वर्ष 2002 में गुजरात दंगों से जुड़े नरोदा पाटिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दोषियों में से एक बाबू बजरंगी को स्वास्थ्य कारणों से ज़मानत दे दी है. इससे पूर्व इस साल जनवरी में इसी केस में मामले में चार दोषियों राजकुमार, हर्षद, उमेश भाई भारवाड और प्रकाशभाई राठौड़ को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी. जमानत के लिए बाबू बजरंगी ने आंखों की रोशनी चली जाने का हवाला दिया था. बाबू बजरंगी को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, मगर बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने सजा घटाकर 21 साल कर दी थी. हालांकि इस मामले में बजरंगी की एक अपील सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित है. फिलहाल बाबू बजरंगी अब तक पांच साल जेल में गुजार चुका है.
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अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में 2002 में भड़के दंगे के दौरान बाबू बजरंगी पर 97 लोगों की हत्या का आरोप रहा. जिसके चलते उसे ट्रायल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.2002 में गोधरा दंगे के दौरान नरोदा पाटिया में नरसंहार की घटना सामने आई थी. 2007 में एक स्टिंग के दौरान बाबू बजरंगी ने यह स्वीकार किया था कि उसने लोगों की हत्याएं की. स्टिंग का वीडियो सामने आने के बाद हंगामा मच गया था. जिसके बाद से बाबू बजरंगी पर कानूनी शिकंजा बढ़ता गया.
इससे पहले 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 4 दोषियों को जमानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी सजा पर संदेह है. चारों दोषियों को आगजनी, दंगा करने के लिए 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सजा का आदेश बहस का मुद्दा है. कोर्ट ने उमेशभाई भारवाड़, राजकुमार, हर्षद और प्रकाशभाई राठौड़ को जमानत दे दी. सभी को गुजरात हाइकोर्ट ने दोषी ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और अन्य की अपील भी स्वीकार कर ली. 28 फरवरी, 2002 को सांप्रदायिक दंगों के दौरान अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में कम से कम 97 मुस्लिम मारे गए थे.
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