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पार्किंसंस रोग का पता लगाने में भी सक्षम हो सकता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, शोध में हुआ खुलासा

Parkinson's Disease: आवाज में बदलाव पार्किंसंस रोग का शुरुआती संकेत है. इस खतरनाक बीमारी में सबसे पहले मरीज की आवाज में ही परिवर्तन आता है.

पार्किंसंस रोग का पता लगाने में भी सक्षम हो सकता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, शोध में हुआ खुलासा
Parkinson's Disease: आवाज में बदलाव पार्किंसंस रोग का शुरुआती संकेत है.

Parkinson's Disease: पार्किंसन रोग, दिमाग के खास हिस्सों को धीमा करने और खराबी लाने वाली बीमारी है. एक शोध में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एल्गोरिदम व्यक्ति की आवाज में सूक्ष्म परिवर्तनों को पहचान सकता है. इसके साथ ही वह पार्किंसंस रोग का पता लगाने में भी सक्षम है. यह न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज का पता लगाने के उपकरण के रूप में भी काम कर सकता है.  वर्तमान में यह रोग 8.5 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करता है. पिछले 25 वर्षों में पार्किंसंस की घटना दोगुनी हो गई है और अब दुनिया भर में हर साल कम से कम 330,000 मौतें होती हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि वैसे तो पार्किंसंस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन शुरू में इसका पता लगाकर जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है.

हालांकि पार्किंसंस रोग का पता लगाने के लिए एआई तकनीकों में प्रगति की समीक्षा करने वाले इराक और ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं के अनुसार इस बीमारी का पता लगाने की पारंपरिक पद्धतियां अक्सर जटिल और धीमी होती हैं, जिससे प्रारंभिक पहचान में देरी होती है.

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बगदाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तकनीक अनुसंधान के लिए पांचवें वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए शोधपत्र में दिखाया गया कि सभी साक्ष्य बताते हैं कि एआई-संचालित आवाज का पता लगाने वाला उपकरण पार्किंसंस जैसी खतरनाक बीमारी का शुरू में पता लगाकर क्रांति ला सकता है. आवाज में बदलाव अक्सर दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली न्यूरोलॉजिकल बीमारी का सबसे पहला संकेत है.

पार्किंसंस रोग का शुरुआती लक्षण- Symptoms of Parkinson's Disease:

बगदाद में मिडिल टेक्निकल यूनिवर्सिटी के मेडिकल इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियर अली अल-नाजी ने कहा, "आवाज में बदलाव पार्किंसंस रोग का शुरुआती संकेत है. इस खतरनाक बीमारी में सबसे पहले मरीज की आवाज में ही परिवर्तन आता है. इसमें मांसपेशियों पर कम नियंत्रण के कारण बोलने में परेशानी आने के साथ मरीज की लय में बदलाव देखने को मिलता है.'' आगे कहा कि एआई मॉडल इस बीमारी का पता लगाने में सक्षम हो सकती है.

अल-नाजी ने कहा, ''प्रारंभिक पहचान के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसमें रोगियों की निगरानी करने में भी मदद कर सकता है, जिससे मरीज की डॉक्‍टर से व्यक्तिगत रूप से मिलने की आवश्यकता कम हो जाती है.''

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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