
प्रतिकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
देश के सबसे समृद्ध और सबसे ज्यादा साक्षर राज्य केरल की पारिवारिक अदालतों में साल 2014 में हर घंटे तलाक की पांच मांगों पर मुहर लगाई गई थी। प्रतिदिन 120 तलाक हुए। यह संख्या देश के उन 11 राज्यों से अधिक है जहां हुए तलाक के आंकड़े सरकार के पास हैं।
12 राज्यों की परिवार अदालतों से इकट्ठे किए गए आंकड़ों के आधार पर सरकार ने साल 2015 में लोकसभा में तलाक से संबधित पूछे गए प्रश्न का जवाब दिया था। लेकिन इस मामले में सरकार के पास पूरे देश के आंकड़े नहीं हैं। उपलब्ध आंकड़ों से इतना स्पष्ट जरूर है कि परिवार अदालतों में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
केरल में सबसे अधिक तलाक हुए
साल 2014 में केरल में तलाक के 47,525 मामले थे। जो अन्य 11 राज्यों से अधिक है, जिनमें पांच राज्यों की जनसंख्या काफी अधिक है। केरल की तुलना में महाराष्ट्र में आधे तलाक हुए, जबकि उसकी जनसंख्या तीन गुना अधिक है।
शिक्षा और रोजगार की क्या भूमिका है?
केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक में महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है और इन राज्यों में महिलाओं की श्रम में भागीदारी भी राष्ट्रीय औसत से थोड़ी अधिक है। फिर भी पारस्परिक संबंध हमेशा सुस्पष्ट नहीं होते हैं।
मध्यप्रदेश महिला साक्षरता दर की दृष्टि से देश में तीसरे स्थान पर है, जबकि तलाक मामले में यह प्रदेश छठे स्थान पर है। इस प्रदेश की महिलाओं की श्रम में भागीदारी भी राष्ट्रीय औसत के बराबर है।
इसी तरह हरियाणा भी तलाक मामले में पांचवें स्थान पर है, जबकि वहां महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत (65 प्रतिशत) के बराबर है। हरियाणा में केरल से 80 प्रतिशत कम तलाक होते हैं।
ये हैं तलाक के कारण
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अहं का टकराव और आकांक्षाओं की भिन्नता तलाक के कारणों में शुमार हैं।
इंडियास्पेंड की साल 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे के दौरान दस पुरुषों में से छह ने माना कि उन्होंने कभी न कभी अपनी पत्नी के खिलाफ हिंसा की। अगर महिलाओं के पास विकल्प हो तो और तलाक होंगे।
भारत में महिलाएं प्राय: यातनापूर्ण वैवाहिक जीवन व्यतीत करती हैं। इसके पीछे आर्थिक स्वतंत्रता का अभाव, कानूनी अधिकारों का अल्प ज्ञान और पाविारिक दबाव समेत कई कारण हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
12 राज्यों की परिवार अदालतों से इकट्ठे किए गए आंकड़ों के आधार पर सरकार ने साल 2015 में लोकसभा में तलाक से संबधित पूछे गए प्रश्न का जवाब दिया था। लेकिन इस मामले में सरकार के पास पूरे देश के आंकड़े नहीं हैं। उपलब्ध आंकड़ों से इतना स्पष्ट जरूर है कि परिवार अदालतों में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
केरल में सबसे अधिक तलाक हुए
साल 2014 में केरल में तलाक के 47,525 मामले थे। जो अन्य 11 राज्यों से अधिक है, जिनमें पांच राज्यों की जनसंख्या काफी अधिक है। केरल की तुलना में महाराष्ट्र में आधे तलाक हुए, जबकि उसकी जनसंख्या तीन गुना अधिक है।
शिक्षा और रोजगार की क्या भूमिका है?
केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक में महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है और इन राज्यों में महिलाओं की श्रम में भागीदारी भी राष्ट्रीय औसत से थोड़ी अधिक है। फिर भी पारस्परिक संबंध हमेशा सुस्पष्ट नहीं होते हैं।
मध्यप्रदेश महिला साक्षरता दर की दृष्टि से देश में तीसरे स्थान पर है, जबकि तलाक मामले में यह प्रदेश छठे स्थान पर है। इस प्रदेश की महिलाओं की श्रम में भागीदारी भी राष्ट्रीय औसत के बराबर है।
इसी तरह हरियाणा भी तलाक मामले में पांचवें स्थान पर है, जबकि वहां महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत (65 प्रतिशत) के बराबर है। हरियाणा में केरल से 80 प्रतिशत कम तलाक होते हैं।
ये हैं तलाक के कारण
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अहं का टकराव और आकांक्षाओं की भिन्नता तलाक के कारणों में शुमार हैं।
इंडियास्पेंड की साल 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे के दौरान दस पुरुषों में से छह ने माना कि उन्होंने कभी न कभी अपनी पत्नी के खिलाफ हिंसा की। अगर महिलाओं के पास विकल्प हो तो और तलाक होंगे।
भारत में महिलाएं प्राय: यातनापूर्ण वैवाहिक जीवन व्यतीत करती हैं। इसके पीछे आर्थिक स्वतंत्रता का अभाव, कानूनी अधिकारों का अल्प ज्ञान और पाविारिक दबाव समेत कई कारण हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)