आम आदमी पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदास के खत से पार्टी में मौजूद दरार पर मुहर लग गई है। रामदास ने आरोप लगाया है कि टॉप लीडरशिप में संवाद ख़त्म सा हो गया और पार्टी के भीतर दो गुट बन गए हैं।
वहीं योगेंद्र यादव ने एक तरह से लोकपाल की कही इन बातों पर सहमित जताते हुए कहा कि लोकपाल राष्ट्रीय कार्यकारिणी से ऊपर हैं। उनकी कही बातें न्यायिक हैं और पार्टी के लिए इसे मानना ज़रूरी है।
आप संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सत्ता में आने के मुश्किल से दो सप्ताह बाद ही पूर्व नौसेना प्रमुख और पार्टी के आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले पिछले सप्ताह राजनीतिक परामर्श समिति (पीएसी) को लिखे एक पत्र में सिफारिश की है कि पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र को लेकर किसी भी आलोचना से एक स्वतंत्र समूह द्वारा निपटा जाना चाहिए जो आंतरिक लेखा परीक्षा करता है।
रामदास ने सवाल उठाया है कि अगर मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय संयोजक एक ही होगा तो क्या वह ज़िम्मेदारी ठीक से उठा पाएगा? उन्होंने कहा, 'हमें अच्छा लगे या बुरा, लेकिन ये मानना होगा कि हम एक राष्ट्रीय पार्टी हैं और हम खुद को दिल्ली तक सीमित नहीं रख सकते।'
रामदास के मुताबिक पिछले छह से आठ महीनों में पार्टी की टॉप लीडरशिप में आपसी संवाद ख़त्म सा हो गया है। उनके मुताबिक आम आदमी पार्टी में दो गुट बन गए हैं, इसीलिए षडयंत्र की कहानियां सुनने में आ रहीं हैं।
एडमिरल रामदास ने यहां तक लिख दिया कि मौजूदा हालात दिखाते हैं कि हमारी पार्टी भी उन्हीं पार्टियों जैसी है जिनकी हम आलोचना करते रहते हैं। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि आप को सही मायने में महिलाओं के प्रति संवेदनशील पार्टी बनने के लिए प्रयास करना चाहिए, क्योंकि न तो उसकी पीएसी और न ही उसके नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में कोई महिला सदस्य है।
बताया जा रहा है कि विवाद को देखते हुए अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय संयोजक पद से इस्तीफ़ा भी दे दिया था, जिसे राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने स्वीकार नहीं किया और नई कार्यकारिणी बनाने का अधिकार केजरीवाल को ही दे दिया।
इन सब मुद्दों पर आप में कोई भी खुलकर कुछ नहीं कह रहा है, लेकिन सियासी सरगर्मियां माहौल की जानकारी दे रही हैं।
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