स्वर्ण मंदिर में जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाकर मंदिर से खालिस्तान की मांग करने वाले आतंकियों को खदेड़ा गया था
अमृतसर:
न्याय में भले ही देर हो जाए लेकिन मिलता जरुर है. ऐसा ही कुछ हुआ इन पीड़ितों का. ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सेना और पुलिस द्वारा कुछ दिन के लिए हिरासत में लिए गए 40 सिखों के एक समूह को मुआवजा हासिल करने में तीन दशक से ज्यादा का वक्त लग गया.
40 सिखों का मुकदमा लड़ने वाले वकील भगवंत सिंह सियालका ने कहा कि सभी याचिकाकर्ताओं को छह जून, 1984 को स्वर्ण मंदिर से गिरफ्तार किया गया था और 14 जून तक उन्हें अमृतसर में सेना छावनी इलाके के केंद्रीय विद्यालय में और बाद में राजस्थान के जोधपुर में बनाई गई अस्थाई जेल में अवैध हिरासत में रखा गया था जबकि इसके कि एक स्थानीय अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया था.
उन्होंने कहा कि याचिककर्ताओं ने 33 साल की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार मुकदमा जीत लिया. अदालत ने राज्य तथा केंद्र सरकार को प्रत्येक पीड़ित को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है.
सियालका ने बताया कि कुल 270 लोगों ने याचिका दायर की थी, जिनमें से कई लोग अब नहीं रहे और कई ने मुकदमा वापस ले लिया था. आखिरी लड़ाई तक ये 40 लोग ही बचे थे.
(इनपुट भाषा से भी)
40 सिखों का मुकदमा लड़ने वाले वकील भगवंत सिंह सियालका ने कहा कि सभी याचिकाकर्ताओं को छह जून, 1984 को स्वर्ण मंदिर से गिरफ्तार किया गया था और 14 जून तक उन्हें अमृतसर में सेना छावनी इलाके के केंद्रीय विद्यालय में और बाद में राजस्थान के जोधपुर में बनाई गई अस्थाई जेल में अवैध हिरासत में रखा गया था जबकि इसके कि एक स्थानीय अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया था.
उन्होंने कहा कि याचिककर्ताओं ने 33 साल की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार मुकदमा जीत लिया. अदालत ने राज्य तथा केंद्र सरकार को प्रत्येक पीड़ित को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है.
सियालका ने बताया कि कुल 270 लोगों ने याचिका दायर की थी, जिनमें से कई लोग अब नहीं रहे और कई ने मुकदमा वापस ले लिया था. आखिरी लड़ाई तक ये 40 लोग ही बचे थे.
(इनपुट भाषा से भी)
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