प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
मुंबई में सोमवार को कोडीन सलफेट युक्त कफ़ सिरप की करीब 15000 बोतलें खाद्य और अन्न विभाग ने जब्त की। कोडीन सलफेट मिले हुए कफ़ सिरप को सिर्फ डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही दिया जाता है। इसका इस्तेमाल नशा करने के लिए भी किया जाता है।
कोडीन सिरप यूं तो खांसी की दवा है। लेकिन डोज़ ज़्यादा हो जाये तो दवा से ज़हर बन जाता है। इसका इस्तेमाल नशा करने के लिए भी होता है। इसी कोडीन सिरप की अवैध जमाखोरी का एक कन्साइनमेंट एफडीए ने सोमवार को जब्त किया।
डॉ हर्षदीप काम्बले, आयुक्त, खाद्य एवं औषध विभाग ने कहा, "हमें इस स्टॉक की जानकारी मिली। हमने 10- 12 दिन इस बारे में और जानकारी जुटाई। फिर स्थानीय पुलिस की मदद से हमने एक ट्रैप लगाया। अपने एक अधिकारी को नकली ग्राहक बनाकर भेजा और इस तरह इस ग्रुप का एक आरोपी पकड़ा गया। और दूसरे आरोपियों की तलाश है।"
एफडीए अधिकारियों का कहना है कि इस सिरप की एक बोतल की कीमत करीब 80 रुपये है जिसे इन आरोपी जमाखोरों ने 40 रुपये में खरीद लिया...और अब ये इसे तीन गुना कीमत पर स्कूल कॉलेज के बच्चों को बेचने वाले थे और इसे देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में भी भेजने वाले थे।
नशे की बाकी चीज़ों के मुकाबले कोडीन का नशा आसानी से मिल जाता है। ये सस्ता भी होता है और इसे लेने में पकड़े जाने का डर भी ज्यादा नहीं होता। नशा करने वालों के बीच इसका चलन बढ़ रहा है। लेकिन कोडीन सिरप कई बार ख़तरनाक भी होता है। डॉ युसूफ माचिसवाला का कहना है कि कोडीन का जरूरत से ज्यादा या बेवजह सेवन कई बार बहुत खतरनाक हो जाता है। इसका नशा करने वाले का दिमाग काम करना बंद कर देता है, कई बार उसे इसके चलते मिर्गी के दौरे शुरू हो जाते है। बच्चों को दिमागी बीमारियां घेर लेती हैं।
इस तरह की जमाखोरी पर वैसे भी पाबन्दी है और ज़ब्त हुए स्टॉक में से कई सारा माल साल भर पुराना है। एफ़डीए का शक है कि इसके पीछे एक ड्रग रैकेट का हाथ है जिसका पता लगाया जा रहा है। साथ ही इस बात की जांच भी हो रही है कि कहीं बोतलों में बंद सिरप नकली तो नहीं।
कोडीन सिरप यूं तो खांसी की दवा है। लेकिन डोज़ ज़्यादा हो जाये तो दवा से ज़हर बन जाता है। इसका इस्तेमाल नशा करने के लिए भी होता है। इसी कोडीन सिरप की अवैध जमाखोरी का एक कन्साइनमेंट एफडीए ने सोमवार को जब्त किया।
डॉ हर्षदीप काम्बले, आयुक्त, खाद्य एवं औषध विभाग ने कहा, "हमें इस स्टॉक की जानकारी मिली। हमने 10- 12 दिन इस बारे में और जानकारी जुटाई। फिर स्थानीय पुलिस की मदद से हमने एक ट्रैप लगाया। अपने एक अधिकारी को नकली ग्राहक बनाकर भेजा और इस तरह इस ग्रुप का एक आरोपी पकड़ा गया। और दूसरे आरोपियों की तलाश है।"
एफडीए अधिकारियों का कहना है कि इस सिरप की एक बोतल की कीमत करीब 80 रुपये है जिसे इन आरोपी जमाखोरों ने 40 रुपये में खरीद लिया...और अब ये इसे तीन गुना कीमत पर स्कूल कॉलेज के बच्चों को बेचने वाले थे और इसे देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में भी भेजने वाले थे।
नशे की बाकी चीज़ों के मुकाबले कोडीन का नशा आसानी से मिल जाता है। ये सस्ता भी होता है और इसे लेने में पकड़े जाने का डर भी ज्यादा नहीं होता। नशा करने वालों के बीच इसका चलन बढ़ रहा है। लेकिन कोडीन सिरप कई बार ख़तरनाक भी होता है। डॉ युसूफ माचिसवाला का कहना है कि कोडीन का जरूरत से ज्यादा या बेवजह सेवन कई बार बहुत खतरनाक हो जाता है। इसका नशा करने वाले का दिमाग काम करना बंद कर देता है, कई बार उसे इसके चलते मिर्गी के दौरे शुरू हो जाते है। बच्चों को दिमागी बीमारियां घेर लेती हैं।
इस तरह की जमाखोरी पर वैसे भी पाबन्दी है और ज़ब्त हुए स्टॉक में से कई सारा माल साल भर पुराना है। एफ़डीए का शक है कि इसके पीछे एक ड्रग रैकेट का हाथ है जिसका पता लगाया जा रहा है। साथ ही इस बात की जांच भी हो रही है कि कहीं बोतलों में बंद सिरप नकली तो नहीं।
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