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This Article is From Jan 23, 2024

कमाल! वैज्ञानिकों ने पहली बार 'पौधों को आपस में बात करते' पकड़ा, कैमरे में कैद की पूरी घटना

दो पौधे के बीच की बातचीत को पकड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने एक एयर पंप का इस्तेमाल किया था. ये प्रयोग सरसों के परिवार की एक सामान्य खरपतवार, जिसे अरेबिडोप्सिस थालियाना के बीच किया गया.

कमाल! वैज्ञानिकों ने पहली बार 'पौधों को आपस में बात करते' पकड़ा, कैमरे में कैद की पूरी घटना
कैल्शियम सिग्नलिंग एक ऐसी चीज़ है जिसका इस्तेमाल मानव कोशिकाएं भी आपसी संचार के लिए इस्तेमाल करती हैं.

जापान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक कमाल का काम किया है. ये एक अविश्वसनीय खोज है, जिसमें पौधों एक-दूसरे से "बातचीत" करते हुए दिखाई दे रही है. दरअसल वैज्ञानिकों ने एक वीडियो को रिकॉर्ड किया है. इस फुटेज में दो पौधे आपस में 'बातचीत' करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वैज्ञानिकों ने ये फुटेज रियल टाइम में कैप्चर किया है. 

साइंस अलर्ट की खबर के अनुसार, पौधे वायु जनित यौगिकों (एयरबोर्न कंपाउंड) की बारीक धुंध से घिरे होते हैं जिनका इस्तेमाल वो एक दूसरे से बातचीत के लिए करते हैं. इन कंपाउंड के जरिए ही पौधे एक दूसरे को किसी खतरे के समय संदेश भी पहुंचाते हैं. 

जापानी वैज्ञानिकों के जरिए रिकॉर्ड हुए इस वीडियो से पता चला है कि पौधे कैसे इन हवाई अलार्म्स को प्राप्त करते हैं और उन पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं. Saitama University के मॉलिक्यूल बायोलॉजिस्ट मासात्सुगु टोयोटा की लीडरशिप में यह महत्वपूर्ण उपलब्धि नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. वैज्ञानिकों की टीम के अन्य सदस्यों में पीएचडी के छात्र यूरी अरातानी और पोस्ट डॉक्टरल रिसर्चर ताकुया उमुरा शामिल थे.

इस टीम ने अपने प्रयोग में देखा कि कैसे एक क्षतिग्रस्त पौधा कीड़ों या किसी दूसरे कारण से क्षतिग्रस्त पौधों के जरिए छोड़े गए volatile organic compounds (वीओसी) पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं.

इस रिसर्च में लेखकों ने जानकारी दी है कि, "पौधे मैकेनिकल रूप से या क्षतिग्रस्त पड़ोसी पौधों के जरिए जारी वीओसी को समझते हैं और अलग-अलग रक्षा प्रतिक्रियाओं के लिए प्रेरित करते हैं. इस तरह का इंटरप्लांट कम्युनिकेशन पौधों को पर्यावरणीय खतरों से बचाता है."

इस तरह के कम्युनिकेशन को पकड़ने के लिए, इन वैज्ञानिकों ने पत्तियों और कैटरपिलर के एक कंटेनर से जुड़े एक एयर पंप का इस्तेमाल किया था. वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग के लिए सरसों परिवार की एक सामान्य खरपतवार जिसे अरेबिडोप्सिस थालियाना कहा जाता है, उसे चुना.

कैसे हुआ प्रयोग?

साइंस अलर्ट में बताया गया कि कैटरपिलर को टमाटर के पौधों और एराबिडोप्सिस थालियाना से काटी गई पत्तियों को खाने दिया गया और रिसर्चर्स ने उन खतरे के संकेतों के लिए एक दूसरे, कीट-मुक्त अरबइडॉप्सिस पौधे के प्रतिक्रियाओं के लिए इस्तेमाल किया. रिसर्चर्स ने इस प्रयोग में एक बायोसेंसर जोड़ा था जो हरे रंग की चमक देता था और कैल्शियम आयनों का पता लगाता था. कैल्शियम सिग्नलिंग एक ऐसी चीज़ है जिसका इस्तेमाल मानव कोशिकाएं भी आपसी संचार के लिए इस्तेमाल करती हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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