पश्चिम बंगाल सरकार, नेताजी से जुड़ी 64 गुप्त फाइलों को सार्वजनिक कर रही है (फाइल फोटो)
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक कर दिया है। सालों से सरकारी और पुलिस लॉकर में बंद नेताजी से जुड़ी 64 गुप्त फाइलों को कोलकाता पुलिस संग्रहालय में सार्वजनिक कर दिया गया है।
इन फाइलों के सार्वजनिक होते ही सालों से पहेली बनी हुई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़े कई और रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। इसके साथ ही ऐसी और भी कई सूचनाएं हैं जो दिल्ली के राष्ट्रीय अभिलेखागार की गुप्त सूची से पहले ही हटा दी गई हैं।
1997 की रिपोर्ट से ऐसी ही एक फाइल सामने आई है जिसके अनुसार 18 अगस्त 1945 में ताईहोकू के प्लेन क्रैश में बोस की कथित तौर से मृत्यु के बाद महात्मा गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्हें लगता है कि नेताजी जिंदा हैं।
बंगाल में एक प्रार्थना सभा में दिए इस वक्तव्य के चार महीने बाद एक लेख छपा था जिसमें गांधीजी ने माना था कि 'इस तरह की निराधार भावना के ऊपर भरोसा कोई नहीं किया जा सकता।'
इसे भी पढ़िए : नेताजी का रहस्य और बंगाल की राजनीति
'अंतर्मन की आवाज़'
1946 की एक गुप्त फाइल के अनुसार गांधीजी ने अपनी इस भावना को 'अंतर्मन' की आवाज़ कहा था लेकिन कांग्रेसियों को लगता था कि उनके पास हो न हो कुछ गुप्त सूचना है।
फाइल में यह भी लिखा गया था कि एक गुप्त रिपोर्ट कहती है कि नेहरू को बोस की एक चिट्ठी मिली है जिसमें उन्होंने बताया है कि वह रूस में हैं और भारत लौटना चाहते हैं। हो सकता है कि जब गांधी ने सार्वजनिक तौर पर बोस के जिंदा होने की बात कही थी उसी दौरान यह चिट्ठी भेजी गई हो।
नेताजी के परिवार से चंद्र बोस का कहना है कि महात्मा गांधी को ज़रूर कुछ पता था 'गांधी ने कहा था कि बोस परिवार को उनका श्राद्ध नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी मौत को लेकर एक प्रश्न चिह्न लगा हुआ है।'
नेताजी के भतीजे डॉ शिशिर बोस की पत्नी और नेताजी रिसर्च ब्यूरो की प्रमुख कृष्णा बोस ने बताया कि गांधीजी ने पूरा मामला अप्रेल 1946 के हरिजन जर्नल में समझाया था।
'नेताजी हमें छोड़कर जा चुके हैं'
इस अंक में गांधी ने लिखा था 'कुछ साल पहले अखबारों में नेताजी के मरने की ख़बर छापी गई थी। मैंने इस रिपोर्ट पर भरोसा कर लिया था। लेकिन बाद में ख़बर गलत साबित हुई। इसके बाद मुझे ऐसा लगता रहा है कि जब तक नेताजी का स्वराज का सपना पूरा नहीं हो जाता वह हमें छोड़कर नहीं जा सकते। इस भावना के पीछे की वजह नेताजी की अपने दुश्मनों को चकमा देने की क़ाबलियत भी है। बस यही सब बातें हैं जिससे मुझे लगता रहा कि वह अभी भी जिंदा हैं।'
गांधीजी ने आगे लिखा 'मुझे बस ऐसा 'लगता' है कि नेताजी जिंदा हैं, इस तरह की निराधार भावना पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसलिए मैं सब लोगों से अपील करता हूं कि मैंने जो कहा उसे भूल जाएं और इस सच को क़बूल कर लें कि नेताजी हम सबको छोड़कर जा चुके हैं।'
कृष्णा बोस कहती हैं 'मुझे निजी तौर पर एयर क्रैश के होने पर यकीन है। लेकिन अगर कुछ और सामने आता है तो हमें अपनी सोच बदलनी पड़ सकती है।'
वहीं नेताजी पर लिखी किताब 'India's biggest cover-up' के लेखक अनुज धर कुछ और ही मानते हैं। वह साफतौर पर कहते हैं 'मुझे गुप्त एजेंसी की इस बात पर पूरा यकीन है कि गांधीजी के पास कुछ सूचना थी।' अनुज को लगता है कि गांधीजी को शिकागो ट्रिब्यून के पत्रकार एल्फ्रेड वेग से कुछ सूचना मिली होगी जो ताईवान गए थे।
