Blogs | रवीश कुमार |बुधवार जून 9, 2021 08:17 PM IST राष्ट्र के नाम संदेश. संदेश भले राष्ट्र के नाम पर था, था दरअसल प्रधानमंत्री के नाम ही. और उनके नाम संदेश यह था कि अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए तथ्यों को इधर-उधर कर तर्क गढ़ने से भले ग़लती छिप जाती है लेकिन हमेशा के लिए ओझल नहीं होती है. जब जब पर्दा हटता है तब तब ग़लती दिखाई दे जाती है. राष्ट्र के नाम संदेश से यही हुआ.