
नई दिल्ली: अब अगर किसी मरीज को खराब या घटिया गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरणों के कारण नुकसान होता है, तो अब जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने देशभर के सभी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने संस्थान में एक विशेष कमेटी का गठन करें, जो चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता पर नजर रखेगी.
इलाज के साधनों पर निगरानी जरुरी -NMC
एनएमसी के सचिव डॉ. राघव लंगर ने बताया कि यह समिति प्रत्येक शिकायत को दर्ज करेगी और उसकी जानकारी भारतीय औषध भेषज आयोग (Indian Pharmacopoeia Commission ) को भेजेगी. उनका कहना है कि "अब इलाज के साधनों पर भी उतनी ही निगरानी जरूरी है, जितनी इलाज पर."
NMC ने क्यों लिया यह फैसला?
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने कहा है कि आधुनिक चिकित्सा में चिकित्सा उपकरण एक अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं. ऐसे में पेसमेकर, इम्प्लांट, ICU मशीनों जैसी डिवाइसेज़ की भूमिका बेहद अहम है. लेकिन हाल के वर्षों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय चूक के कारण इन उपकरणों से मरीजों को गंभीर नुकसान हुआ. इसे देखते हुए अब सभी अस्पतालों में इन उपकरणों की सख्त निगरानी की जा रही है.
क्या है मेटेरियोविजिलेंस प्रोग्राम?
केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय ने साल 2015 में चिकित्सा उपकरणों से जुड़ी समस्याओं, खामियों और घटनाओं की निगरानी के लिए मेटेरियोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (MvPI) की शुरुआत की थी, जिसे भारतीय औषध भेषज आयोग संचालित करता है. मेडिकल डिवाइस एक्ट 2017 के तहत देश में चिकित्सा उपकरणों के निर्माण, आयात, बिक्री और वितरण के बाद निगरानी के नियम तय किए गए हैं. इसके अंतर्गत निर्माता कंपनियों को गंभीर घटनाएं रिपोर्ट करना अनिवार्य है. एनएमसी का मानना है कि इन घटनाओं की प्राथमिक शिकायत मेडिकल कॉलेजों के स्तर पर दर्ज होनी चाहिए.
मरीजों को क्या होगा लाभ?
एनएमसी के आदेश से सबसे बड़ा फायदा मरीजों को मिलेगा क्यूंकि अब अगर किसी मरीज को चिकित्सा उपकरण के कारण कोई नुकसान होता है, तो उसकी शिकायत सीधे एक प्रक्रिया के तहत आयोग तक पहुंचेगी. इससे न सिर्फ जवाबदेही तय होगी, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में भी मदद मिलेगी.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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