दिल्ली गैंगरेप के बाद हुए प्रदर्शन की तस्वीर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
हमेशा जागती रहने वाली देश की राजधानी दिल्ली में तीन साल पहले 16 दिसंबर, 2012 को एक 23-वर्षीय मेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों द्वारा बेहद नृशंस तरीके से गैंगरेप किया गया था, जिसके दौरान हुए पाशविक हमलों की वजह से 29 दिसंबर को उस छात्रा का देहांत हो गया था। उसके बाद छह में से एक आरोपी तिहाड़ जेल में ही मरा हुआ पाया गया, लेकिन बाकी पांच में से एक को नाबालिग मानकर मुकदमा चला, तथा दोषी करार देकर उसे तीन वर्ष बाल सुधार गृह में रखे जाने की सज़ा सुनाई गई, जबकि शेष चारों अभियुक्तों को दोषी पाए जाने पर फांसी की सज़ा सुनाई गई।
इस सबके दौरान देशभर में आग-सी लग गई थी, और कोने-कोने में आंदोलनों ने ज़ोर पकड़ लिया था, लेकिन अब रविवार को वही नाबालिग दोषी, जो वारदात के दौरान सबसे ज़्यादा नृशंस हरकतों के लिए ज़िम्मेदार माना गया था, अपनी सज़ा काटकर रिहा होने जा रहा है। महिला आयोग ने इसकी रिहाई को कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है, और इसके लिए वह राष्ट्रपति तथा देश के प्रधान न्यायाधीश को खत भी लिखेगा।
खैर, फिलहाल याद करते हैं, वारदात के दिन, और उसके बाद कब-कब क्या-क्या हुआ था...
16 दिसंबर, 2012 : मेडिकल छात्रा रात को लगभग 9 बजे अपने एक मित्र के साथ साकेत मॉल में फिल्म देखकर घर के लिए रवाना हुई... दोनों लोग एक ऑटो में सवार होकर मुनीरका तक आए, जहां से वे एक चार्टर्ड बस में सवार हुए... इस बस में ड्राइवर रामसिंह, मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर तथा एक नाबालिग लड़का पहले से मौजूद थे, और सभी नशे में थे... इन्होंने मेडिकल छात्रा और उसके मित्र के साथ अभद्रता की, और विरोध करने पर छात्रा के मित्र को लोहे के सरिये से पीटा, जिसके बाद वह होश खो बैठा... इसके बाद सभी छह लोगों ने मेडिकल छात्रा के साथ जघन्य तरीके से बलात्कार किया और बहुत देर तक उसे पीटते भी रहे... इस दौरान एक बलात्कारी ने लड़की के गुप्तांग में लोहे का सरिया भी घुसाया, जिससे उसके शरीर के अंदरूनी भाग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जिनमें उसकी आंतें भी शामिल थीं... फिर उन्होंने दोनों को मरा हुआ समझकर उन्हें निर्वस्त्र कर दिया, और महिपालपुर इलाके के पास चलती बस से बाहर फेंक दिया... दोनों को सड़क पर पड़े देखकर राहगीरों ने पुलिस को सूचित किया, जिन्होंने उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया...
17 दिसंबर, 2012 : मामले की जांच शुरू हुई, और मुख्य आरोपी ड्राइवर रामसिंह गिरफ्तार किया गया...
18 दिसंबर, 2012 : मामले के तीन अन्य आरोपी मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, और विनय शर्मा गिरफ्तार किए गए... संसद में विपक्ष की तत्कालीन नेता सुषमा स्वराज ने दुष्कर्मियों को मृत्युदंड दिए जाने की मांग की...
19 दिसंबर, 2012 : नाबालिग आरोपी गिरफ्तार किया गया...
20 दिसंबर, 2012 : दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर के बाहर छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया... मेडिकल छात्रा के पुरुष मित्र ने पुलिस को बयान दिया...
