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फार्मा पर 100 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ लगने पर क्या पड़ेगा दवाइयों पर असर, जानिए यहां

अमेरिकी प्रशासन की नई घोषणा के बाद, दवा कंपनियों के शेयरों में 5 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आई. सन फार्मा, बायोकॉन, जाइडस लाइफसाइंसेज, अरबिंदो फार्मा, डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन, सिप्ला और टोरेंट फार्मा जैसी प्रमुख दवा कंपनियों के शेयर लाल निशान में थे.

फार्मा पर 100 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ लगने पर क्या पड़ेगा दवाइयों पर असर, जानिए यहां
अमेरिकी प्रशासन की नई घोषणा के बाद, दवा कंपनियों के शेयरों में 5 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आई.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से फार्मा उत्पादों के आयात पर लगाए गए 100 प्रतिशत टैरिफ से भारत से होने वाले निर्यात पर कुछ खास असर नहीं होगा. यह जानकारी एक्सपर्ट्स की ओर से शुक्रवार को दी गई. एक्सपर्ट्स ने बताया कि अमेरिका द्वारा फर्मा उत्पादों के आयात के लिए लगाया गया 100 प्रतिशत टैरिफ केवल ब्रांडेड और पेटेंट की हुई दवाओं के लिए है. यह जेनेरिक दवाओं के लिए नहीं है और भारत की ओर से अमेरिका को निर्यात होने वाली दवाओं में सबसे अधिक हिस्सेदारी जेनेरिक दवाओं की है.

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फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) के चेयरमैन नमित जोशी ने कहा, "ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मास्यूटिकल्स आयात पर प्रस्तावित 100 प्रतिशत टैरिफ का भारतीय निर्यात पर तत्काल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि हमारे निर्यात का अधिकांश हिस्सा जेनेरिक दवाओं से आता है, जबकि अधिकांश बड़ी भारतीय कंपनियां पहले से ही अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग या रीपैकेजिंग इकाइयां संचालित कर रही हैं और आगे अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रही हैं."

इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, "कार्यकारी आदेश अमेरिका को आपूर्ति किए जाने वाले पेटेंट/ब्रांडेड उत्पादों पर लागू होता है. यह जेनेरिक दवाओं पर लागू नहीं होता."

वर्तमान में, भारत अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45 प्रतिशत से अधिक जेनेरिक और 15 प्रतिशत बायोसिमिलर दवाओं की आपूर्ति करता है.

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा दवा निर्यात बाजार है. फार्मेक्सिल के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में भारत के 27.9 अरब डॉलर मूल्य के दवा निर्यात में से 31 प्रतिशत या 8.7 अरब डॉलर (7,72,31 करोड़ रुपए) अमेरिका को किया गया था. 2025 की पहली छमाही में ही 3.7 अरब डॉलर (32,505 करोड़ रुपए) मूल्य के दवा उत्पादों का निर्यात किया गया.

जोशी ने कहा, "भारत लंबे समय से सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का आधार रहा है और खासकर जेनेरिक दवाओं में अमेरिका की लगभग 47 प्रतिशत दवा आवश्यकताओं की आपूर्ति करता है."

एआईएमईडी के फोरम कोऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा, "उम्मीद है कि दवाओं पर टैरिफ के इस नए दौर का चिकित्सा उपकरणों पर कोई असर नहीं पड़ेगा."

अमेरिकी प्रशासन की नई घोषणा के बाद, दवा कंपनियों के शेयरों में 5 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आई. सन फार्मा, बायोकॉन, जाइडस लाइफसाइंसेज, अरबिंदो फार्मा, डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन, सिप्ला और टोरेंट फार्मा जैसी प्रमुख दवा कंपनियों के शेयर लाल निशान में थे.
 

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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