आईटीबीपी के अधिकारी।
नई दिल्ली:
आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) अब मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी अभियान नमामि गंगे में भी कूद पड़ी है। गंगा नदी में आईटीबीपी के जवान देवप्रयाग से लेकर गंगा सागर तक राफ्टिंग करते हुए जाएंगे। दो अक्टूबर से बारह दिसम्बर तक, यानी कुल 73 दिनों में 2350 किलोमीटर लंबी इस जलयात्रा का नाम 'स्वच्छ गंगा' होगा। हर रोज यह दल करीब 27 किलोमीटर राफ्टिंग करेगा। इस अभियान में कुल 45 सदस्य भाग ले रहे हैं।
कचरा एकत्रित करेंगे, पानी के नमूने लेंगे
इस रिवर राफ्टिंग अभियान में लगे जवान गंगा नदी से रोजाना लगभग 50 किलो प्लास्टिक इकट्ठा करेंगे। इस पूरी यात्रा में कुल 52 पड़ाव होंगे, जहां खास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। आईटीबीपी के जवान इस पूरी यात्रा के दौरान अलग-अलग स्थानों से पानी के नमूने भी इकट्ठे करेंगे, जिनकी जांच के बाद प्रदूषण के आंकड़े भारत सरकार को सौंपे जाएंगे।
स्थानीय लोगों को अभियान से जोड़ने की कोशिश
कमांडेंट सुरेंद्र खत्री के नेतृत्व में होने वाली इस यात्रा के दौरान प्रतीकात्मक पौधरोपण कार्यक्रम भी होगा। आईटीबीपी इस यात्रा में दो प्रमुख नारों का प्रयोग करेगी। यह नारे हैं 'स्वच्छ गंगा-निर्मल गंगा' और 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ'। आईटीबीपी के महानिदेशक श्रीकृष्ण चौधरी ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि जलयात्रा के दौरान हर महत्वपूर्ण स्थान पर स्थानीय लोगों को भी इस अभियान से जोड़ें। सन 1962 में गठित इस बल का मुख्य काम भारत-चीन सीमा पर निगरानी करना है।
कचरा एकत्रित करेंगे, पानी के नमूने लेंगे
इस रिवर राफ्टिंग अभियान में लगे जवान गंगा नदी से रोजाना लगभग 50 किलो प्लास्टिक इकट्ठा करेंगे। इस पूरी यात्रा में कुल 52 पड़ाव होंगे, जहां खास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। आईटीबीपी के जवान इस पूरी यात्रा के दौरान अलग-अलग स्थानों से पानी के नमूने भी इकट्ठे करेंगे, जिनकी जांच के बाद प्रदूषण के आंकड़े भारत सरकार को सौंपे जाएंगे।
स्थानीय लोगों को अभियान से जोड़ने की कोशिश
कमांडेंट सुरेंद्र खत्री के नेतृत्व में होने वाली इस यात्रा के दौरान प्रतीकात्मक पौधरोपण कार्यक्रम भी होगा। आईटीबीपी इस यात्रा में दो प्रमुख नारों का प्रयोग करेगी। यह नारे हैं 'स्वच्छ गंगा-निर्मल गंगा' और 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ'। आईटीबीपी के महानिदेशक श्रीकृष्ण चौधरी ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि जलयात्रा के दौरान हर महत्वपूर्ण स्थान पर स्थानीय लोगों को भी इस अभियान से जोड़ें। सन 1962 में गठित इस बल का मुख्य काम भारत-चीन सीमा पर निगरानी करना है।
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