21 दिसंबर, 2012 : मेडिकल छात्रा के पुरुष मित्र ने अभियुक्त मुकेश सिंह को पहचाना... छठा आरोपी अक्षय ठाकुर भी गिरफ्तार किया गया...
22 दिसंबर, 2012 : दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन बढ़ते चले गए, और मेडिकल छात्रा की स्थिति गंभीर बनी रही...
23 दिसंबर, 2012 : राष्ट्रीय राजधानी में हो रहे एक विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर बेहोश पाया गया, तथा उस पर हमले के आरोप में आठ प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए...
24 दिसंबर, 2012 : तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने टीवी पर दिए एक बयान में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का आश्वासन दिलाते हुए प्रदर्शनकारियों से घर लौटने का आग्रह किया... दो अभियुक्तों को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया, जहां उन्होंने अपने अपराध के लिए खुद को फांसी दिए जाने की मांग की...
25 दिसंबर, 2012 : मेडिकल छात्रा ने पुलिस को बयान दिया... विरोध-प्रदर्शन के दौरान बेहोश पाए गए पुलिस कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर की मृत्यु हो गई...
27 दिसंबर, 2012 : सरकार ने मेडिकल छात्रा को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा, जहां उसे माउंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया...
29 दिसंबर, 2012 : भारतीय समयानुसार रात को लगभग 2 बजे मेडिकल छात्रा का निधन हो गया...
2 जनवरी, 2013 : सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमश कबीर ने महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों से जुड़े मामलों के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का उद्घाटन किया...
22 जनवरी, 2013 : 16 दिसंबर गैंगरेप कांड से जुड़ा मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपा गया...
28 जनवरी, 2013 : जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बताया कि एक आरोपी नाबालिग है... उसके खिलाफ मुकदमा नाबालिग के रूप में ही चलाया जाएगा...
2 फरवरी, 2013 : दिल्ली पुलिस ने शेष पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया... उन पर हत्या, बलात्कार और अपहरण के आरोप लगाए गए...
11 मार्च, 2013 : मामले का मुख्य आरोपी ड्राइवर रामसिंह तिहाड़ जेल में अपने सेल में फांसी पर लटका पाया गया...
31 अगस्त, 2013 : नाबालिग को गैंगरेप का दोषी करार दिया गया, तीन साल तक बाल सुधार गृह में रखने की सज़ा सुनाई गई...
10 सितंबर, 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को दोषी करार दिया...
12 सितंबर, 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सभी दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई...
इस सबके दौरान देशभर में आग-सी लग गई थी, और कोने-कोने में आंदोलनों ने ज़ोर पकड़ लिया था, लेकिन अब रविवार को वही नाबालिग दोषी, जो वारदात के दौरान सबसे ज़्यादा नृशंस हरकतों के लिए ज़िम्मेदार माना गया था, अपनी सज़ा काटकर रिहा होने जा रहा है। महिला आयोग ने इसकी रिहाई को कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है, और इसके लिए वह राष्ट्रपति तथा देश के प्रधान न्यायाधीश को खत भी लिखेगा।
खैर, फिलहाल याद करते हैं, वारदात के दिन, और उसके बाद कब-कब क्या-क्या हुआ था...
16 दिसंबर, 2012 : मेडिकल छात्रा रात को लगभग 9 बजे अपने एक मित्र के साथ साकेत मॉल में फिल्म देखकर घर के लिए रवाना हुई... दोनों लोग एक ऑटो में सवार होकर मुनीरका तक आए, जहां से वे एक चार्टर्ड बस में सवार हुए... इस बस में ड्राइवर रामसिंह, मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता, अक्षय ठाकुर तथा एक नाबालिग लड़का पहले से मौजूद थे, और सभी नशे में थे... इन्होंने मेडिकल छात्रा और उसके मित्र के साथ अभद्रता की, और विरोध करने पर छात्रा के मित्र को लोहे के सरिये से पीटा, जिसके बाद वह होश खो बैठा... इसके बाद सभी छह लोगों ने मेडिकल छात्रा के साथ जघन्य तरीके से बलात्कार किया और बहुत देर तक उसे पीटते भी रहे... इस दौरान एक बलात्कारी ने लड़की के गुप्तांग में लोहे का सरिया भी घुसाया, जिससे उसके शरीर के अंदरूनी भाग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जिनमें उसकी आंतें भी शामिल थीं... फिर उन्होंने दोनों को मरा हुआ समझकर उन्हें निर्वस्त्र कर दिया, और महिपालपुर इलाके के पास चलती बस से बाहर फेंक दिया... दोनों को सड़क पर पड़े देखकर राहगीरों ने पुलिस को सूचित किया, जिन्होंने उन्हें सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया...
