएस के 81 मामले सामने आए, जिनमें से 30 बच्चों की मौत हो गई। सबसे अधिक 21 बच्चों की मौत केजरीवाल चैरिटेबल अस्पताल में हुई और एसकेएमसीएच में नौ बच्चे काल के गाल में समा गये। ये बच्चे तिरहुत और कोसी प्रमंडल क्षेत्र के हैं। उन्होंने बताया कि पटना के पीएमसीएच और एनएमसीएच में 89 मामलों में अबतक 34 बच्चों की मौत हुई है जबकि गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज अस्पताल एएनएमसीएच में 27 मामलों में से नौ की मौत हो चुकी है।
प्रधान सचिव ने बताया कि राज्य में एएनएमसीएच में जापानी मस्तिष्क ज्वर जेइ के दो मामले सामने आये हैं। यहां गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, झारखंड के चतरा के मामले आये हैं। जापानी इनसेफलाइटिस के मामले औरंगाबाद और गया के इमामगंज से आये हैं। वहां टीकाकरण का अभियान शुरू कर दिया गया है। पटना मेडिकल कालेज अस्पताल की शिशु रोग विभाग की अध्यक्ष डा संजाता रायचौधरी ने बताया कि उनके यहां राज्य के करीब 21 जिलों सहित नेपाल का एक मामला सामने आया है। एइएस के मामलों में बच्चों को बचाना बहुत कठित होता है अधिकतर मामले गंभीर स्थिति में आते हैं। सिन्हा ने कहा कि समय रहते बच्चों को बचाया जा सके इसलिए आइसीयू तक पहुंचाने,रोग के लक्षण की पहचान के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचाने और गर्मी में धूप में बच्चों को खेलने से मना करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा कि पटना के पीएमसीएच, एनएमसीएच, मुजफ्फरपुर के केजरीवाल और एसकेएमसीएच तथा गया के एएनएमसीएच में राज्य भर के विभिन्न हिस्सों के 74 बच्चों की अबतक एक्यूट इनसेफालोपैथी सिंड्रोम एइएस के कारण मौत हो चुकी है।
मई और जून महीने में इस रहस्यमय बीमारी के अबतक 197 मामले सामने आये हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जापानी इनसेफलाइटिस 'जापानी मस्तिष्क ज्वर' के दो मामलों की पुष्टि हुई है जो गया के एएनएमसीएच के हैं लेकिन किसी की भी इस बीमारी से मौत नहीं हुई है। मृत बच्चों में सभी मामले एइएस के हैं।सिन्हा ने बताया कि एइएस में लू, सेरेब्रल मलेरिया, मेनिनजाइटिस, टीबी मेनिनजाइटिस, न्यूरोसिस्टीसरकोसिस, पायोजेनिक मेनिनजाइटिस सहित 17 बीमारियों या दिमागी बुखार से मिलते जुलते लक्षणों को रखा गया है।
उन्होंने बताया कि राज्य के भागलपुर स्थित जेएलएनएमसीएच तथा दरभंगा के डीएमसीएच में दिमागी बुखार,जापानी मस्तिष्क ज्वर या एइएस का अभी तक कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
सिन्हा ने बताया कि मुजफ्फरपुर में एइएस के 81 मामले सामने आए, जिनमें से 30 बच्चों की मौत हो गई। सबसे अधिक 21 बच्चों की मौत केजरीवाल चैरिटेबल अस्पताल में हुई और एसकेएमसीएच में नौ बच्चे काल के गाल में समा गये। ये बच्चे तिरहुत और कोसी प्रमंडल क्षेत्र के हैं। उन्होंने बताया कि पटना के पीएमसीएच और एनएमसीएच में 89 मामलों में अबतक 34 बच्चों की मौत हुई है जबकि गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कालेज अस्पताल एएनएमसीएच में 27 मामलों में से नौ की मौत हो चुकी है।
प्रधान सचिव ने बताया कि राज्य में एएनएमसीएच में जापानी मस्तिष्क ज्वर जेइ के दो मामले सामने आये हैं। यहां गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, झारखंड के चतरा के मामले आये हैं। जापानी इनसेफलाइटिस के मामले औरंगाबाद और गया के इमामगंज से आये हैं। वहां टीकाकरण का अभियान शुरू कर दिया गया है। पटना मेडिकल कालेज अस्पताल की शिशु रोग विभाग की अध्यक्ष डा संजाता रायचौधरी ने बताया कि उनके यहां राज्य के करीब 21 जिलों सहित नेपाल का एक मामला सामने आया है। एइएस के मामलों में बच्चों को बचाना बहुत कठित होता है अधिकतर मामले गंभीर स्थिति में आते हैं। सिन्हा ने कहा कि समय रहते बच्चों को बचाया जा सके इसलिए आइसीयू तक पहुंचाने,रोग के लक्षण की पहचान के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचाने और गर्मी में धूप में बच्चों को खेलने से मना करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
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