गलवान में 'मैदान छोड़कर' भागते वक्‍त घबराहट में डूब गए थे 38 चीनी सैनिक : रिपोर्ट

लद्दाख की गलवान घाटी में 2020 में हुई झड़प में चीन को उससे कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था, जितना कि उसने दावा किया था. साथ ही, कई चीनी सैनिक तेज धारा वाली नदी पार करते हुए अंधेरे में डूब गए थे. ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ‘द क्लैक्सन’ में बुधवार को यह दावा किया गया.

नई दिल्‍ली:

लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में 2020 में हुई झड़प में चीन (China) को उससे कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था, जितना कि उसने दावा किया था. साथ ही, कई चीनी सैनिक (Chinese Soldiers) तेज धारा वाली नदी पार करते हुए अंधेरे में डूब गए थे. ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार ‘द क्लैक्सन' (The Klaxon) में बुधवार को यह दावा किया गया. अखबार की खबर में अनाम शोधकर्ताओं और चीन के ब्लॉगरों का हवाला दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि "पीएलए (PLA) के सैनिक पीछे हटने में घबरा गए" और उनमें से कम से कम 38 बह गए.

‘द क्लैक्सन' (The Klaxon) के संपादक एंथनी क्लान ने NDTV को एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि जब हाथापाई हुई थी, उस वक्‍त भारतीय सैनिक यह पता लगाने आए थे कि क्या चीनियों ने बफर ज़ोन में अपने शिविर हटा दिए थे. उन्होंने कहा, "इस बात के सबूत हैं कि नदी पार कर वापस जाने में कई चीनी सैनिक बह गए." उन्होंने कहा, यह जानकारी "चीनी सोशल मीडिया से हटाए गए फर्स्ट-हैंड अकाउंट्स" से मिली थी.

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द क्लैक्सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के कर्नल संतोष बाबू और उनके सैनिक 15 जून को चीनी अतिक्रमण को हटाने के प्रयास में विवादित क्षेत्र में गए थे, जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कर्नल क्यूई फाबाओ लगभग 150 सैनिकों के साथ मौजूद थे. लेकिन क्यूई फाबाओ ने "6 जून, 2021 को की गई आपसी सहमति की तर्ज पर इस मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय, अपने सैनिकों को युद्धक तैनाती करने का आदेश दिया."

कर्नल फैबाओ ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया और भागने में उसकी मदद करने के लिए, दो अन्य पीएलए अधिकारियों - बटालियन कमांडर चेन होंगजुन और सैनिक चेन जियानग्रोंग - ने स्टील पाइप, लाठी और पत्थरों का उपयोग करके भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई शुरू कर दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नल फैबाओ को "भारतीय सेना के एक सिपाही ने सिर पर मारा गया", और "गंभीर रूप से घायल होकर वह वापस भाग गया."

"गलवान डिकोडेड" शीर्षक से सोशल मीडिया शोधकर्ताओं की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, द क्लैक्सन ने तब रिपोर्ट किया कि होंगजुन और जियानग्रोंग को "भारतीय सेना द्वारा तुरंत चुप करा दिया गया."

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अखबार ने रिपोर्ट में कहा कि "कर्नल फैबाओ के मैदान छोड़ने के बाद", और "मेजर चेन होंग्रुन, जूनियर सार्जेंट जिओ सियान और प्राइवेट चेन जियानरोंग के शव" को देखते हुए, "पीएलए सैनिक पीछे हटने में घबरा गए."

रिपोर्ट में कहा गया है, "यानचेंग काउंटी के लुओहे सिटी के हेनान में 1996 में जन्मे वांग ज़ुओरान अपने साथी मा मिंग के साथ आगे आए और पीछे हट रहने अपने सैनिकों का मार्गदर्शन किया और खतरे से बाहर निकालने में उनकी मदद की."

द क्लैक्सन ने सोशल मीडिया रिसर्चर्स की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि, "पीएलए के सैनिकों के पास पानी की पैंट पहनने का भी समय नहीं था. उन्होंने वांग के मार्गदर्शन में नदी के बर्फीले पानी को घने अंधेरे में पार करने का फैसला किया... नदी का स्‍तर अचानक बढ़ गया घायल चीनी सैनिक साथी फिसलते रहे और धारा में बहते रहे."

इस लड़ाई में 19 अन्य सैनिकों के साथ कर्नल संतोष बाबू शहीद हो गए थे.

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घटनाओं के चीन के आधिकारिक संस्करण में, केवल एक सैनिक - जूनियर सार्जेंट वांग ज़ुओरान को डूबा हुआ बताया गया. सिर में गंभीर चोट लगने वाले रेजिमेंट कमांडर क्यूई फैबाओ बीजिंग में शुक्रवार से शुरू हो रहे शीतकालीन ओलिंपिक के 1,200 मशालदारों में शामिल थे.

उन्हें चीनी राज्य मीडिया द्वारा एक नायक के रूप में पेश किया गया था, जिसने खेलों में उनके शामिल होने की सूचना दी थी.

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ऑस्ट्रेलियाई दैनिक ने बताया कि बीजिंग "गलवान की झड़प के बारे में चर्चा को बंद कराने के लिए चरम सीमा तक चला गया" और विशेष रूप से, "चीनी हताहतों की सही संख्या के बारे में चर्चा को लेकर."