पीएम नरेंद्र मोदी और गनी ने
नई दिल्ली:
रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण हेरांत प्रांत में 1700 करोड़ रुपये से निर्मित एक ऐतिहासिक बांध का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजनीति और भूगोल की बाधाओं और यहां उसके मिशन पर आतंकी हमलों के बावजूद भारत युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान के साथ सहयोग करता रहेगा।
मोदी ने कहा कि दूसरे देशों के लिए संबंधों की समय सीमा हो सकती है, लेकिन अफगानिस्तान के साथ हमारा संबंध समय से परे है। राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगान-भारत मैत्री बांध का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘हमारे संसाधन भले ही सीमित हों लेकिन हमारी इच्छाशक्ति असीम है। दूसरों के लिए, प्रतिबद्धताएं समयबद्ध हो सकती हैं लेकिन हमारा संबंध समय से परे है। भले ही हमारे समक्ष भूगोल और राजनीति की बाधाएं हों लेकिन हम अपने उद्देश्य की स्पष्टता से अपना मार्ग परिभाषित करते हैं।’’
उन्होंने आतंकवाद को खारिज करने के लिए अफगानिस्तान की जनता की तारीफ की और कहा कि उनका आपसी विभाजन सिर्फ उन लोगों की मदद करेगा, जो बाहर से ‘‘दबदबा’’ बनाये रखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह अफगान निर्माण का युद्ध नहीं था, इसने तो अफगानों की पूरी एक पीढ़ी का भविष्य चुरा लिया।’’ उन्होंने कहा कि आज अफगानिस्तान के बहादुर लोग यह संदेश दे रहे हैं कि ‘‘तबाही और मौत तथा वंचना एवं वर्चस्व कायम नहीं रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान आतंकवाद को हराने में सफल होगा, यह दुनिया ‘‘ज्यादा सुरक्षित और खूबसूरत होगी।’’
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ईरान की सीमा से सटे पश्चिमी हेरात के चिश्त-ए-शरीफ में हरीरूद नदी पर इस बांध का निर्माण भारत द्वारा 1700 करोड़ रुपये की लागत से कराया गया है। पहले इसे सलमा बांध के रूप में जाना जाता था। इस बांध से 75 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित की जा सकेगी और साथ ही 42 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
'ईंट गारे से नहीं, हमारे भरोसे से बना है ये बांध'
मोदी ने कहा, ‘‘यह बांध ईंटों और गारे से नहीं बल्कि हमारी मैत्री के विश्वास तथा अफगानों एवं भारतीयों के साहस से बना है। इस गौरवपूर्ण क्षण में, हम उन जिंदगियों के प्रति दुख और आभार भी व्यक्त करते हैं, जिनका बलिदान इसलिए दे दिया गया ताकि अफगान लोग ऐसा भविष्य पा सकें, जिसके वे हकदार हैं और जिसके लिए वे बेहद इच्छुक हैं।’’ अफगानिस्तान के साथ खड़ा रहने का संकल्प जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सहयोग का इस युद्ध प्रभावित देश के ‘हर हिस्से’ तक विस्तार किया जाएगा और इस साझेदारी से अफगान समाज के हर हिस्से को लाभ मिलेगा। मोदी ने गनी की मौजूदगी में कहा, ‘‘आपकी आंखों में मैंने भारत के प्रति गहरा स्नेह साफ देखा है। आपकी मुस्कुराहटों में मैंने इस संबंध की खुशी देखी है। आपके आलिंगन की दृढ़ता में मैंने अपनी दोस्ती के विश्वास को महसूस किया है।’’
'अफगानों ने अपने लागों की तरह हमारी रक्षा की'
करीब 25 मिनट के अपने भाषण में मोदी ने अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया, हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर बड़े आतंकी हमले और देश की पुनर्निर्माण गतिविधियों के मुद्दों को छुआ। उन्होंने कहा, ‘‘जब हमारे लोगों पर हमला हुआ तब बहादुर अफगानों ने अपने लोगों की तरह हमारी रक्षा की। वह खुद गोलियों की बौछार के सामने खड़े हो गए ताकि उनके भारतीय दोस्त महफूज रहें। यह आपके दिल की महानता और आपकी दोस्ती की ताकत है। मैंने जब से प्रधानमंत्री का पद संभाला तब से इसे देखा है।’’ मोदी ने यहां 2014 में भारतीय मिशन पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘उस दिन, जब आतंकवादियों ने हेरात के इस शहर में हमारे वाणिज्य दूतावास पर बड़ा हमला किया तब अफगान सैनिकों और हमारे कर्मियों की साहसी कोशिशों ने कई जानें बचायीं और एक बड़ी त्रासदी होने से रोकी।’’ अतीत में काबुल में भारतीय दूतावास पर दो बार हमला हुआ। इस साल मार्च में जलालाबाद में आत्मघाती हमले से उसके भारतीय मिशन को निशाना बनाया गया।
हम आपको समृद्ध होते देखना चाहते हैं...
मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की सफलता हर भारतीय की गहरी उम्मीद और इच्छा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे दिलों में अफगान लोगों के प्रति मौजूद प्रेम और सम्मान से आता है। हम आपके लोकतंत्र की जड़ें गहरी होते, आपके लोगों को एकजुट होते और आपकी अर्थव्यवस्था को समृद्ध होते देखना चाहते हैं। हम आपकी कला, संस्कृति और कविताओं को फलते-फूलते देखना चाहते हैं। हम आपके क्रिकेट खिलाड़ियों को टेस्ट खिलाड़ियों की श्रेणियों में आता और आईपीएल में नाम कमाता देखना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह इस स्वीकृति से भी आता है कि जब अफगानिस्तान सफल होगा, तब यह दुनिया ज्यादा सुरक्षित और खूबसूरत होगी। जब अफगानों को परिभाषित करने वाले मूल्य जड़ें जमा लेंगे, तब आतंकवाद और चरमपंथ पीछे हटेंगे, क्योंकि हम जानते हैं कि चरमपंथ और आतंकवाद आपकी सीमा पर या हमारे क्षेत्र की सीमाओं के अंत पर नहीं रुक सकते।’’ मोदी ने कहा कि भारत अफगानिस्तान का भरोसेमंद साझीदार बना रहेगा और उसकी वजह समय की कसौटी पर खरे उतरे वे मूल्य हैं जिन्हें अफगान और भारतीय एक दूसरे से चाहते हैं, न कि ऐसी कोई बात जो वे दूसरे के विरुद्ध मन में पालते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर दूसरों का विरोध और संशय है लेकिन उसका निश्चय दृढ़ है जो देश की तरक्की सुनिनिश्चत करने में उसका मार्गदर्शन करेगा।
छह माह से भी कम समय में मोदी की यह दूसरी अफगानिस्तान यात्रा...
मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के पहले पड़ाव में यहां पहुंचे हैं। छह माह से भी कम समय में मोदी की यह दूसरी अफगानिस्तान यात्रा है। इस परियोजना को भारत और अफगानिस्तान मैत्री की एतिहासिक ढांचागत परियोजना माना जा रहा है। हेरात शहर से 165 किलोमीटर दूर इस बांध के बनने से प्रांत की कृषि अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा। जारी
परियोजना को भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरद्धार मंत्रालय के तहत आने वाले वापकोस लिमिटेड ने क्रियान्वित किया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का उनके ‘दूसरे घर’ अफगानिस्तान में स्वागत है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की मदद से 30 साल के लंबे समय से चला आ रहा लोगों का यह सपना पूरा हुआ।
गनी ने कहा, ‘आज हम भारत-अफगान रिश्ते और दोस्ती के साथ आगे बढ़े हैं। इस बांध के बनने से दोनों के बीच सहयोग और समृद्धि के नये अध्याय की शुरआत हुई है। उन्होंने कहा, ‘हमारे लोगों के बीच भारत की पहचान यहां बनने वाली सड़कों, बांधों और 200 से अधिक छोटी विकास परियोजनाओं के रूप में हुई है।’ गनी ने कहा, ‘जो लोग गड़बड़ी और बर्बादी के रास्ते पर चलना चाहते हैं उसके विपरीत हम दोनों देशों ने मिलकर निर्माण और वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।’ अफगानिस्तान का हेरात प्रांत पश्चिम एशिया, मध्य और दक्षिण एशिया के पुराने व्यापार मार्ग पर पड़ता है। यहां से ईरान, तुर्केमिनिस्तान और अफगानिस्तान के अन्य भागों के लिये सड़क मार्ग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत और अफगानिस्तान के 1,500 से अधिक इंजीनियरों ने किया निर्माण
बांध के लिये जो भी कलपुर्जे और सामान की आवश्यकता पड़ी उसे भारत से समुद्री मांग से पहले ईरान के बंदर-ए-अब्बास बंदरगाह तक पहुंचाया गया। वहां से 1200 किलोमीटर सड़क मार्ग से इसे ईरान-अफगानिस्तान सीमा पर इस्लाम किला सीमा पोस्ट तक पहुंचाया गया। इसके बाद सीमा चौकी से अफगानिस्तान में 300 किलोमीटर अंदर इसे बांध स्थल तक पहुंचाया गया।
भारत और अफगानिस्तान के 1,500 से अधिक इंजीनियरों ने मुश्किल परिस्थितियों में इस बांध का निर्माण किया। मोदी की पांच देशों-अफगानिस्तान, कतर, स्विटजरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको-- की यात्रा में अफगानिस्तान पहला पड़ाव है। इससे पहले मोदी ने 25 दिसंबर को पिछले साल काबुल की यात्रा की थी। तब उन्होंने भारत द्वारा 9 करोड़ डालर की लागत से तैयार किये गये खूबसूरत संसद परिसर का उद्घाटन किया था।
मोदी ने कहा कि दूसरे देशों के लिए संबंधों की समय सीमा हो सकती है, लेकिन अफगानिस्तान के साथ हमारा संबंध समय से परे है। राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ अफगान-भारत मैत्री बांध का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘हमारे संसाधन भले ही सीमित हों लेकिन हमारी इच्छाशक्ति असीम है। दूसरों के लिए, प्रतिबद्धताएं समयबद्ध हो सकती हैं लेकिन हमारा संबंध समय से परे है। भले ही हमारे समक्ष भूगोल और राजनीति की बाधाएं हों लेकिन हम अपने उद्देश्य की स्पष्टता से अपना मार्ग परिभाषित करते हैं।’’
उन्होंने आतंकवाद को खारिज करने के लिए अफगानिस्तान की जनता की तारीफ की और कहा कि उनका आपसी विभाजन सिर्फ उन लोगों की मदद करेगा, जो बाहर से ‘‘दबदबा’’ बनाये रखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह अफगान निर्माण का युद्ध नहीं था, इसने तो अफगानों की पूरी एक पीढ़ी का भविष्य चुरा लिया।’’ उन्होंने कहा कि आज अफगानिस्तान के बहादुर लोग यह संदेश दे रहे हैं कि ‘‘तबाही और मौत तथा वंचना एवं वर्चस्व कायम नहीं रहेगा।’’ उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान आतंकवाद को हराने में सफल होगा, यह दुनिया ‘‘ज्यादा सुरक्षित और खूबसूरत होगी।’’
यह भी पढ़ें : पीएम मोदी को अफगानिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान अवॉर्ड से नवाजा गया
यह भी पढ़ें : पीएम मोदी की अफगानिस्तान यात्रा में बिताए गए अब तक के समय के मुख्य अंश
