Unknowingly Harmful Things Parents Say: पेरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश एक बड़ी जिम्मेदारी होती है. हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा खुशहाल और आत्मविश्वासी बने. लेकिन, कई बार जाने-अनजाने में कही गई बातें बच्चे के कोमल दिल को गहरी चोट पहुंचा सकती हैं. ऐसी बातें न केवल उनके मानसिक विकास को प्रभावित करती हैं, बल्कि उनके आत्मसम्मान पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं. बहुत बार पेरेंट्स बच्चों को कुछ कहने से पहले सोचते नहीं और बच्चा समझकर कुछ भी कह देते हैं. आइए जानते हैं कि कौन-कौन सी बातें बच्चों के सामने नहीं बोलनी चाहिए और इन्हें कैसे टाला जा सकता है.
बच्चों से बिल्कुल भी न करें इस तरह बात | Never Talk To Children Like This
1. तुमसे तो कुछ होता ही नहीं!
जब बच्चे किसी काम में सफल नहीं हो पाते, तो कुछ माता-पिता गुस्से में यह बात कह देते हैं. यह वाक्य बच्चे को यह महसूस कराता है कि वह अयोग्य है. इसका परिणाम यह हो सकता है कि बच्चा अपनी काबिलियत पर शक करने लगे और किसी नए काम को शुरू करने से पहले ही डर जाए. इसलिए हमेशा बच्चे को प्रोत्साहित करें. उसकी छोटी-छोटी कोशिशों की तारीफ करें और असफलता को एक सीखने का मौका मानें.
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2. अपने भाई/बहन से सीखो
तुलना करना बच्चे की मानसिकता पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. इससे बच्चे में हीन भावना पैदा हो सकती है और भाई-बहन के बीच दूरी भी बढ़ सकती है. हर बच्चे की अपनी विशेषताएं होती हैं. उनकी क्वालिटी को पहचानें और उन्हें उनके तरीके से विकसित होने का मौका दें.
3. तुम हमेशा परेशानी ही खड़ी करते हो
बच्चों को बार-बार यह कहना कि वे हमेशा गलतियां करते हैं, उन्हें खुद को समस्या समझने पर मजबूर कर सकता है. इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है. गलतियों को सुधारने का तरीका सिखाएं, बजाय इसके कि आप उन्हें लगातार दोषी ठहराएं.
4. तुम्हें शर्म नहीं आती?
यह वाक्य बच्चों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करता है और उनमें शर्मिंदगी पैदा कर सकता है. यह उनके व्यक्तित्व को दबा सकता है और आत्म-सम्मान को चोट पहुंचा सकता है. अगर बच्चा गलती करता है, तो उसे निजी तौर पर समझाएं. सार्वजनिक रूप से डांटने से बचें.
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5. तुम्हारे लिए तो सब कुछ किया, फिर भी तुम
यह भावनात्मक ब्लैकमेल का तरीका बच्चों को अपराधबोध में डाल सकता है. यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. बच्चे से अपनी उम्मीदों को इस तरह न जोड़ें. उसे यह एहसास कराएं कि आप उससे बिना शर्त प्यार करते हैं.
6. बड़े हो जाओ
कई बार माता-पिता बच्चों की छोटी-छोटी भावनाओं को नजरअंदाज कर यह कह देते हैं. यह बच्चों को यह संदेश देता है कि उनकी भावनाएं महत्वहीन हैं. बच्चे की भावनाओं को समझें और उन्हें अभिव्यक्त करने का मौका दें. उन्हें बताएं कि हर भावना स्वाभाविक है.
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पेरेंट्स को क्या करना चाहिए?
- बच्चों के साथ खुले संवाद का माहौल बनाएं.
- उनकी भावनाओं और समस्याओं को गंभीरता से लें.
- पॉजिटिव बोलें.
- बच्चों को उनकी उम्र और समझ के अनुसार मार्गदर्शन दें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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