17 दिसंबर, 2012 : मामले की जांच शुरू हुई, और मुख्य आरोपी ड्राइवर रामसिंह गिरफ्तार किया गया...
18 दिसंबर, 2012 : मामले के तीन अन्य आरोपी मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, और विनय शर्मा गिरफ्तार किए गए... संसद में विपक्ष की तत्कालीन नेता सुषमा स्वराज ने दुष्कर्मियों को मृत्युदंड दिए जाने की मांग की...
19 दिसंबर, 2012 : नाबालिग आरोपी गिरफ्तार किया गया...
20 दिसंबर, 2012 : दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर के बाहर छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया... मेडिकल छात्रा के पुरुष मित्र ने पुलिस को बयान दिया...
21 दिसंबर, 2012 : मेडिकल छात्रा के पुरुष मित्र ने अभियुक्त मुकेश सिंह को पहचाना... छठा आरोपी अक्षय ठाकुर भी गिरफ्तार किया गया...
22 दिसंबर, 2012 : दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन बढ़ते चले गए, और मेडिकल छात्रा की स्थिति गंभीर बनी रही...
23 दिसंबर, 2012 : राष्ट्रीय राजधानी में हो रहे एक विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर बेहोश पाया गया, तथा उस पर हमले के आरोप में आठ प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए...
24 दिसंबर, 2012 : तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने टीवी पर दिए एक बयान में महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का आश्वासन दिलाते हुए प्रदर्शनकारियों से घर लौटने का आग्रह किया... दो अभियुक्तों को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया, जहां उन्होंने अपने अपराध के लिए खुद को फांसी दिए जाने की मांग की...
25 दिसंबर, 2012 : मेडिकल छात्रा ने पुलिस को बयान दिया... विरोध-प्रदर्शन के दौरान बेहोश पाए गए पुलिस कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर की मृत्यु हो गई...
27 दिसंबर, 2012 : सरकार ने मेडिकल छात्रा को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा, जहां उसे माउंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया...
29 दिसंबर, 2012 : भारतीय समयानुसार रात को लगभग 2 बजे मेडिकल छात्रा का निधन हो गया...
2 जनवरी, 2013 : सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमश कबीर ने महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों से जुड़े मामलों के लिए फास्ट ट्रैक अदालत का उद्घाटन किया...
22 जनवरी, 2013 : 16 दिसंबर गैंगरेप कांड से जुड़ा मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट को सौंपा गया...
28 जनवरी, 2013 : जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने बताया कि एक आरोपी नाबालिग है... उसके खिलाफ मुकदमा नाबालिग के रूप में ही चलाया जाएगा...
2 फरवरी, 2013 : दिल्ली पुलिस ने शेष पांच आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया... उन पर हत्या, बलात्कार और अपहरण के आरोप लगाए गए...
11 मार्च, 2013 : मामले का मुख्य आरोपी ड्राइवर रामसिंह तिहाड़ जेल में अपने सेल में फांसी पर लटका पाया गया...
31 अगस्त, 2013 : नाबालिग को गैंगरेप का दोषी करार दिया गया, तीन साल तक बाल सुधार गृह में रखने की सज़ा सुनाई गई...
10 सितंबर, 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को दोषी करार दिया...
12 सितंबर, 2013 : फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सभी दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई...
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