ईरान की सीमा से सटे पश्चिमी हेरात के चिश्त-ए-शरीफ में हरीरूद नदी पर इस बांध का निर्माण भारत द्वारा 1700 करोड़ रुपये की लागत से कराया गया है। पहले इसे सलमा बांध के रूप में जाना जाता था। इस बांध से 75 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित की जा सकेगी और साथ ही 42 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
'ईंट गारे से नहीं, हमारे भरोसे से बना है ये बांध'
मोदी ने कहा, ‘‘यह बांध ईंटों और गारे से नहीं बल्कि हमारी मैत्री के विश्वास तथा अफगानों एवं भारतीयों के साहस से बना है। इस गौरवपूर्ण क्षण में, हम उन जिंदगियों के प्रति दुख और आभार भी व्यक्त करते हैं, जिनका बलिदान इसलिए दे दिया गया ताकि अफगान लोग ऐसा भविष्य पा सकें, जिसके वे हकदार हैं और जिसके लिए वे बेहद इच्छुक हैं।’’ अफगानिस्तान के साथ खड़ा रहने का संकल्प जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सहयोग का इस युद्ध प्रभावित देश के ‘हर हिस्से’ तक विस्तार किया जाएगा और इस साझेदारी से अफगान समाज के हर हिस्से को लाभ मिलेगा। मोदी ने गनी की मौजूदगी में कहा, ‘‘आपकी आंखों में मैंने भारत के प्रति गहरा स्नेह साफ देखा है। आपकी मुस्कुराहटों में मैंने इस संबंध की खुशी देखी है। आपके आलिंगन की दृढ़ता में मैंने अपनी दोस्ती के विश्वास को महसूस किया है।’’
'अफगानों ने अपने लागों की तरह हमारी रक्षा की'
करीब 25 मिनट के अपने भाषण में मोदी ने अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया, हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर बड़े आतंकी हमले और देश की पुनर्निर्माण गतिविधियों के मुद्दों को छुआ। उन्होंने कहा, ‘‘जब हमारे लोगों पर हमला हुआ तब बहादुर अफगानों ने अपने लोगों की तरह हमारी रक्षा की। वह खुद गोलियों की बौछार के सामने खड़े हो गए ताकि उनके भारतीय दोस्त महफूज रहें। यह आपके दिल की महानता और आपकी दोस्ती की ताकत है। मैंने जब से प्रधानमंत्री का पद संभाला तब से इसे देखा है।’’ मोदी ने यहां 2014 में भारतीय मिशन पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘उस दिन, जब आतंकवादियों ने हेरात के इस शहर में हमारे वाणिज्य दूतावास पर बड़ा हमला किया तब अफगान सैनिकों और हमारे कर्मियों की साहसी कोशिशों ने कई जानें बचायीं और एक बड़ी त्रासदी होने से रोकी।’’ अतीत में काबुल में भारतीय दूतावास पर दो बार हमला हुआ। इस साल मार्च में जलालाबाद में आत्मघाती हमले से उसके भारतीय मिशन को निशाना बनाया गया।
हम आपको समृद्ध होते देखना चाहते हैं...
मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान की सफलता हर भारतीय की गहरी उम्मीद और इच्छा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे दिलों में अफगान लोगों के प्रति मौजूद प्रेम और सम्मान से आता है। हम आपके लोकतंत्र की जड़ें गहरी होते, आपके लोगों को एकजुट होते और आपकी अर्थव्यवस्था को समृद्ध होते देखना चाहते हैं। हम आपकी कला, संस्कृति और कविताओं को फलते-फूलते देखना चाहते हैं। हम आपके क्रिकेट खिलाड़ियों को टेस्ट खिलाड़ियों की श्रेणियों में आता और आईपीएल में नाम कमाता देखना चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह इस स्वीकृति से भी आता है कि जब अफगानिस्तान सफल होगा, तब यह दुनिया ज्यादा सुरक्षित और खूबसूरत होगी। जब अफगानों को परिभाषित करने वाले मूल्य जड़ें जमा लेंगे, तब आतंकवाद और चरमपंथ पीछे हटेंगे, क्योंकि हम जानते हैं कि चरमपंथ और आतंकवाद आपकी सीमा पर या हमारे क्षेत्र की सीमाओं के अंत पर नहीं रुक सकते।’’ मोदी ने कहा कि भारत अफगानिस्तान का भरोसेमंद साझीदार बना रहेगा और उसकी वजह समय की कसौटी पर खरे उतरे वे मूल्य हैं जिन्हें अफगान और भारतीय एक दूसरे से चाहते हैं, न कि ऐसी कोई बात जो वे दूसरे के विरुद्ध मन में पालते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत की भूमिका को लेकर दूसरों का विरोध और संशय है लेकिन उसका निश्चय दृढ़ है जो देश की तरक्की सुनिनिश्चत करने में उसका मार्गदर्शन करेगा।
छह माह से भी कम समय में मोदी की यह दूसरी अफगानिस्तान यात्रा...
मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के पहले पड़ाव में यहां पहुंचे हैं। छह माह से भी कम समय में मोदी की यह दूसरी अफगानिस्तान यात्रा है। इस परियोजना को भारत और अफगानिस्तान मैत्री की एतिहासिक ढांचागत परियोजना माना जा रहा है। हेरात शहर से 165 किलोमीटर दूर इस बांध के बनने से प्रांत की कृषि अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा। जारी
परियोजना को भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरद्धार मंत्रालय के तहत आने वाले वापकोस लिमिटेड ने क्रियान्वित किया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का उनके ‘दूसरे घर’ अफगानिस्तान में स्वागत है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की मदद से 30 साल के लंबे समय से चला आ रहा लोगों का यह सपना पूरा हुआ।
गनी ने कहा, ‘आज हम भारत-अफगान रिश्ते और दोस्ती के साथ आगे बढ़े हैं। इस बांध के बनने से दोनों के बीच सहयोग और समृद्धि के नये अध्याय की शुरआत हुई है। उन्होंने कहा, ‘हमारे लोगों के बीच भारत की पहचान यहां बनने वाली सड़कों, बांधों और 200 से अधिक छोटी विकास परियोजनाओं के रूप में हुई है।’ गनी ने कहा, ‘जो लोग गड़बड़ी और बर्बादी के रास्ते पर चलना चाहते हैं उसके विपरीत हम दोनों देशों ने मिलकर निर्माण और वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।’ अफगानिस्तान का हेरात प्रांत पश्चिम एशिया, मध्य और दक्षिण एशिया के पुराने व्यापार मार्ग पर पड़ता है। यहां से ईरान, तुर्केमिनिस्तान और अफगानिस्तान के अन्य भागों के लिये सड़क मार्ग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत और अफगानिस्तान के 1,500 से अधिक इंजीनियरों ने किया निर्माण
बांध के लिये जो भी कलपुर्जे और सामान की आवश्यकता पड़ी उसे भारत से समुद्री मांग से पहले ईरान के बंदर-ए-अब्बास बंदरगाह तक पहुंचाया गया। वहां से 1200 किलोमीटर सड़क मार्ग से इसे ईरान-अफगानिस्तान सीमा पर इस्लाम किला सीमा पोस्ट तक पहुंचाया गया। इसके बाद सीमा चौकी से अफगानिस्तान में 300 किलोमीटर अंदर इसे बांध स्थल तक पहुंचाया गया।
भारत और अफगानिस्तान के 1,500 से अधिक इंजीनियरों ने मुश्किल परिस्थितियों में इस बांध का निर्माण किया। मोदी की पांच देशों-अफगानिस्तान, कतर, स्विटजरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको-- की यात्रा में अफगानिस्तान पहला पड़ाव है। इससे पहले मोदी ने 25 दिसंबर को पिछले साल काबुल की यात्रा की थी। तब उन्होंने भारत द्वारा 9 करोड़ डालर की लागत से तैयार किये गये खूबसूरत संसद परिसर का उद्घाटन किया था।
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