स्विस वैज्ञानिकों ने पहली बार होंठ की कोशिकाओं का इस्तेमाल करके थ्री-डी सेल मॉडल विकसित किए हैं, जिससे चोट और इफेक्शन के इलाज के लिए नई तकनीकें तैयार की जा सकती हैं. अब तक, होंठ की कोशिकाओं से बने मॉडल उपलब्ध नहीं थे, क्योंकि होंठ की कोशिकाएं अन्य त्वचा कोशिकाओं से अलग तरीके से काम करती हैं. स्विट्जरलैंड की बर्न यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मार्टिन डेगन का कहना है, "हमारे चेहरे पर होंठ एक जरूरी हिस्सा है. इस पर कोई भी दिक्कत चेहरे की सुंदरता को प्रभावित कर सकती है. पर अब तक होंठ की कोशिकाओं पर आधारित इलाज के लिए कोई मॉडल नहीं था."
इस कमी को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों ने दान की गई होंठ की कोशिकाओं पर काम करने के लिए नई तकनीक अपनाई, जिससे प्रयोगशाला में क्लीनिकल टेस्ट के लिए होंठ के थ्री-डी मॉडल तैयार किए जा सके.
कैसे की गई रिसर्च?
इस रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने दो मरीजों की त्वचा की कोशिकाएं ली, एक मरीज जिसे होंठ पर चोट लगी थी और दूसरा, जिसका होंठ कटा हुआ था. इसके बाद, उन्होंने एक खास जेनेटिक तकनीक का उपयोग करके कोशिकाओं के जीवनचक्र को बढ़ाने का काम किया, जिससे यह ज्यादा समय तक काम कर सकें.
नई कोशिकाओं का टेस्ट भी किया गया ताकि वे सामान्य होंठ की कोशिकाओं की तरह ही काम करें और कोई जेनेटिक असामान्यता न हो. इसके अलावा, इन कोशिकाओं को घाव भरने और संक्रमण के मॉडल के रूप में उपयोग करने के लिए भी टेस्ट किया गया. अंत में, उन्होंने टेस्ट किया कि कैसे ये कोशिकाएं होंठ के घाव भरने या संक्रमण के लिए भविष्य के प्रयोगात्मक मॉडल के रूप में काम कर सकती हैं. उन्होंने कोशिकाओं के सैम्पल को खरोंच कर देखा कि क्या ये कोशिकाएं घाव भरने के सटीक प्रतिनिधि के रूप में काम कर सकती हैं.
जबकि बिना उपचार वाली कोशिकाओं ने घाव को आठ घंटे में बंद कर दिया, ग्रोथ फैक्टर से उपचारित कोशिकाओं ने घाव को ज्यादा तेजी से बंद कर दिया. ये परिणाम शरीर के अन्य हिस्सों की त्वचा कोशिकाओं में देखे गए परिणामों से मेल खाते हैं. इसके बाद, वैज्ञानिकों ने इन कोशिकाओं को "कैंडिडा अल्बिकन्स" नामक फंगस से संक्रमित किया, जिससे कमजोर इम्यूनिटी वाले या कटे होंठ वाले लोगों में संक्रमण होता है. यह मॉडल असली होंठ की कोशिकाओं की तरह ही व्यवहार करने में सक्षम था और संक्रमण तेजी से फैला.
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डॉ. डेगन का मानना है कि हेल्दी होंठ की कोशिकाओं से बने ये थ्री-डी मॉडल चिकित्सा के कई अन्य क्षेत्रों में उपयोगी साबित हो सकते हैं और इस तकनीक को विस्तार देने पर हजारों मरीजों को लाभ मिल सकता है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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