यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन में इस बात के प्रमाण दिए गए हैं कि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) या कमर की चौड़ाई सभी लोगों के लिए हार्ट डिजीज के जोखिम का सही-सही इवेल्युएट करने के लिए पर्याप्त नहीं है. अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों की मांसपेशियों में फैट की मात्रा ज्यादा होती है, उनमें हार्ट की छोटी ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचने की संभावना ज्यादा होती है. ऐसे लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है, जिन लोगों में हाई इंटरमस्क्युलर फैट और सीएमडी के सबूत होते हैं, उनमें दिल का दौरा पड़ने का खतरा ज्यादा होता है.
ब्रिघम और महिला अस्पताल, यूएस में कार्डियक स्ट्रेस प्रयोगशाला के निदेशक प्रोफेसर विवियन टैक्वेटी ने कहा, ये निष्कर्ष फैट और मसल्स को रिवाइज्ड करने वाले इनक्रीटिन-बेस्ड ट्रीटमेंट के हार्ट हेल्थ इफेक्ट्स को समझने के लिए खासतौर से जरूरी हो सकते हैं. इसमें ग्लूकागन-जैसे पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट की नई श्रेणी शामिल है.
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कैसे किया गया अध्ययन?
अध्ययन ने 669 लोगों में मसल्स और कई प्रकार के फैट का विश्लेषण किया, ताकि यह समझा जा सके कि बॉडी स्ट्रक्चर हार्ट की छोटी ब्लड वेसल्स या माइक्रोकिरकुलेशन को कैसे प्रभावित कर सकती है. साथ ही साथ हार्ट अटैक के खतरों को भी जानने में मदद मिलता है.
लगभग छह साल तक चले अध्ययन में टीम ने प्रत्येक रोगी की बॉडी स्ट्रक्चर का विश्लेषण करने के लिए सीटी स्कैन का भी उपयोग किया. उनके धड़ के एक हिस्से में फैट और मसल्स की मात्रा और स्थान को मापा.
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अध्ययन में लीन मसल्स वाले लोगों में रिस्क कम पाया. ऐसे लोगों में स्किन के नीचे जमा फैट ने खतरा नहीं बढ़ाया. टीम फैटी मसल्स वाले लोगों में हार्ट अटैक के रिस्क को कम करने में मदद करने के लिए व्यायाम, खानपान, वजन घटाने वाली दवाओं या सर्जरी सहित इलाज की अन्य विधियों के बॉडी स्ट्रक्चर और हार्ट डिजीज पर प्रभाव का आकलन कर रही है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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