शॉक (Shock) एक गंभीर स्थिति है जो शरीर के ब्लड फ्लो में अचानक गिरावट की वजह से आती है. शॉक यानी सदमा ट्रॉमा, हीट स्ट्रोक, रक्त की हानि या एलर्जी रिएक्शन की वजह से हो सकता है. यह गंभीर इंफेक्शन, पॉजनिंग, गंभीर रूप से जलने या अन्य कारणों (Causes of Shock) से भी हो सकता है. जब कोई व्यक्ति सदमे में होता है, तो उसके अंगों को पर्याप्त ब्लड या ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है. अगर सदमे का इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे स्थाई रूप से ऑर्गन डैमेज हो सकता है या मरीज की मृत्यु भी हो सकती है.
शॉक के लक्षण (Symptoms of Shock)
सदमे के लक्षण परिस्थितियों के आधार पर अलग-अलग होते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं:
- ठंडी, चिपचिपी त्वचा.
- पीली या राख जैसी स्किन.
- होठों या नाखूनों पर भूरा या नीला रंग.
- तेज पल्स.
- तेजी से सांस लेना.
- मतली या उल्टी.
- बढ़ी हुई पुतलियां.
- कमजोरी या थकान.
- चक्कर आना या बेहोश होना.
- मानसिक स्थिति या व्यवहार में परिवर्तन, जैसे चिंता या उत्तेजना.
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इमरजेंसी मेडिकल हेल्प लें
अगर आपको संदेह है कि कोई शख्स शॉक में है, तो 911 या अपने लोकल इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें. जब तक मेडिकल हेल्प नहीं पहुंच जाती आप मरीज को फर्स्ट एड करें.
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फर्स्ड एड के उपाय (First Aid for Shock)
- शख्स को नीचे लिटाएं और टांगों और तलवों को थोड़ा ऊपर उठाएं, जब तक आपको नहीं लगता कि इससे दर्द हो सकता है या आगे चोट लग सकती है.
- व्यक्ति को स्थिर रखें और जब तक जरूरी न हो, उसे हिलाएं नहीं.
- अगर व्यक्ति में जीवन के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जैसे कि सांस न लेना, खांसना या हिलना-डुलना नहीं, तो सीपीआर शुरू करें.
- तंग कपड़ों को ढीला करें और यदि जरूरत हो, तो व्यक्ति को ठंड से बचाने के लिए कंबल से ढक दें.
- व्यक्ति को कुछ भी खाने-पीने न दें.
- अगर व्यक्ति उल्टी करता है या मुंह से खून बह रहा है और रीढ़ की हड्डी में किसी चोट की आशंका नहीं है, तो दम घुटने से बचाने के लिए व्यक्ति को एक तरफ करवट दें.
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