बॉलीवुड एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन (Kalki Koechlin) ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर अपनी डिलीवरी की फोटो (Delivery Photos) साझा की. कल्कि कोचलिन ने कुछ दिन पहले ही एक बेटी को जन्म दिया है. इसका नाम कल्कि ने Sappho रखा. इस बच्चे की डिलीवरी वॉटर बर्थ तकनीक (Water Birth Technique) से हुई. इस बात का खुलासा कल्कि के इंस्टाग्राम पोस्ट (Kalki Koechlin Instgram Post) से लगाया जा सकता है. इसके साथ ही लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वॉटर डिलीवरी (What is Water Birth Delivery) क्या होती है, कैसे की जाती है. मां बनने का सुख अलग ही है. लेकिन नौ महीने तक पेट के भीतर जिस बच्चे को पल-पल महसूस किया हो जब उसके दुनिया में आने का समय आता है तो हर औरत के मन में एक ड़र होता है. ड़र इस बात का कि बच्चे के जन्म के समय उसे कितने दर्द से गुजरना होगा. घर वाले नॉर्मल डिलीवरी (Normal Delivery) की बात करते हैं तो कहीं न कहीं अंदर ही अंदर हर औरत सिजेरियन (Cesarean Delivery) के बारे में सोचने लगती है, क्योंकि जिस दर्द (Labor Pain) के बारे में उसने सुना है उसे फेस करने का अलग ही डर होता है. इसी ड़र के कारण कई बार महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी करा ही नहीं पाती. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिजेरियन और नॉमर्ल डिलीवरी के अलावा एक और विकल्प होता है, जो कम दर्द वाला होता है और बच्चे के लिए सेफ भी होता है. चलिए जानते हैं क्या है वाटर बर्थ, कैसे किया जाता है और इसके बारे में सबकुछ -
क्या सिजेरियन डिलीवरी के बाद नार्मल डिलीवरी हो सकती है? क्या कहते हैं डॉक्टर्स
इससे पहले एक नजर देख लेते हैं कल्कि की यह तस्वीर -
क्या होती है वाटर बर्थ डिलीवरी, कैसे की जाती है, क्या हैं फायदे (What Is Water Birth Technique, Benefits, Risks)
क्या है नॉर्मल बर्थ डिलीवरी (What Is Normal Birth Technique)
आमतौर पर लोगों को प्रसव या डिलीवरी के दो ही तरीकों के बारे बारे में पता होता है. पहला नॉर्मल डिलीवरी और दूसरा सिजेरियन डिलीवरी. नॉर्मल डिलीवरी या प्रकृतिक प्रसव में समय आने पर बच्चा मां के पेट में नीचे की ओर पुश करने लगता है और धीरे-धीरे मां के यूट्रस का मुंह खुल जाता है. इसी प्रक्रिया में डॉक्टर मदद करते हैं और बच्चे को प्राकृतिक रूप से योनिमार्ग से बाहर लाया जाता है. पहली डिलीवरी में यह प्रक्रिया समय ले सकती है. कई बार यह दर्दनाक होती है.
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क्या है वाटर बर्थ डिलीवरी (What Is Water Birth Technique)
अगर यह कहा जाए कि वाटर बर्थ डिलीवरी नॉर्मल का ही एक प्रकार है तो गलत नहीं होगा. इसमें फर्क यह है कि दावा किया जाता है कि इस दौरान प्रसव पीड़ा कम होती है. कुल मिलाकर वाटर बर्थ नॉर्मल डिलीवरी का वह तरीका है जो इस दौरान होने वाले दर्द को कम करने में मददगार है. अब अगर फेक्ट्स की बात की जाए तो कई अध्ययन यह बात कह चुके हैं कि वाटर बर्थ डिलीवरी में नार्मल डिलीवरी से 50 फीसदी दर्द कम होता है. इतना ही नहीं यह कई तरह के संक्रमण से भी मां और बच्चे को बचा सकती है.
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कैसे की जाती है वाटर बर्थ डिलीवरी (How do you give birth in water?)
वाटर बर्थ डिलीवरी में गर्भवती या प्रसव में प्रवेश कर चुकी महिला को गुनगुने पानी के बड़े टब में बैठाया जाता है. आमतौर पर इस टब की क्षमता 500 लीटर की होती है. इस बात का भी पूरा ध्यान रखा जाता है कि टब की गहराई कम से कम ढाई से तीन फ़ीट हो. यह पूरी तरह से गर्भवती के शरीर के आकार पर निर्भर करता है कि टब का आकार कैसा होगा. इस दौरान टब के पानी का तापमान एकसार रखने के लिए इसमें कई तरह के उपकरण लगाए जाते हैं. इनमें संक्रमण रोकने वाले और वाटर प्रूफ उपकरण होते हैं. प्रसव पीड़ा शुरू होने के कितने घण्टे के बाद गर्भवती को इस टब में ले जाया जाएगा इस बात का फैसला उसकी स्थिति का जायजा लेने के बाद डॉक्टर करते हैं.
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वाटर बर्थ डिलीवरी के फायदे (Water Birth Technique Benefits)
1. डॉक्टर्स की मानें तो वाटर बर्थ से योनि में होने वाला खिचाव या टियरिंग भी कम होती है. इसकी वजह है कि टिश्यू जब गरम पानी के संपर्क में आते हैं तो बहुत सॉफ्ट हो जाते हैं.
2. जैसा कि हमने बताया वाटर बर्थ डिलीवरी के समय महिला गरम पानी में रहती है, तो यह उसे डिलीवरी स्ट्रेस से बचाने में भी मदद करता है.
3. क्योंकि गर्भवती गर्म पानी में होती है, तो उसके शरीर में एंड्रोफिन हार्मोन ज़्यादा बनते हैं. इसी वजह से दर्द का एहसास कम होता है.
4. डॉक्टर्स की मानें तो वाटर बर्थ डिलीवरी के दौरान एनेस्थीशिया की जरूरत काफी कम हो जाती है.
5. गर्म पानी में रहने से गर्भवती को घबराहट कम महसूस होती है.
6. क्योंकि वाटर बर्थ के दौरान ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है.
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