प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'स्किल इंडिया' की हालत खस्ता है. साल 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के अंतर्गत 11 नवंबर तक 69.03 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी गई, लेकिन इसमें से मात्र 15.4 लाख लोगों को ही नौकरी मिल पाई, यानी 25 प्रतिशत से भी कम. चौंकाने वाली बात यह है कि इन 69 लाख लोगों में मात्र 26 को ही विदेश में नौकरी मिली. दूसरी तरफ, जिन लोगों को नौकरी मिली है उनका औसत वेतन मात्र 7800 रुपये प्रति माह है. दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य मो. नदीमुल हक ने सरकार से 'स्किल इंडिया' के तहत ट्रेनिंग, प्लेसमेंट और ओवरसीज इंप्लॉयमेंट आदि का लेखा-जोखा मांगा था, उनके सवालों के जवाब में सरकार ने जो डाटा उपलब्ध कराया है, वो चौंकाने वाला है.
कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्य मंत्री आरके सिंह ने जो डाटा उपलब्ध कराया है, उसके मुताबिक प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के अंतर्गत 11 नवंबर 2019 तक 38.01 लाख लोगों को अल्पावधि प्रशिक्षण (Short Term Training) और 31.02 लाख लोगों को पूर्व शिक्षण मान्यता (Recognition of Prior Learning) के अंतर्गत ट्रेनिंग दी गई, लेकिन ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी की हालत खस्ता है. 69.03 लाख लोगों में से करीब 22 फीसद को ही नौकरी मिली.
न्यूनतम वेतन से भी कम औसत सैलरी
सरकार के मुताबिक पीएमकेवीवाई (2016-20) के अंतर्गत ट्रेनिंग लेने वाले अभ्यर्थी को रोजगार अथवा मजदूरी रोजगार प्रदान किया जा रहा है, जिसमें मजदूरी के समान या न्यूनतम मजदूरी से अधिक वेतन मिलता है. लेकिन सरकार ने जो डाटा दिया है, वो चौंकाने वाला है. सरकार के मुताबिक पीएमकेवीवाई के अंतर्गत ट्रेनिंग लेने वाले अभ्यर्थियों का औसत वेतन लगभग 7800 रुपये प्रति माह ही है. जो कई राज्यों के न्यूनतम वेतन या न्यूनतम मजदूरी से भी कम है.
साल 2016 में जोर-शोर से शुरू की गई थी योजना
पीएम मोदी की अगुवाई वाली एनडीए-1 सरकार ने अक्टूबर 2016 में जोरशोर से 'स्किल इंडिया' योजना लॉन्च की थी. इस योजना को प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना का नाम दिया गया और दावा किया गया कि योजना के तहत ट्रेनिंग के बाद तमाम सेक्टर में बड़े पैमाने पर युवाओं को नौकरी मिलेगी, लेकिन शुरुआत से ही यह योजना लक्ष्य हासिल करने के लिए जद्दोजहद कर रही है. 1200 करोड़ रुपये के बजट के साथ लॉन्च की गई योजना के तहत 2016-20 तक 10 मिलियन यानी 1 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन ट्रेनिंग की रफ्तार तो धीमी है ही, नौकरी की हालत उससे ज्यादा खराब है.
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