इन फाइलों के सार्वजनिक होते ही सालों से पहेली बनी हुई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़े कई और रहस्यों से पर्दा उठ सकता है। इसके साथ ही ऐसी और भी कई सूचनाएं हैं जो दिल्ली के राष्ट्रीय अभिलेखागार की गुप्त सूची से पहले ही हटा दी गई हैं।
1997 की रिपोर्ट से ऐसी ही एक फाइल सामने आई है जिसके अनुसार 18 अगस्त 1945 में ताईहोकू के प्लेन क्रैश में बोस की कथित तौर से मृत्यु के बाद महात्मा गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्हें लगता है कि नेताजी जिंदा हैं।
बंगाल में एक प्रार्थना सभा में दिए इस वक्तव्य के चार महीने बाद एक लेख छपा था जिसमें गांधीजी ने माना था कि 'इस तरह की निराधार भावना के ऊपर भरोसा कोई नहीं किया जा सकता।'
इसे भी पढ़िए : नेताजी का रहस्य और बंगाल की राजनीति
'अंतर्मन की आवाज़'
1946 की एक गुप्त फाइल के अनुसार गांधीजी ने अपनी इस भावना को 'अंतर्मन' की आवाज़ कहा था लेकिन कांग्रेसियों को लगता था कि उनके पास हो न हो कुछ गुप्त सूचना है।
फाइल में यह भी लिखा गया था कि एक गुप्त रिपोर्ट कहती है कि नेहरू को बोस की एक चिट्ठी मिली है जिसमें उन्होंने बताया है कि वह रूस में हैं और भारत लौटना चाहते हैं। हो सकता है कि जब गांधी ने सार्वजनिक तौर पर बोस के जिंदा होने की बात कही थी उसी दौरान यह चिट्ठी भेजी गई हो।
नेताजी के परिवार से चंद्र बोस का कहना है कि महात्मा गांधी को ज़रूर कुछ पता था 'गांधी ने कहा था कि बोस परिवार को उनका श्राद्ध नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी मौत को लेकर एक प्रश्न चिह्न लगा हुआ है।'
नेताजी के भतीजे डॉ शिशिर बोस की पत्नी और नेताजी रिसर्च ब्यूरो की प्रमुख कृष्णा बोस ने बताया कि गांधीजी ने पूरा मामला अप्रेल 1946 के हरिजन जर्नल में समझाया था।
'नेताजी हमें छोड़कर जा चुके हैं'
इस अंक में गांधी ने लिखा था 'कुछ साल पहले अखबारों में नेताजी के मरने की ख़बर छापी गई थी। मैंने इस रिपोर्ट पर भरोसा कर लिया था। लेकिन बाद में ख़बर गलत साबित हुई। इसके बाद मुझे ऐसा लगता रहा है कि जब तक नेताजी का स्वराज का सपना पूरा नहीं हो जाता वह हमें छोड़कर नहीं जा सकते। इस भावना के पीछे की वजह नेताजी की अपने दुश्मनों को चकमा देने की क़ाबलियत भी है। बस यही सब बातें हैं जिससे मुझे लगता रहा कि वह अभी भी जिंदा हैं।'
गांधीजी ने आगे लिखा 'मुझे बस ऐसा 'लगता' है कि नेताजी जिंदा हैं, इस तरह की निराधार भावना पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसलिए मैं सब लोगों से अपील करता हूं कि मैंने जो कहा उसे भूल जाएं और इस सच को क़बूल कर लें कि नेताजी हम सबको छोड़कर जा चुके हैं।'
कृष्णा बोस कहती हैं 'मुझे निजी तौर पर एयर क्रैश के होने पर यकीन है। लेकिन अगर कुछ और सामने आता है तो हमें अपनी सोच बदलनी पड़ सकती है।'
वहीं नेताजी पर लिखी किताब 'India's biggest cover-up' के लेखक अनुज धर कुछ और ही मानते हैं। वह साफतौर पर कहते हैं 'मुझे गुप्त एजेंसी की इस बात पर पूरा यकीन है कि गांधीजी के पास कुछ सूचना थी।' अनुज को लगता है कि गांधीजी को शिकागो ट्रिब्यून के पत्रकार एल्फ्रेड वेग से कुछ सूचना मिली होगी जो ताईवान गए थे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं